दिनेश कुमार मिश्र
कोसी तटबंधों के बीच
Posted on 13 Nov, 2014 07:54 AM 1950 में कोसी के दोनों तटबंधों का निर्माण हुआ जिनके बीच 304 गांवों के करीब एक लाख बानबे हजार लोग शुरू-शुरू में फंस गए थे। इनका पुनर्वास का काम बहुत ही ढीला था और कई गांवों के पुनर्वास की जमीन का अभी तक अधिग्रहण नहीं हुआ है। बाद में तटबंधों की लंबाई बढ़ाए जाने के कारण इन गांवों की संख्या 380 हो गई और आजकल या आबादी बढ़कर 12 लाख के आस पास पहुंच गई है।बिहार विधानसभा मे इस पर कई बार चर्चा हुई जिसमें परमेश्वर कुंअर का यह बयान (जुलाई, 1964) बहुत ही महत्वपूर्ण है। वो कहते हैं, कोसी तटबंधों के बीच खेती नहीं हो सकती है। वहां तमाम जमीन पर बालू का बुर्ज बना हुआ है। वहां कांस का जंगल है, दलदल है। कृषि विभाग इसको देखता नहीं है की वहां पर किस प्रकार खेती की उन्नति की जा सकती है। जहां कल जंगल था वहां आज गांव है।
![<i>कोसी नदी में बाढ़ से विस्थापित लोग</i>](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/flood%20in%20kosi_3.jpg?itok=EXqCK1Y8)
बिहार और उसका पानी
Posted on 03 Oct, 2014 09:07 AMवर्ष 2008 कोसी का तटबंध नहीं टूटा होता तो यह वर्ष भी सूखे की भेंट ही चढ़ गया था। इस तरह से राज्य में सिंचाई के लिए पानी के उपयोग की वर्तमान स्थिति किसी भी पैमाने से संतोषजनक नहीं कही जा सकती है। पश्चिम बंगाल, उसके पूर्व में है, पश्चिम में उत्तर प्रदेश, दक्षिण मेें झारखंड और उत्तर में नेपाल से घिरा भारत का एक राज्य है बिहार। यहां की आबादी 10.38 करोड़ ( 2011) है और यह उत्तर प्रदेश-महाराष्ट्र के बाद भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। इसका भौगोलिक क्षेत्र 94163 वर्ग किमी है और 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के जनसंख्या घनत्व के साथ यह सघन आबादी वाला इलाका है। राज्य में लिंग अनुपात 1000 पुरुषों पर 916 महिलाओं का है। यहां की साक्षरता की दर अभी भी 63.82 (2011) प्रतिशत है। जिसमें 73.39 प्रतिशत पुरुष और 53.33 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं। केवल दस प्रतिशत हिस्सा शहर में और बांकि आबादी गांव में रहती है।
बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ग्रस्त राज्यों में है और यहां बाढ़ पीड़ितों का घनत्व सबसे अधिक है।
![flood in kosi](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Flood%20in%20Kosi_3.jpg?itok=Cpcm_IJ7)
बागमती परियोजना के उजड़े हुए लोगों की कहानी
Posted on 09 Jun, 2011 11:25 AM‘‘...हम लोग कलक्टर से यह पूछने के लिए गए कि हम लोग इस देश के नागरिक हैं या नहीं जो हमें इस तरह खदेड़ा जा रहा है। अगर बागमती परियोजना के कारण हमारी नागरिकता समाप्त हो जाती है तो आप हुक्म कीजिए, हम नेपाल में जाकर बस जाते हैं।’’![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Bagmati_sai_ujrai_huai_log_5.jpg?itok=y6VQHsuZ)