देविंदर शर्मा
देविंदर शर्मा
जल-संकट के गुनहगार
Posted on 17 May, 2016 10:33 AMकिसानों द्वारा भूजल के अधिक दोहन पर अंकुश लगाने के लिये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसका मूल्य तय करना चाहते हैं। काफी समय से विश्व बैंक इसके लिये दबाव डाल रहा है। योजना आयोग ने तो कीमत निर्धारित करने का फार्मूला भी तैयार कर लिया है। जाहिर है कि किसानों से फसल में इस्तेमाल किए जाने वाले भूजल की कीमत वसूलने की तैयारी चल रही है। भूजल पर उपकर लगाने के लिये खेती को हमेशा से एक अच्छा आधार समझा जाता
फिर सूखे की दस्तक
Posted on 22 Sep, 2015 04:45 PM20 करोड़ सीमान्त किसान देश में खेती के लिये मानसून पर निर्भर हैं।सूखे की आशंका और उससे आगे
Posted on 26 Jul, 2012 09:00 AMसूखे की आहट किसानों तथा देश के लिए एक बुरी खबर है। इससे खाद्यान्न संकट तो होगा ही मंहगाई भी अपने चरम सीमा पर होगी। इतिहास में सूखे और अकाल की दिल दहलाने वाली दास्तानों की कमी नहीं है। अकाल का सीधा संबंध ही वर्षा होता है। सरकारी नीतियां वर्षा की भरपाई नहीं कर सकतीं लेकिन इससे प्रभावित लोगों को सहायता देकर उनकी मुश्किलें थोड़ा कम कर सकती हैं। सूखे से होने वाले संकट को रूबरू कराते देविंदर शर्मा।खेती को बचाने के तीन उपाय
Posted on 24 Aug, 2011 01:07 PMभारत को आयात शुल्क बढ़ाने होंगे और तमाम हमलों से अपनी कृषि को बचाना होगा। दुर्भाग्य से भारत अमे
गाय हमारी माता है
Posted on 18 Aug, 2011 10:14 AMमेरे विचार से साइंस के कारण जो गड़बड़ियां देश में हुई हैं, उनमें यह सबसे बड़ी है। अब वक्त आ चुक
खाद्य असुरक्षा का आयात
Posted on 18 Aug, 2011 09:55 AMभारत अगर खाद्य पदार्थों में आत्मनिर्भरता हासिल करना चाहता है तो उसे इन चार सर्वाधिक महत्वपूर्ण
जब पानी नहीं मिलेगा…
Posted on 05 Aug, 2011 11:33 AMजब तक हम टिकाऊ विकास के मापदंडों-मिट्टी का स्वास्थ्य, जल उपलब्धता और जलवायु परिवर्तन के आधार पर
खेती में असली क्रांति
Posted on 05 Jan, 2011 09:26 AM
2010 तो इतिहास बनने जा रहा है। मैं सशंकित हूं कि क्या नया साल किसानों के लिए कोई उम्मीद जगाएगा? अनेक वर्षो से मैं नए साल से पहले प्रार्थना और उम्मीद करता हूं कि कम से कम यह साल तो किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाएगा, किंतु दुर्भाग्य से ऐसा कभी नहीं हुआ।