भारतीय पक्ष

भारतीय पक्ष
बांधों से विकास?
Posted on 16 Dec, 2008 07:12 AM


-विमल भाई
एनएचपीसी कहती है कि बांध से विकास होगा तो फिर प्रश्न ये है कि पूरी जानकारी लोगों को क्यों नहीं दी जा रही है? जानकारी हिन्दी में क्यों नहीं दी जा रही है? सरकार को कहीं इस बात का डर तो नहीं है कि यदि लोग सच्चाई जान जाएंगे तो बांध का विरोध करेगें।

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भंजी भाई का चेक डैम
Posted on 16 Sep, 2008 04:34 PM

गुजरात के विभिन्न हिस्सों में पानी की उपलब्धता सामान्य नहीं है। राज्य के सभी हिस्सों में जल की उपलब्धाता सामान्य बनाए रखना एक चुनौती है। सत्तार वर्षीय भंजी भाई मथुकैया ने इस चुनौती को स्वीकार किया। वे चाहते थे कि ऐसे चेक डैम बनें जिनको किसान अपने सीमित साधनों की मदद से बना सकें। इसके लिए भंजी भाई ने रेलवे फलों की अर्धाचन्द्राकार संरचना का उपयोग करने का फैसला किया।

सुब्यवस्थित गैबियन बंध/ चेकडैम
जलसंरक्षण ने बदली गांव की तस्वीर
Posted on 16 Sep, 2008 04:27 PM

जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर दूदू से 25 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके का एक गांव है - लापोड़िया। यह गांव ग्रामवासियों के सामूहिक प्रयास की बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू-भाग को तीन तालाबों (देव सागर, फूल सागर और अन्न सागर) के निर्माण से जल-संरक्षण, भूमि-संरक्षण और गौ-संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है। इतना ही नहीं, ग्रामवासियों ने अपनी सामूहिक

तालाब
बड़े बांधों में नहीं छोटे-छोटे चेकडैम में छिपा है उपाय
Posted on 14 Sep, 2008 07:12 PM

मनसुख भाई (जलक्रांति ट्रस्ट)/गुजरात सरकार 1.5 लाख से लेकर 15 लाख रुपए में सिर्फ एक चेक डैम बनाती थी। तब हमने कहा कि 15 चेकडैम का खर्चा सिर्फ एक लाख आएगा। लोग मानने को तैयार नहीं थे कि इतने कम खर्च में भी चेकडैम तैयार हो सकता है। मैंने कहा कि यह मेरी जिम्मेदारी है।

पहाड़ तोड़ खुशी ढूंढ लाया सातो गांव
Posted on 11 Sep, 2008 05:13 PM
राहुल पराशर, भारतीय पक्ष
शौच को शुचिता से जोड़ने की मुहिम
Posted on 11 Sep, 2008 05:04 PM

आजाद भारत का जो सपना लोगों ने गुना-बुना था, वह पूरा न हो सका। कई आकांक्षाएं अधूरी रह गईं और कितनी पैदा होने से पहले ही खत्म हो गईं। इस बात पर बहस हो सकती है। जिसमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से राजनैतिक पार्टियां जिम्मेदार ठहराई जाएंगी। लेकिन भारतीय समाज तमाम राजनैतिक बुराईयों के बावजूद नियमित गति से आगे बढ़ रहा है। इसकी वजह केवल एक है, वह है यहां के समाज में होने वाला सार्थक प्रयास। इसके बल पर

अकाल के कपाल पर तरक्की की इबारत
Posted on 31 Jan, 2011 10:45 AM

बुंदेलखंड में जैसे युद्ध की परंपरा है, वैसे ही खेती की भी समृद्ध परंपरा है। युद्ध में सब मिलकर लड़े हैं तो खेतों में भी पूरा परिवार डटा है। पांच साल से पड़ रहे सूखे में भी चित्रकूट जनपद के भारतपुर गांव के केदार यादव का परिवार संयुक्त परिवार की उसी समृद्ध परंपरा को संजोते हुए दिन-दूनी रात-चैगुनी तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है।केदार यादव के चार बेटे श्यामलाल ऊर्फ वैद्य, राजकुमार, बिहारीलाल और रा

सूखा
एक उद्यमी किसान ऐसा भी
Posted on 12 Aug, 2010 09:16 AM
किसानों की समस्याएं और सामाजिक कार्यों के चलते 1977 में निर्विरोध वार्ड पंच चुन लिया गया और 1978 में पंचायत के सभी किसानों की भूमि की पैमाइश कराई। पूरे गांव की जमीन को एकत्रित कराकर जमीन की चकबंदी कराई और जमीन के टुकड़ों की समस्या को सदा के लिए दूर कर दिया।

मैंने होश संभाला तब पिताजी लाव-चरस से खेती करते थे। साठ बीघा जमीन थी लेकिन दो बीघा जमीन पर भी मुश्किल से खेती होती थी। ‘भारतीय कृषि मानसून का जूआ है।’ यह उन दिनों बिल्कुल सटीक बैठती थी। सातवीं कक्षा में ही बालक कैलाश के हाथ से कागज कलम छूट गये और हल फावड़े ने उसकी जगह ले ली। वक्त हाथ में कैद मिट्टी के कणों की तरह धीरे-धीरे फिसलता रहा।
गंगा के लिए सविनय अवज्ञा की मुहिम
Posted on 15 Jul, 2010 09:09 AM
गंगा नदी का बिना सोचे समझे अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। कई बिजली परियोजनाएं गंगा की अविरलता को पवित्राता को ताक पर रखकर चलाई जा रही हैं। गंगा के विरुध्द चल रही समस्त गतिविधियों को रोकने के लिए देश भर में प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी के तहत गंगा के मौलिक रूप की मांग को लेकर ‘गंगा रक्षा आंदोलन’ ने दिनांक 20 जून, 2010 को सायं 5 बजे वाराणसी के अस्सी घाट पर ‘सविनय अवज्ञा’ की मुहिम चलाने का निर्णय ल
हो सकती है सरस्वती पुनर्प्रवाहित
Posted on 09 Dec, 2009 09:26 AM

भारतीय संस्कृति शोध पर आधारित है। भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज तथा परंपराएं वैज्ञानिक कसौटी पर खरी उतरती हैं, ये शब्द भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक डा. के. एन. श्रीवास्तव ने सरस्वती नदी शोध संस्थान द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा।

सरस्वती नदी पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन
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