अपर्णा पल्लवी
बेंगलुरु की कूड़ा कथा
Posted on 14 Dec, 2015 11:38 AMमंडूर गाँव में अब एक जाँच केंद्र इस काम के लिये बनाया जाएगा जो हर क्षेत्र से कूड़ा लेकर आ
वन के लाभ ग्रामीणों को
Posted on 30 Jun, 2012 10:10 AMहालांकि सन् 1992 के सरकारी प्रस्ताव की धारा 9 इस बात को अनुचित मानती है। इसमें साफ लिखा है कि संयुक्त वन प्रबंधन
टीपू सुल्तान का मीठा उपहार
Posted on 08 Sep, 2011 04:11 PMबहुतों को पता होगा टीपू सुल्तान की तलवार का पूरा किस्सा युद्ध में वह कैसे चमकी, कैसे गुम हुई, चोरी-छिपे कैसे देश से बाहर चली गई और फिर कौन उस अनमोल तलवार का भारी मोल चुका कर उसे गर्व के साथ भारत वापस ले आए। पर बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा कि टीपू सुल्तान की एक और धरोहर है जो कि बहुत मधुर है। ये वो आमों की किस्में हैं, जिन्हें टीपू सुल्तान कोई 200 बरस पहले किरगावल गांव में छोड़ गए थे। इस अद्भबिजली मिलेगी, पानी नहीं
Posted on 23 Apr, 2011 11:51 AMसोफिया से तो कुछ 370 लोगों को रोजगार मिलेगा। श्री पुसाडकर का कहना है कि अमरावती जिले में अभी भी 2,35,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई व्यवस्था बाकी है। इस परियोजना के पूरा होने से पानी की कमी के कारण इस आंकड़े में 23,219 हेक्टेयर की और वृद्धि हो जाएगी।
महाराष्ट्र के अमरावती ताप बिजलीघर का वर्षों से सर्वाजनिक विरोध हो रहा है। विदर्भ क्षेत्र के किसानों को डर है कि यह विद्युत संयंत्र अपर वर्धा सिंचाई परियोजना से पानी लेगा। पिछले दिनों इस विषय में अचानक ही समझौते के आसार नजर आने लगे। राज्य के जलसंसाधन मंत्री अमरावती के नागरिक प्रतिनिधियों और राजनीतिज्ञों से मिले और उन्होंने घोषणा की कि यह ताप बिजलीघर अपर वर्धा के पानी को छूएगा भी नहीं और इसके बदले यह अमरावती शहर के गंदे पानी को साफ कर इस्तेमाल करेगा। नगरवासियों को और भी कई सुविधाएं देने की घोषणा करते हुए मंत्री ने घोषणा की कि इस परियोजना के बाद इस जिले में बिजली कटौती समाप्त हो जाएगी।मीठे गाजर लगाओ खरपतवार भगाओ
Posted on 07 Jul, 2010 01:50 PMभारतीय किसानों ने एक बार पुनः सिद्ध कर दिया है कि खेती के प्रयोग वातानुकूलित बंद कमरों में नहीं किए जा सकते। खेतों में खरपतवार नष्ट करने के लिए बजाए रासायनिक पदार्थों के गाजर का इस्तेमाल भारतीय किसानों की विशेषज्ञता को सिद्ध करता है। विश्वविद्यालय का कहना है कि वह 15 वर्ष पूर्व ऐसा सफल परीक्षण कर चुका है। उनका यह कथन आंशिक रूप से सही पर यह सिद्ध करता है कि भारतीय कृषि वैज्ञानिक बड़ी कंपनियों से संचालित हैं। वरना वे अपने सफल प्रयोग पर जमी धूल को डेढ़ दशक तक झाड़ क्यों नहीं पाए?
खरपतवार की वजह से भारत के किसानों को प्रतिवर्ष 52,000 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ता है। इन्हें हाथ से उखाड़ने और रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से लागत भी बढ़ती है। वहीं कीटनाशक तो इसका कोई हल ही नहीं क्योंकि कुछ ही समय में खरपतवार इसकी आदी हो जाती है। इस दौरान महाराष्ट्र के किसानों ने प्रयोगों के माध्यम से यह पाया कि खेत में गाजर लगाने से खरपतवार समाप्त हो जाती है