1. गहने–कपड़े नहीं भाइयों ने दिया शौचालय का उपहार
2. गाँव–गाँव हो रही मुनादी
3. हरदा में प्रशासन कर रहा मल युद्ध
यहाँ बीते करीब एक साल से जिला प्रशासन मल युद्ध कर रहा है। यहाँ प्रशासन गाँव–गाँव यह बात पहुँचाने में फिलहाल कामयाब होता नजर आ रहा है कि गाँवों में जब तक घर–घर शौचालय नहीं बनेंगे, तब तक स्वच्छता की बात करना भी बेमानी ही है। अब तक यहाँ बड़ी तादाद में शौचालय बनाए जा चुके हैं।
हरदा जिले की कुल 275 ग्राम पंचायतों में घरों से बाहर शौच का चलन था। लेकिन आपरेशन मल युद्ध के बाद से अब तेजी से बदलाव आ रहा है। इसके लिये प्रशासन कई तरह के जतन कर रहा है। इस अभियान के चलते अभी तक 38 ग्राम पंचायतों के करीब 58 गाँवों को शौचालय युक्त बना दिया गया है।
बीते दिनों रक्षाबन्धन पर हरदा जिले में कुछ भाइयों ने अपनी बहन को राखी बाँधने के बदले एक ऐसे नायाब तोहफे का उपहार दिया है जो शायद अब तक किसी भाई ने अपनी बहन को नहीं दिया होगा। जी हाँ, यह कोई गहने–कपड़े का उपहार नहीं बल्कि खुले में शौच जाने वाली बहनों के लिये उनके ही घर में पक्का शौचालय बनाकर देने का तोहफा है। इसके लिये हरदा प्रशासन ने बकायदा भाई नम्बर वन के खिताब के लिये प्रतियोगिता भी रखी थी, जिसके पुरस्कार बाद में खुद मुख्यमंत्री ने बाँटे।
यहाँ भाई नम्बर वन आने वाले भाइयों को खिताब मिला लेकिन उससे कहीं बड़ी बात उनके लिये अपनी बहन की दुआएँ थीं। गाँव–गाँव इसके लिये प्रशासन ने मुनादी करवाई और जगह–जगह इसके प्रचार–प्रसार के लिये बड़े–बड़े होर्डिंग्स भी लगाए थे। इसमें भाइयों से भाई नम्बर वन बनने के लिये आग्रह किया जा रहा है।
हरदा जिले के सिरकम्बा गाँव में मनोज कुमार की बहन मनीषा की शादी एक मजदूर परिवार में हुई है। इस परिवार ने आज़ादी के बाद से 68 सालों में अब तक कभी अपने घर में शौचालय की बात तो दूर सपने में भी नहीं सोचा था, लेकिन इन दिनों मनीषा फूली नहीं समा रही। उसके भाई की वजह से ससुराल में उसकी साख बढ़ गई है।
दरअसल उसके भाई मनोज कुमार ने मनीषा के घर शौचालय बनवा दिया है, जो राखी के त्योहार पर बनकर पूरा हुआ और मनोज ने उस दिन इसे अपनी बहन को तोहफे के रूप में दिया। अकेला मनोज कुमार ही नहीं हरदा जिले के कई गाँवों के भाईयों ने अपनी बहनों की इज्जत के लिये रक्षाबन्धन पर इस तरह का उपहार दिया है।
इसी गाँव में रहने वाली आरती बताती है कि उसका भाई आर्यन उससे उम्र में छोटा है पर इस बार उसने मेरे ससुराल में शौचालय बनवाकर मेरा मान बढ़ाया है। यह मेरे लिये कपड़े-गहने से भी बड़ा उपहार है। वह बताती है कि अब तक घर में शौचालय नहीं होने से इज्जत दाँव पर रखकर खुले जंगल की ओर जाना पड़ता था, इससे कई बार शर्म, अपमान और परेशानियाँ सहन करना पड़ती थी।
स्थानीय रहवासी राधेश्याम चौहान बताते हैं कि महाभारत की कहानी में भी श्रीकृष्ण ने अपनी बहन द्रोपदी के चीरहरण के समय उसकी लाज बचाई थी आज ऐसे ही भाई अपनी बहन की इज्जत के लिये शौचालय बनवा रहे हैं। अब खुले में शौच को बन्द कर अपनी बहन-बेटियों की लाज को उसी तरह बचाए रखने के लिये शौचालय का वास्ता दिया जा रहा है।
प्रेरक सन्तोष कुमार मुजाल्दे बताते हैं कि जिला कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव इस काम में खासी रुचि ले रहे हैं। वे खुद जहाँ भी जाते हैं, गाँवों में स्वच्छता के लिये शौचालयों पर जोर देते हैं। जिले के कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव का कहना है कि शौचलयों को भावनात्मक रूप से जोड़कर शौचायलय इस्तेमाल करने की परिपाटी डालने की कोशिश की जा रही है। हर त्योहारों से जोड़कर शौचालयों को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे।
इसके अलावा यहाँ प्रशासन ने खुले में शौचमुक्त गाँवों से खरीदे जाने वाले दूध की कीमत भी बढ़ा दी है। इसके लिये प्रशासन दूध पर प्रति लिटर 25 पैसे की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दे रहा है।
गौरतलब है कि हरदा जिले में ज्यादातर परिवारों के पास दुधारू मवेशी हैं और इन गाँवों में बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन किया जाता है। इस नई पहल को शुरू किया है जिला प्रशासन के आग्रह पर यहाँ की सहयोग स्वच्छ दुग्ध प्राइवेट लिमिटेड ने। इस निजी कम्पनी के संचालक इसे लेकर खासे उत्साहित हैं।
उनका मानना है कि खुले में शौच से मुक्त हुए गाँवों में उत्पादित दूध की कीमत इसलिये बढ़ाई गई है कि इसकी माँग ज्यादा है। डेरी के कर्मचारी खुद इन गाँवों में जा-जाकर स्वच्छता की स्थितियों की सतत निगरानी भी करते हैं। उन्होंने बताया कि खुले में शौच करने वाले गाँवों में आमतौर पर गन्दगी पसरी रहती है इसका बुरा परिणाम वहाँ के पूरे परिवेश पर पड़ता है।
जबकि इससे उलट खुले में शौच मुक्त गाँवों का परिवेश साफ़-सुथरा और निरापद होता है। यहाँ के दुधारू मवेशी भी स्वच्छ वातावरण में रहने के कारण स्वस्थ होते हैं तथा वे मानव मल रहित चारे का सेवन करते हैं। इसीलिये इनके दूध की बाज़ार में ज्यादा माँग होती है। इससे स्वच्छता की इस सामुदायिक मुहिम को गति और बल मिलेगा।
स्वच्छ भारत मिशन की राज्य कार्यक्रम अधिकारी हेमवती बर्मन भी इन प्रयासों से खासी उत्साहित हैं तथा बताती हैं कि हरदा जिले में किये जा रहे ये प्रयास अनूठे हैं और ग्रामीणों में इनका ख़ासा असर हो रहा है।
ऐसी पहल अन्य गाँवों में भी खुले में शौच से मुक्त बनने की प्रेरणा देगी, जहाँ अब भी लोग गाँव से बाहर खुले में शौच करते हैं। वहीं इससे लोगों में स्वच्छता के प्रति प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी और गाँवों में रहने वाले लोग भी अब बीमारियों से दूर रहने के लिये स्वच्छ परिवेश में रहने और स्वच्छ तौर–तरीकों से दूध उत्पादन तथा मवेशियों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगे।
हरदा जिला प्रशासन गाँवों की स्वच्छता के लिये बीते एक साल से आपरेशन मल युद्ध चला रहा है। अब तक हम 38 ग्राम पंचायतों के करीब 58 गाँवों को खुले में शौच से मुक्त कर चुके हैं। अब इन गाँवों में शत-प्रतिशत शौचालय बनाए जा चुके हैं। इसी को आगे बढ़ाने के लिये यह प्रतियोगिता रखी गई थी। हम लगातार इस तरह के प्रयास कर रहे हैं कि स्वच्छता अभियान को हरदा में सफल बना सकें...रजनीश शुक्ला, कार्यक्रम अधिकारी, जिला पंचायत हरदा
ग्रामीणों को भावनात्मक रूप से जोड़कर उनमें शौचालय इस्तेमाल करने की परिपाटी डालने की कोशिश की जा रही है। बीते दिनों राखी के त्योहार पर बहन–भाई के रिश्ते से भी इसे जोड़कर गाँव की स्वच्छता के लिये जरूरी शौचालयों को बढ़ावा देने की पहल की है। आगे अन्य त्योहारों को भी इससे जोड़ने की कोशिश करेंगे... रजनीश श्रीवास्तवजिला कलेक्टर, हरदा
2. गाँव–गाँव हो रही मुनादी
3. हरदा में प्रशासन कर रहा मल युद्ध
स्वच्छता दिवस, 02 अक्टूबर 2015 पर विशेष
बीते दिनों रक्षाबन्धन पर हरदा जिले में कुछ भाइयों ने अपनी बहन को राखी बाँधने के बदले एक ऐसे नायाब तोहफे का उपहार दिया है जो शायद अब तक किसी भाई ने अपनी बहन को नहीं दिया होगा। जी हाँ, यह कोई गहने–कपड़े का उपहार नहीं बल्कि खुले में शौच जाने वाली बहनों के लिये उनके ही घर में पक्का शौचालय बनाकर देने का तोहफा है। इसके लिये हरदा प्रशासन ने बकायदा भाई नम्बर वन के खिताब के लिये प्रतियोगिता भी रखी थी, जिसके पुरस्कार बाद में खुद मुख्यमंत्री ने बाँटे।
देश में चल रहे स्वच्छता अभियान के सपने को साकार करने में मध्य प्रदेश का एक छोटा सा जिला हरदा जिस प्रतिबद्धता और नेकनियती से काम कर रहा है, उसकी अब मिसालें दी जाने लगी हैं। बीते दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में आकाशवाणी से दिये अपने सन्देश में जब यहाँ हो रहे कामों की तारीफ़ की तो पूरे देश के लोगों का ध्यान इस तरफ एक बार फिर गया।यहाँ बीते करीब एक साल से जिला प्रशासन मल युद्ध कर रहा है। यहाँ प्रशासन गाँव–गाँव यह बात पहुँचाने में फिलहाल कामयाब होता नजर आ रहा है कि गाँवों में जब तक घर–घर शौचालय नहीं बनेंगे, तब तक स्वच्छता की बात करना भी बेमानी ही है। अब तक यहाँ बड़ी तादाद में शौचालय बनाए जा चुके हैं।
हरदा जिले की कुल 275 ग्राम पंचायतों में घरों से बाहर शौच का चलन था। लेकिन आपरेशन मल युद्ध के बाद से अब तेजी से बदलाव आ रहा है। इसके लिये प्रशासन कई तरह के जतन कर रहा है। इस अभियान के चलते अभी तक 38 ग्राम पंचायतों के करीब 58 गाँवों को शौचालय युक्त बना दिया गया है।
बीते दिनों रक्षाबन्धन पर हरदा जिले में कुछ भाइयों ने अपनी बहन को राखी बाँधने के बदले एक ऐसे नायाब तोहफे का उपहार दिया है जो शायद अब तक किसी भाई ने अपनी बहन को नहीं दिया होगा। जी हाँ, यह कोई गहने–कपड़े का उपहार नहीं बल्कि खुले में शौच जाने वाली बहनों के लिये उनके ही घर में पक्का शौचालय बनाकर देने का तोहफा है। इसके लिये हरदा प्रशासन ने बकायदा भाई नम्बर वन के खिताब के लिये प्रतियोगिता भी रखी थी, जिसके पुरस्कार बाद में खुद मुख्यमंत्री ने बाँटे।
यहाँ भाई नम्बर वन आने वाले भाइयों को खिताब मिला लेकिन उससे कहीं बड़ी बात उनके लिये अपनी बहन की दुआएँ थीं। गाँव–गाँव इसके लिये प्रशासन ने मुनादी करवाई और जगह–जगह इसके प्रचार–प्रसार के लिये बड़े–बड़े होर्डिंग्स भी लगाए थे। इसमें भाइयों से भाई नम्बर वन बनने के लिये आग्रह किया जा रहा है।
हरदा जिले के सिरकम्बा गाँव में मनोज कुमार की बहन मनीषा की शादी एक मजदूर परिवार में हुई है। इस परिवार ने आज़ादी के बाद से 68 सालों में अब तक कभी अपने घर में शौचालय की बात तो दूर सपने में भी नहीं सोचा था, लेकिन इन दिनों मनीषा फूली नहीं समा रही। उसके भाई की वजह से ससुराल में उसकी साख बढ़ गई है।
दरअसल उसके भाई मनोज कुमार ने मनीषा के घर शौचालय बनवा दिया है, जो राखी के त्योहार पर बनकर पूरा हुआ और मनोज ने उस दिन इसे अपनी बहन को तोहफे के रूप में दिया। अकेला मनोज कुमार ही नहीं हरदा जिले के कई गाँवों के भाईयों ने अपनी बहनों की इज्जत के लिये रक्षाबन्धन पर इस तरह का उपहार दिया है।
इसी गाँव में रहने वाली आरती बताती है कि उसका भाई आर्यन उससे उम्र में छोटा है पर इस बार उसने मेरे ससुराल में शौचालय बनवाकर मेरा मान बढ़ाया है। यह मेरे लिये कपड़े-गहने से भी बड़ा उपहार है। वह बताती है कि अब तक घर में शौचालय नहीं होने से इज्जत दाँव पर रखकर खुले जंगल की ओर जाना पड़ता था, इससे कई बार शर्म, अपमान और परेशानियाँ सहन करना पड़ती थी।
स्थानीय रहवासी राधेश्याम चौहान बताते हैं कि महाभारत की कहानी में भी श्रीकृष्ण ने अपनी बहन द्रोपदी के चीरहरण के समय उसकी लाज बचाई थी आज ऐसे ही भाई अपनी बहन की इज्जत के लिये शौचालय बनवा रहे हैं। अब खुले में शौच को बन्द कर अपनी बहन-बेटियों की लाज को उसी तरह बचाए रखने के लिये शौचालय का वास्ता दिया जा रहा है।
प्रेरक सन्तोष कुमार मुजाल्दे बताते हैं कि जिला कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव इस काम में खासी रुचि ले रहे हैं। वे खुद जहाँ भी जाते हैं, गाँवों में स्वच्छता के लिये शौचालयों पर जोर देते हैं। जिले के कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव का कहना है कि शौचलयों को भावनात्मक रूप से जोड़कर शौचायलय इस्तेमाल करने की परिपाटी डालने की कोशिश की जा रही है। हर त्योहारों से जोड़कर शौचालयों को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे।
इसके अलावा यहाँ प्रशासन ने खुले में शौचमुक्त गाँवों से खरीदे जाने वाले दूध की कीमत भी बढ़ा दी है। इसके लिये प्रशासन दूध पर प्रति लिटर 25 पैसे की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दे रहा है।
गौरतलब है कि हरदा जिले में ज्यादातर परिवारों के पास दुधारू मवेशी हैं और इन गाँवों में बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन किया जाता है। इस नई पहल को शुरू किया है जिला प्रशासन के आग्रह पर यहाँ की सहयोग स्वच्छ दुग्ध प्राइवेट लिमिटेड ने। इस निजी कम्पनी के संचालक इसे लेकर खासे उत्साहित हैं।
उनका मानना है कि खुले में शौच से मुक्त हुए गाँवों में उत्पादित दूध की कीमत इसलिये बढ़ाई गई है कि इसकी माँग ज्यादा है। डेरी के कर्मचारी खुद इन गाँवों में जा-जाकर स्वच्छता की स्थितियों की सतत निगरानी भी करते हैं। उन्होंने बताया कि खुले में शौच करने वाले गाँवों में आमतौर पर गन्दगी पसरी रहती है इसका बुरा परिणाम वहाँ के पूरे परिवेश पर पड़ता है।
जबकि इससे उलट खुले में शौच मुक्त गाँवों का परिवेश साफ़-सुथरा और निरापद होता है। यहाँ के दुधारू मवेशी भी स्वच्छ वातावरण में रहने के कारण स्वस्थ होते हैं तथा वे मानव मल रहित चारे का सेवन करते हैं। इसीलिये इनके दूध की बाज़ार में ज्यादा माँग होती है। इससे स्वच्छता की इस सामुदायिक मुहिम को गति और बल मिलेगा।
स्वच्छ भारत मिशन की राज्य कार्यक्रम अधिकारी हेमवती बर्मन भी इन प्रयासों से खासी उत्साहित हैं तथा बताती हैं कि हरदा जिले में किये जा रहे ये प्रयास अनूठे हैं और ग्रामीणों में इनका ख़ासा असर हो रहा है।
ऐसी पहल अन्य गाँवों में भी खुले में शौच से मुक्त बनने की प्रेरणा देगी, जहाँ अब भी लोग गाँव से बाहर खुले में शौच करते हैं। वहीं इससे लोगों में स्वच्छता के प्रति प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी और गाँवों में रहने वाले लोग भी अब बीमारियों से दूर रहने के लिये स्वच्छ परिवेश में रहने और स्वच्छ तौर–तरीकों से दूध उत्पादन तथा मवेशियों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगे।
हरदा जिला प्रशासन गाँवों की स्वच्छता के लिये बीते एक साल से आपरेशन मल युद्ध चला रहा है। अब तक हम 38 ग्राम पंचायतों के करीब 58 गाँवों को खुले में शौच से मुक्त कर चुके हैं। अब इन गाँवों में शत-प्रतिशत शौचालय बनाए जा चुके हैं। इसी को आगे बढ़ाने के लिये यह प्रतियोगिता रखी गई थी। हम लगातार इस तरह के प्रयास कर रहे हैं कि स्वच्छता अभियान को हरदा में सफल बना सकें...रजनीश शुक्ला, कार्यक्रम अधिकारी, जिला पंचायत हरदा
ग्रामीणों को भावनात्मक रूप से जोड़कर उनमें शौचालय इस्तेमाल करने की परिपाटी डालने की कोशिश की जा रही है। बीते दिनों राखी के त्योहार पर बहन–भाई के रिश्ते से भी इसे जोड़कर गाँव की स्वच्छता के लिये जरूरी शौचालयों को बढ़ावा देने की पहल की है। आगे अन्य त्योहारों को भी इससे जोड़ने की कोशिश करेंगे... रजनीश श्रीवास्तवजिला कलेक्टर, हरदा
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Post By: RuralWater