‘मल-मूत्र सफाई’ नाम से श्री बल्लभस्वामी की एक पुस्तक 1949 में प्रकाशित हुई थी। श्री धीरेन्द्र मजूमदार की किताब ‘सफाई-विज्ञान’, श्री कृष्णदास शाह के अनुभव और ‘मल-मूत्र सफाई’ तीनों का इस्तेमाल करके श्री बल्लभस्वामी ने ‘सफाईः विज्ञान और कला’ नाम से यह किताब लिखी जो 1957 में प्रकाशित हुई। भंगी-मुक्ति के गांधीजी के सेनानी श्री अप्पासाहब पटवर्धन के लेखन का भी उपयोग इस किताब में है।
1957 की प्रकाशित यह पुस्तक उस समय तक ज्ञात सभी सस्ते और टिकाऊ सफाई के साधनों को सरल हिन्दी में लोगों को बताती है। आज के दौर में हालांकि तकनीक ने काफी प्रगति की है। फिर भी उस समय की ये जानकारियां अभी भी पूरा महत्व बनाए हुए हैं क्योंकि गांव, कस्बे, शहर की झुग्गी-झोपड़ बस्तियां और चमकते माल्स और बहुमंजिली इमारतें सभी के सभी सफाई के प्रति अज्ञान और असमझ से भरे हैं।
बल्लभस्वामी जी की यह पुस्तक हालांकि अब प्रकाशन में नहीं रह गयी है। पर इस पुस्तक की जानकारियां और प्रयोग अब और ज्यादा प्रासंगिक हो गये हैं। पोर्टल टीम आप सभी के उपयोग के लिए यह पुस्तक दे रही है।
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