नदियाँ गुस्से में हैं

नदियों का कटान
नदियों का कटान
गोण्डा तथा बहराइच में सरयू तथा घाघरा नदियों के धारा बदलने से दर्जनों गावों के अस्तित्व पर संकट है। नदियों के धारा बदलने का काम प्राय: मानवीय हस्तक्षेप का ही परिणाम होता है। नदियों के रास्ते में रुकावट, उनके आगोर के जंगल खत्म होने, उनके ढांड़ को खनन से समाप्त करने आदि नदियों के गुस्सा के कारण होते हैं।

बरसात समाप्त होने के बाद भी सरयू तथा घाघरा नदियों के कछार में रह रहे लोगों की दुश्वारियां समाप्त नहीं हो रही हैं। गोण्डा तथा बहराइच जनपद में घाघरा तथा सरयू नदियों के कटान से न केवल गोण्डा जनपद के कर्नलगंज तहसील का चंदापुर किटौली गांव का अस्तित्व समाप्त हो गया है, अपितु क्षेत्र की हजारों एकड़ फसल कटकर नदी की धारा में विलीन हो चुकी है। नदी के धारा बदलने से हजारों एकड़ गन्ने की फसल कटकर बह गई। कैसरगंज से सपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने कटान से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया तथा सरकार से इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए पैकेज की मांग की। नदी के कटान के कारण आने वाले दिनों में गोण्डा व फैजाबाद जनपदों के बीच सीमा विवाद की संभावना भी बलवती हो गई है।

बरसात के महीने में घाघरा तथा सरयू नदियों में आई बाढ़ के कारण क्षेत्र के हजारों लोग बुरी तरह प्रभावित हुए। हजारों एकड़ फसल बर्वाद हो गई। सैकड़ो मकान गिरे। सैकड़ों लोग अब भी बंधों पर शरण लिए हुए हैं। इतना सबकुछ होने के बावजूद नदी के किनारे बसे लोगों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। घाघरा तथा सरयू नदियों में पानी काफी कम हो जाने के बावजूद अब भी कटान हो रही है। गोण्डा जनपद के तरबगंज तहसील में साखीपुर, तुलसीपुर माझा तथा दत्त नगर गांवों की हजारों एकड़ जमीन नदी की धारा में विलुप्त हो चुकी है। क्षेत्रवासी बताते हैं कि इस समय सरयू नदी की धारा करीब तीन किमी गोण्डा जनपद की सीमा के अंदर है। साखीपुर के ग्राम प्रधान जय सिंह ने बताया कि उनके ग्राम सभा की करीब 800 एकड़ जमीन कटकर नदी की धारा में विलुप्त हो चुकी है। यहां के करीब 100 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं। तुलसीपुर माझा की प्रधान उर्मिला सिंह के प्रतिनिधि लाल जी सिंह ने बताया कि उनके गांव सभा की करीब 2500 एकड़ जमीन कटकर सरयू की धारा में विलुप्त हो गई है। उन्होने बताया कि गाटा संख्या 2508 का 120 एकड़, 2509 का 450 एकड़, 2510 का 1200 एकड़, 2942 का 385 एकड़, 2516 का 250 एकड़, 2520 का 25 एकड़, 2521 का 42 एकड़ तथा 3207 का 450 एकड़ पूर्ण या आंशिक कटकर सरयू की धारा में विलीन हो चुका है। उन्होंने बताया कि इन भू खण्डों पर गांव के सैकड़ो दलितों का पट्टा भी था, जिस पर उनके आवास बने थे। शीशम आदि के पेड़ तथा गन्ना, धान आदि की फसलें भी लगी थीं।

सरयू नदी की धारा करीब तीन किमी गोण्डा जनपद की सीमा के अंदर जा चुकी है। साखीपुर के ग्राम प्रधान जय सिंह ने बताया कि उनके ग्राम सभा की करीब 800 एकड़ जमीन कटकर नदी की धारा में विलुप्त हो चुकी है। यहां के करीब 100 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं। तुलसीपुर माझा की प्रधान उर्मिला सिंह के प्रतिनिधि लाल जी सिंह ने बताया कि उनके गांव सभा की करीब 2500 एकड़ जमीन कटकर सरयू की धारा में विलुप्त हो गई है। दत्त नगर के प्रधान अशोक कुमार सिंह ने बताया कि उनके गांव सभा में गाटा संख्या 1069, 1070, 1071 की करीब 800 एकड़ जमीन सरयू की धारा में विलीन ही चुकी है। उन्होंने बताया कि फैजाबाद जनपद में सोहावल स्थित पम्प नहर को बचाने के चक्कर में वहां भारी मात्रा में बोल्डर डाला जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप न केवल नदी की धारा परिवर्तित होती है, अपितु दिशा भी बदल जाता है। उन्होने बताया कि इस समय सरयू नदी पश्चिम से पूरब के बजाय दक्षिण से उत्तर की ओर बह रही है। जानकारी के अनुसार, नदी की कटान से दुर्गा गंज माझा, माझा राठ, जैदपुर, ब्यौंदा माझा और बहादुर पुर आदि गांव प्रभावित होते हैं। इस समय सरयू की धारा करीब तीन चार किमी गोण्डा जनपद की सीमा के अंदर आ गई है, जिससे जनपद का भूगोल गड़बड़ हो रहा है। धारा बदलने के कारण गोण्डा जनपद का काफी भू भाग फैजाबाद जनपद में चला गया है, जिससे दो जनपदों के बीच सीमा विवाद की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना प्रबल हो गई है। तुलसीपुर माझा के ग्राम प्रधान ने बताया कि उनके गांव के करीब 100 दलितों के आवासीय पट्टे की पत्रावली तरबगंज के स्थानांतरित उपजिलाधिकारी इन्द्रेश कुमार के पास लम्बित है। तहसीलदार की संस्तुति के बावजूद उन्होने निजी स्वार्थवश अनुमोदन नहीं किया और बाद में जिलाधिकारी ने उन्हें यहां से हटा भी दिया।

कैसरगंज से समाजवादी पार्टी के सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने पूर्व सिंचाई मंत्री योगेश प्रताप सिंह व जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अवधेश कुमार उर्फ मंजू सिंह के साथ कटान से प्रभावित तरबगंज तहसील के कुछ गांवों का दौरा किया तथा पीडितों से मिलकर उनकी समस्याओं को हल कराने का आश्वासन दिया। बाद में पत्रकारों से उन्होने कहा कि गोण्डा जनपद में तरबगंज तहसील के चार गांवों में नदी की कटान के कारण करीब 4200 एकड़ जमीन या तो धारा बन चुकी है अथवा फैजाबाद जनपद की ओर हो गई है। कम से कम 1500 परिवार बेघर हो गए हैं, जो सड़कों अथवा बंधे पर शरण ले रखे हैं। कर्नलगंज तहसील का चंदापुर किटौली गांव का तो अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। यहां के लोग पिछले तीन सालों से बंधे पर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। स्कूल और अस्पताल कटकर समाप्त हो चुका है। यहां के लोगों को पड़ोसी गांव सभा पसका में स्थित 1500 एकड़ खाली पड़ी भूमि पर आवासीय पट्टा दिए जाने का प्रस्ताव किया गया था, किन्तु इस दिशा में भी अभी कोई प्रगति नहीं हो पाई है। सांसद ने कहा कि दलितों की हितैषी होने की ढोंग करने वाली बसपा सरकार में सैकड़ो दलितों के आवासीय पट्टे शासन में लम्बित हैं तथा करीब 100 लोगों के पट्टे का प्रस्ताव तहसीलदार द्वारा स्वीकृत किए जाने के बावजूद निजी स्वार्थवश दलित उपजिलाधिकारी ने ही स्वीकृत नहीं किया। उन्होने कहा कि चंदापुर किटौली के सैकड़ो विस्थापितों को सिंचाई विभाग के अधिकारी बंधे से हटाना चाहते हैं किन्तु उनके विस्थापन के स्थायी समाधान होने तक उनको हटाए जाने का समाजवादी पार्टी ब्यापक विरोध करेगी।

सांसद ने कहा कि इसी प्रकार बहराइच जनपद के कैसरगंज तहसील में गोडहिया नम्बर 3 व 4, नासिरगंज, हाता, बहरामपुर, पुरैना, तपे सियाह, नियामतपुर तथा रेतीहाता गांवों में भी घाघरा नदी की कटान से करीब दो हजार परिवार बेघर हो गए हैं। उन्होने कहा कि वे कटान से विस्थापित हुए लोगों को आवासीय पट्टा देने, खसरे की पड़ताल के मुताबिक घर, पेड़, बोरिंग आदि का मुआवजा देने, सभी विस्थापित परिवारों को इंदिरा आवास की सुविधा देने, कृषि योग्य भूमि के बदले कृषि योग्य भूमि का पट्टा देने तथा कटान रोकने के स्थायी समाधान के लिए विशेषज्ञ अभियंताओं की समिति द्वारा सर्वेक्षण कराकर सकरौर-भिखारी पुर तटबंध को बढ़ाकर लोलपुर तक कराने व बंधे की बोल्डर पिचिंग कराने की मांग को लेकर शीघ्र ही आयुक्त के साथ एक शिष्टमण्डल लेकर वार्ता करेंगे।

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