हरिद्वार जिला प्रशासन ने गंगा की अविरलता और गंगा एक्ट पास करने की माँग को लेकर कनखल स्थित मातृ सदन में संथारा कर रहे सन्त गोपाल दास को बुधवार को फिर से एम्स, ऋषिकेश में दाखिल करा दिया।
सन्त गोपाल दास को प्रशासन द्वारा मंगलवार को ही एम्स, ऋषिकेश से छुट्टी दिए जाने पर मातृ सदन पहुँचाया गया था। इससे पूर्व अनशन के दौरान स्थिति बिगड़ने पर उन्हें शनिवार को अहले सुबह प्रशासन द्वारा एम्स में दाखिल कराया गया था।
अस्पताल से मातृ सदन लौटने के बाद उन्होंने संथारा करने का ऐलान किया था। बुधवार को उन्होंने अपनी साधना शुरू कर दी और पानी का भी त्याग कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने सरकार के रवैये के प्रति विरोध दर्शाने के लिए हाथ की अंगुली काट कर अपने खून से एक पत्र भी लिखा। संथारा और खून से पत्र लिखने की बात की जानकारी मिलने पर प्रशासन ने डॉक्टरों की दो टीमों को गोपाल दास की जाँच के लिए मातृ सदन भेजा। लेकिन उन्होंने दोनों ही टीमों को बैरंग लौटा दिया। इसके बाद कनखल सीओ की अध्यक्षता में प्रशासन की टीम मातृ सदन पहुँची और बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्हें दोबारा एम्स भेज दिया गया। उन्हें एम्स के इमरजेंसी वार्ड में दाखिल कराया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को एम्स में दाखिल किये जाने के बाद गोपाल दास को जबरदस्ती लिक्विड डायट दी गई थी जिससे उनका अनशन टूट गया था। वे 24 जून, 2018 से गंगा की अविरलता और निर्मलता की माँग को लेकर उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों पर घूम-घूमकर अनशन कर रहे थे। उनका अनशन बद्रीनाथ से शुरू हुआ था। 11 अक्टूबर को जब हृदयगति रूक जाने से 112 दिनों से अनशन कर रहे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का देहावसान हो गया था तो इन्होंने उनके नक्शे कदम पर चलते जल त्यागकर अनशन शुरू किया था।
संथारा ऐसी साधना होती है जिसके द्वारा सन्त अन्नजल का पूर्णतः त्याग कर अपना शरीर त्याग देते हैं।
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