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भूजल
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा
Posted on 15 May, 2024 09:10 AMदेहरादून। ‘वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ के वैज्ञानिकों ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेटों के टक्कर से उत्पन्न होने वाले भूकंपों के अध्ययन डाटा को एकत्रित किया है और डाटा से उन क्षेत्रों की पहचान की है जो भूकंप से अत्यधिक प्रभावित और जोखिम में हैं। इस अनुसंधान के अनुसार, पूर्वी हिमालय के दार्जिलिंग, सिक्किम, अरुणाचल, असम और भूटान क्षेत्रों में भवि
भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड के विषाक्तता मामले पर एनजीटी का राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस
Posted on 30 Dec, 2023 02:13 PMभूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्वों की मौजूदगी, मानव शरीर पर गंभीर विषाक्त प्रभाव डालती है, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने स्वीकार भी किया है, लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस मुद्दे पर दिनांक 30.11.2023 को हिंदुस्तान ने समाचार प्रकाशित किया था, समाचार का शीर्षक था “25 राज्यों के भूजल में आर्सेनिक, 27 राज्यों में फ्लोराइड पाया गया: सरकार।” एनजीटी ने इस मीडिया
भारत की भूजल चुनौतियां
Posted on 14 Dec, 2023 10:56 AMभूजल का आपके लिए महत्व तभी होता है जब आप पानी का अभाव भोग रहे होते हैं। इक्कीसवीं सदी का भारत जिन सबसे जटिल व सामाजिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मुद्दों का सामना कर रहा है उनमें से बहुत से मुद्दे भूजल प्रबंधन से सम्बंधित हैं। इनका निराकरण किस तरह किया जाता है इसका सीधा प्रभाव पर्यावरण और अधिकांश ग्रामीण व शहरी लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर पड़ेगा। भूजल एक छुपा हुआ संसाधन है। यही कारण है कि इस सं
भूजल भण्डार
Posted on 12 Dec, 2023 12:12 PMजब कई महीनों वर्षा नहीं होती, तालाब और छोटी नदियां सूख जाती हैं तब भी हमें कुओं से पानी मिलता रहता है।तब यह भी देखा होगा कि किसी साल बरसात कम हो तो बहुत से कुएं भी सूख जाते हैं। जब वर्षा होती है, तब कुएं में फिर से पानी आ जाता है। यही नहीं, कुओं को लेकर अलग-अलग जगहों के हालात भी अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए मालवा के पठार में एक गांव है, अरलावदा। पिछले कुछ सालों में यहां पानी की कमी बहुत गंभीर हो
सहभागी भूजल प्रबंधन की अवधारण, आवश्यकता एवं औचित्य
Posted on 11 Dec, 2023 11:52 AMसहभागिता क्या है ?
सहभागिता व सहयोग परस्पर समानार्थी हैं लेकिन हैं एकदम अलग-अलग । सहयोग की प्रक्रिया में जहां व्यक्ति एक-दूसरे की सहायता करते हैं जो क्षणिक भी हो सकता है, वहीं सहभागिता मिलजुलकर जिम्मेदारियां बांटकर निर्णय लेने और साथ काम करने की प्रक्रिया है, इसमें सभी पक्षों की जिम्मेदारियां, अधिकार व लाभ तय होते हैं। सहभागिता में सभी पक्ष एक साझे और सकारात्मक
अटल भूजल योजना कब, क्यों और क्या (When, why and what of Atal Bhujal Yojana in Hindi)
Posted on 08 Dec, 2023 04:38 PM1 - अटल भूजल योजना का प्राथमिक उद्देश्य
इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य चयनित क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना। केन्द्र / राज्य सरकार स्तर पर विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से समुदाय के नेतृत्व में भूजल प्रबंधन में उचित सुधार करना तथा प्रबंधन कार्यों को लागू करना।अटल भूजल योजना को स्थायी भूजल प्रबंधन पर लक्षित किया गया है, मुख्य रूप से स
भूजल की खोज और अवधारणा (Discovery and concept of groundwater in Hindi)
Posted on 08 Dec, 2023 03:32 PMभूमि के नीचे पाये जाने वाले जल को ही भूजल कहते हैं। वर्षा के जल अथवा बर्फ के पिघलने से पानी का कुछ भाग भूमि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है या कुछ जलराशि भूजल की ऊपरी परत से रिस-रिसकर जमीन के नीचे चली जाती है और यही जल भूमि जल बनता है।
तीन गुणा बढ़ जाएगी भूजल में गिरावट की दर
Posted on 25 Nov, 2023 03:42 PMभूजल-आपदा
दुनियाभर में बढ़ता तापमान अपने साथ अनगिनत समस्याएं भी ला रहा है, जिनकी जद से भारत भी बाहर नहीं है। ऐसी ही एक समस्या देश में गहराता जल संकट है जो जलवायु में आते बदलावों के साथ और गंभीर रूप ले रहा है। इस बारे में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते तापमान और गर्म जलवायु के चलते भारत आने वाले दशकों में अपने भूजल का कहीं ज
भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण (Methods of artificial recharge of groundwater in hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 04:28 PMभूजल के कृत्रिम पुनर्भरण का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल को विभिन्न प्रकार की संरचनाओं के माध्यम से होकर भूजल स्तर तक ले जाना होता है। ऐसा करने से सतही अपवाह जो बहकर अन्यत्र चला जाता है उसे कम किया जा सकता है जिससे भूजल स्तर में वृद्धि होती है। कृत्रिम पुनर्भरण द्वारा मृदा के कटाव एवं सूखे के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
मध्य गंगा घाटी में घटता भू-जल विकास स्तर : समस्याएं एवं समाधान
Posted on 17 Nov, 2023 12:53 PMसारांश
पृथ्वी तल के नीचे स्थित किसी भूगर्भिक स्तर की सभी रिक्तियों में विद्यमान जल को भू-जल कहा जाता है। अपने देश में लगभग 300 लाख हेक्टोमीटर भू-जल उपलब्ध है, जिसका लगभग 80 प्रतिशत हम उपयोग कर चुके हैं। यदि भू-जल विकास स्तर की दृष्टि से देखा जाए तो अपना देश घूमिल सम्भावना क्षेत्र से गुजर रहा है, जो शीघ्र ही सम्भावनाविहीन क्षेत्र के अन्तर्गत आ जायेगा। यही स्थिति