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/topics/rainwater-harvesting
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निम्न तथा अत्यंत अनिश्चित फसल उत्पादन और भू-जल के तेजी से गिरते स्तर अर्ध-शुष्क वर्षा-पोषित क्षेत्रों के लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं जिन्हें हल किया जाना जरूरी है। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में अधिक और अनियमित वर्षा तथा मिट्टी की अल्प पारगम्यता के कारण भारी मात्रा में वर्षा जल धरातल पर बह जाता है और गंभीर अपरदन के खतरे उत्पन्न होते हैं। इस क्षेत्र में जल का संरक्षण, बेंच टैरेस के जरिए खेतों में वर्षा ज
सड़कों को नुकसान पहुंचाने वाले वर्षा जल का ठीक से इस्तेमाल कर देश में घटते भूजल स्तर को संभाला जा सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि योजनाओं को समावेशी बनाए जाए और जल की उपलब्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
वर्षा के पानी का बाद में उत्पादक कामों में इस्तेमाल के लिए इकट्ठा करने को वर्षा जल संग्रहण कहा जाता है। आपकी छत पर गिर रहे बारिश के पानी को सामान्य तरीके से इकट्ठा कर |
रूफ वाटर हारवेस्टिंग :
: ऊपर से देखने पर इस संरचना में कुछ भी दिखाई नहीं देता। सब कुछ भूमि के अंदर होता है। इस संरचना द्वारा नदी-नालों की सतह से ढलान की ओर जाने वाली पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर डाइक के ऊपर की ओर भू-जल संग्रहण में वृद्धि की जाती है। डाइक के गहराई एवं चौडाई का निर्णय वहाँ की परिस्थिति के अनुसार किया जाता है।
यह संरचना विशेषतः उन क्षेत्रों में, जहाँ तालाब और नालों की तलहटी में काली मिट्टी की अपारगम्य परत का निर्माण होने से वर्षा का पानी ऊपर से बह जाता है। साथ ही उस क्षेत्र विशेष के कुओं का जलस्तर नीचे चला गया हो, वहाँ पर इसका निर्माण किया जाता है। इस संरचना में तालाब या नाले की सतह पर काली मिट्टी की अपारगम्य पर्त को पार कर पारगम्य चट्टानों तक खोदते हैं, जिसको धँसने से रोकने के लिए मजबूत लोहे की जाली