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सूखा और बाढ़
बिहार में तालाबों और आहर-पइन प्रणाली अपनाने की जरूरत
Posted on 17 Dec, 2015 02:34 PMसूखे से निपटने की नायाब योजना लेकर आई है बिहार सरकार। वह ग्रामीण क्षेत्रों में जो तालाब सूख गए हैं, उनमें नलकूप से पानी भरने जा रही है। गर्मी के मौसम में सूखे तालाबों को नलकूपों के पानी से भरने की यह योजना मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिहाज से तैयार की गई है। मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि तालाबों में नलकूप से पानी भरने के लिये 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।मत्स्यपालन से जुड़ी सहकारी समितियों को प्राथमिकता दी जाएगी। सूखे की हालत को देखते हुए यह योजना आकर्षक लगती है। इससे मत्स्यपालन और पशुओं के पेयजल की समस्या का फौरी समाधान भी हो सकता है। परन्तु प्रश्न यह है कि सूखाड़ की वजह से उत्पन्न समस्याओं का वास्तविक समाधान ऐसी योजनाओं से हो सकता है?
चेन्नई आपदा का दोषी कौन
Posted on 14 Dec, 2015 12:36 PMचेन्नई का पानी अब धीरे-धीरे उतरने लगा है। अब इस भयावह प्राकृतिक आपदा के वजह की तलाश की जा रही है। इस तलाश में यह बात अब धीरे-धीरे स्पष्ट हो गई है कि चेन्नई में आई बाढ़ प्राकृतिक आपदा नहीं थी। यह मानव निर्मित आपदा थी।
यह तो जान लें कि उनकी जरूरत क्या है
Posted on 12 Dec, 2015 01:51 PMचालीस दिन से पानी में फँसे लेागों के लिये भोजन तो जरूरी है ही और उसचेन्नई बड़ी चेतावनी है
Posted on 12 Dec, 2015 12:45 PMचेन्नई व उसके आसपास के शहरी इलाकों की रिहायशी बस्तियों के जलमग्न होने का जो हाहाकर आज मचा है, असल में वहाँ ऐसे हालात बीते एक महीने से थे। यह सच है कि वहाँ झमाझम बारिश ने सौ साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, लेकिन यह भी बड़ा सच है कि मद्रास शहर के पारम्परिक बुनावट और बसावट इस तरह की थी कि 15 मिमी तक पानी बरसने पर भी शहर की जल निधियों में ही पानी एकत्र होता और वे उफनते तो पानी समुद्र में चला जाता।
प्रकृति विदोहन के साथ-साथ मानवाधिकारों का हनन
Posted on 10 Dec, 2015 04:15 PMविश्व मानवाधिकार दिवस, 10 दिसम्बर पर विशेष
मनुष्य और प्रकृति का वैसे तो चोली दामन का साथ है पर वर्तमान में मनुष्य प्रकृति के साथ अपने स्वार्थवश क्रूर हो गया है। कारण इसके मानवकृत आपदाएँ सर्वाधिक बढ़ रही है। अर्थात् विश्व मानव अधिकार दिवस की महत्ता तभी साबित होगी जब मनुष्य फिर से प्रकृति प्रेमी बनेगा। ऐसा अधिकांश लोगों का मानना है।
सूखे का संकट
Posted on 10 Dec, 2015 09:39 AMभारतीय मौसम विभाग के मुताबिक राज्य के 31 जिलों में 50 फीसद से भी कसूखे ने सुखा दी जान
Posted on 09 Dec, 2015 05:54 PMमध्य प्रदेश में बारिश न होने से खरीफ की फसल सूख गई है। रबी की फसल के लिये भी बारिश न हुई तो अधिकांश किसानों के घरों का चूल्हा जलना मुश्किल हो जाएगा। सरकार ने मुआवजा देने का भरोसा दिला था, लेकिन अब उसमें कई शर्तें जोड़ देने
चेन्नई आपदा प्रकृति का प्रतिशोध या नसीहत
Posted on 09 Dec, 2015 09:26 AMपहले मुंबई, फिर उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और अब तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में जिस तरह प्रकृति के आगे समूचा तंत्र बेबस नजर आया, उसने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की हमारी तैयारियों पर सवाल खड़ा कर दिया है। साथ ही प्रकृति से छेड़छाड़ कर अंधाधुंध शहरीकरण की सरकारों की विकास नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। भारी बारिश की चेतावनी और तबाही की आशंका पहले ही जता देन
क्या है चेन्नई की बाढ़ की हकीक़त
Posted on 05 Dec, 2015 11:07 AMदेश का चौथा सबसे बड़ा महानगर चेन्नई जो कभी केरल का प्रवेश द्वार तक कहा जाता था और समूची दुनिया में पर्यटन की दृष्टि से आकर्षक शहरों की सूची में 52 जगहों में एक था, आज अप्रत्याशित कहें या अभूतपूर्व बारिश के कारण पानी-पानी हो गया है।जल निधियों में कूड़ा भरने से डूब गया चेन्नई
Posted on 28 Nov, 2015 03:45 PMनवम्बर-2015 में जब दीपावली सिर पर थी और पूरे देश से मानसून विदा हो चुका था, भारत के दक्षिणी राज्यों के कुछ हिस्सों में उत्तर-पश्चिमी मानसून ने तबाही मचा दी। आटोमोबाईल, इलेक्ट्रॉनिक्स व चमड़ा उद्योग के लिये दुनिया भर में नाम कमाने वाला चेन्नई शहर पन्द्रह दिनों तक गहरे पानी में डूबा रहा है।