/topics/rivers
नदियां
नदी में प्रवाह होगा तभी तो सफाई होगी
Posted on 24 Jan, 2017 01:48 PM
वाटर सेक्टर की 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती जलस्रोतों की निरापद सफाई है। 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध से जलस्रोतों में इको-सिस्टम की बर्बादी, बढ़ती गन्दगी, बढ़ता अतिक्रमण और घटती क्षमता के पुख्ता संकेतों का मिलना शुरू हो गया था। वैज्ञानिकों ने उनका अध्ययन और इंजीनियरों ने बढ़ती गन्दगी को कम करने की दिशा में काम करना प्रारम्भ कर दिया था।
सबसे पहले, सन 1986 में गंगा को साफ करने का प्रयास प्रारम्भ हुआ। इस हेतु गंगा के किनारे बसे सबसे अधिक प्रदूषित 25 स्थानों पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए। अगस्त 2009 में यमुना, महानदी, गोमती और दामोदर नदी की सफाई को जोड़कर गंगा एक्शन प्लान का दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ। पर बात नहीं बनी।
सिंधु के मोर्चे पर
Posted on 14 Dec, 2016 12:48 PMभारत- पाक आपसी सौहार्द्र से सुलझाएं मतभेदः विश्वबैंक
सिंधु में खून और पानी दोनों एक साथ कैसे बह सकता है? पाकिस्तान को हमसे पानी भी चाहिए और आए दिन लोगों का खून भी बहाता रहेगा। अगर इस मामले में कोई टांग अड़ाने की कोशिश करेगा तो भारत उसको दरकिनार कर देगा। भारत के इस स्पष्ट संदेश के बाद विश्वबेंक को समझ में आ गया है कि अगर कोई बाहरी ताकत से सिंधु मामले को सुलझाने की कोशिश की गई तो मामला और बिगड़ सकता है। भारत अब आर-पार के मूड में है।
विश्वबैंक ने कहा है कि सिंधु जलसंधि-1960 को सबसे सफल अतरराष्ट्रीय संधियों में से एक संधि के रूप में देखा जाता है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद भी बनी रही है। अब विश्वबैंक ने अपने आप को पीछे किया है और भारत-पाकिस्तान से उम्मीद की है कि वे आपस में कोई नया समझौता कर लें। विश्वबैंक द्वारा उठाए गए इस कदम का भारत ने स्वागत किया है।
नदी जोड़ परियोजना - गम्भीर होती परिस्थितियों से तालमेल जरूरी
Posted on 23 May, 2016 02:04 PM
सन 1858 में सर आर्थर थामस कार्टन ने विदेशी माल ढुलाई का खर्च कम करने के लिये दक्षिण भारत की नदियों को जोड़ने का सुझाव दिया था। उसके बाद, सन 1972 में डॉ. केएल राव ने गंगा और कावेरी नदी को जोड़ने का सुझाव दिया। लगभग 30 सालों तक प्रस्ताव परीक्षणाधीन रहा और अन्ततः आर्थिक तथा तकनीकी आधार पर अनुपयुक्त होने के कारण खारिज हुआ।
नदी, समाज और सरकार
Posted on 15 Nov, 2015 03:03 PM
इस कहानी के तीन पात्र हैं - नदी, समाज और सरकार। उनके कृत्य एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। हम, सबसे पहले प्रत्येक पात्र के बारे में मोटी-मोटी बातें जानने का प्रयास करेंगे। जानकारी के आधार पर समझ बनाएँगे। उसके बाद नदी, समाज और सरकार की जिम्मेदारियों पर चर्चा करेंगे। चर्चा का केन्द्र बिन्दु होगा प्रत्येक पात्र का हित। बदलते समय के साथ, समाज और सरकार के नजरिए में आये बदलावों को रेखांकित किया जाएगा।
कहानी का अन्तिम अध्याय, पात्रों के भविष्यफल पर अपनी राय पेश करेगा। कहानी का समापन, नदी की जिम्मेदारियों को बहाल करने के संकल्प के अनुरोध पर खत्म होगा। आइए सबसे पहले नदी को समझें-
राष्ट्रीय जल ग्रिड कितना आवश्यक
Posted on 03 Jul, 2015 08:34 PM भारत में वर्तमान में सुर्खियों में आई ‘राष्ट्रीय जल ग्रिड’ की संकलनदीजोड़ के मुद्दे पर बिहार मुख्यमन्त्री जीतनराम मांझी का पत्र प्रधानमन्त्री को
Posted on 03 Jan, 2015 11:57 AM6 नवम्बर 2014श्रद्धेय प्रधानमंत्री जी
आप अवगत् हैं कि बिहार राज्य के 81 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण, एक तरफ राज्य का उत्तरी भाग देश का सर्वाधिक बाढ़ प्रवण क्षेत्र है और प्रत्येक बर्ष बाढ़ की चपेट में रहता है, तो वहीं दक्षिणी भाग सूखा की मार से त्रस्त रहता है। बिहार में कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 6880 लाख हेक्टेयर है जो भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 73 प्रतिशत तथा देश के कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र (400 लाख हेक्टेयर) का (17.20 प्रतिशत है। उत्तर बिहार के सभी प्रमुख नदियों (बुढ़ी गण्डक का छोड़कर) का उद्गम स्थल नेपाल एवं तिब्बत में स्थित है तथा इन नदियों का तीन चौथई जलग्रहण क्षेत्र नेपाल एवं तिब्बत में ही पड़ता है। बाढ़ के शमन हेतु दीर्घकालीन स्थायी निदान के उपाय में अन्तरराष्ट्रीय पहलू निहित है क्योंकि बाढ़ शमन हेतु जलाशय का निर्माण नेपाल में ही सम्भव है। सूखा प्रवण दक्षिण बिहार क्षेत्र में सिंचाई उपलब्ध कराने एवं बाढ़ प्रवण उत्तर बिहार की जनता को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान
बहती रहे निर्मल गंगा
Posted on 22 Dec, 2014 01:13 PM गंगा को लेकर अब केवल सरकारी खानापूर्ति या हवाई बातें नहीं हो रही हबातें सब की ठीक, पर खूँटा वहीं गड़ेगा
Posted on 26 Nov, 2014 01:36 PM 2015-16 जल संरक्षण वर्ष होगा। इस वर्ष के दौरान “हमारा जिला : हमारा जल’’ के नारे को लेकर जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्रालय, हर जिले में पहुंचेगा। भारत के प्रत्येक जिले में पानी की दृष्टि से एक संकटग्रस्त गांव को ‘जलग्राम’ के रूप में चुनकर जल संकट से मुक्त किया जाएगा। भारत जल सप्ताह के सालाना आयोजन की अगली तारीखें 13-17 जनवरी, 2015 तय की गईं हैं।इन तारीखों तक मंत्रालय, जलग्राम की सूची तैयार कर लेगा। प्रत्येक जिले की जल संरचनाओं को चिन्हित करने का काम भी इन तारीखों तक पूरा हो जाएगा। मंत्रालय चाहता है कि भारत का कोई प्रखंड ऐसा न छूट जाए, जिसके बारे में यह ज्ञात न हो कि उसमें कितनी जल संरचना, कहां-कहां और किस स्थिति में हैं। इस समूची तैयारी के लिए जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारी, प्रधानमंत्री कार्यालय की रफ्तार में काम कर रहे हैं।