कुएँ और सीढ़ीदार कुएँ

Term Path Alias

/topics/wells-and-step-wells

Featured Articles
February 24, 2021 Baravas, the unique water harvesting structures of Maharashtra continue to stand the test of time. Urgent efforts need to be made to conserve them and learn from them!
A barav from Limb village in Satara district, Maharashtra (Image Source: Aarti Kelkar Khambete)
November 18, 2019 Bangalore's water utility is understaffed, under financed and unable to service the city's water needs.
Image credit: Citizen Matters
November 13, 2019 News this week
A cyclonic storm that hit India in 2016. (Source: IWP Flickr photos)
November 4, 2019 Despite being the lifeline of India’s water supplies, groundwater is overlooked by policy makers and users alike.
An irrigation well at Randullabad, Maharashtra. Image source: India Water Portal on Flickr. Image used for representational purposes only.
October 25, 2019 Groundwater use has doubled in Pune. Comprehensive mapping of groundwater resources and better management and governance is the need of the hour.
Groundwater, an exploited resource (Image Source: India Water Portal)
September 26, 2019 New report documents India’s rich traditions of water harvesting and sustainable use.
Bandhara (in Nashik, Maharashtra), a low masonry weir of 1.2 to 4.5 m height, which is constructed across a small stream for diverting the water into a small main canal taking off from its upstream side (Image: Shailendra Yashwant, Oxfam India)
बावड़ियाँ: प्राचीन भारत के भूले-बिसरे एवं विश्वसनीय जल स्रोत (भाग 2)
प्राचीन भारतवर्ष में जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाता था। विभिन्न जल स्रोतों के संरक्षण और जल संरचनाओं को लगभग सभी पूर्व के शासकों ने अपनी प्राथमिकता पर रखा था। जन कल्याण के कार्यों में बावड़ियों, कुओं, तालाबों आदि का निर्माण सर्वोपरि माना जाता था। इस लेख में भारत की कुछ प्रमुख बावड़ियों का उल्लेख किया गया है। इनके अलावा बहुत सारी बावड़ियाँ हैं जो लगभग हर छोटे-बड़े शहरों में देखने को मिल सकती हैं। इस लेख में उल्लेखित हर एक बावड़ी का अपना एक इतिहास है, एक विशिष्ट वास्तुकला है और हर एक का अपना एक विशेष ध्येय है। इनमें से कई तो मध्यकालीन युग के दौरान बनाई गई थी, जो आज भी स्थानीय लोगों की जल की मूलभूत आवश्यकता को पूरा कर रही हैं। किन्तु इनमें से अनेक बावड़ियां स्थानीय लोगों एवं सरकारी उपेक्षा का शिकार हो सूख गई हैं और जर्जर अवस्था में पहुंच गई हैं। Posted on 15 Jun, 2024 02:23 AM

अग्रसेन की बावली

अग्रसेन की बावली (जिसे उग्रसेन की बावड़ी भी कहा जाता है), प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थलों और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है। लगगभग 60 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी यह ऐतिहासिक बावड़ी नई दिल्ली में कनॉट प्लेस, जंतर मंतर के पास, हैली रोड़ पर स्थित है। यह 108 सीढ़ी या पैड़ी वाली बाबड़ी तीन मंजिला इमारत के समान ऊंची

चांद बावड़ी, साभार - Pixabay
40 साल में अकेले खोद डाला तालाब गांव में पानी का इंतजाम करके ही लिया दम
40 वर्षों के प्रयास में उन्होंने अपने दम पर एक विशाल तालाब खोद डाला। Posted on 12 Jul, 2023 12:32 PM

झारखंड के चुम्बरू तामसोय ने अपनी जिद और जुनून से गांव की तस्वीर बदल दी। चम्बरू को 1975 में सूखा पड़ने के कारण पलायन करना पड़ा। वापस लौटने के बाद तालाब खोदना शुरू किया। 

40 वर्षों के प्रयास में उन्होंने अपने दम पर एक विशाल तालाब खोद डाला,PC-लोक सम्मान
×