कृषि

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Meta Description
Agriculture, an important sector of our economy accounts for 14 per cent of the nation’s GDP and about 11 per cent of its exports. India has the second largest arable land base (159.7 million hectares) after US and largest gross irrigated area (88 milion hectares) in the world. Rice, wheat, cotton, oilseeds, jute, tea, sugarcane, milk and potatoes are the major agricultural commodities produced. More importantly, over 60 per cent of the country’s population, comprising several million small farming households, depends on agriculture as a principal income source and land continues to be the main asset for livelihood security. 
Meta Keywords
Flowers, trees
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Burning of rice residues after harvest, to quickly prepare the land for wheat planting, around Sangrur, Punjab (Image: 2011CIAT/NeilPalmer; CC BY-SA 2.0 DEED)
January 3, 2024 How has the shifting focus on rural electrification affected groundwater irrigation and agriculture in India? A study explores.
Rural electrification can affect irrigation practices. Image for representation purposes only. (Image Source: IWP Flickr photos)
नासिक हरि मंदिर में कृमि हौज
Posted on 04 Oct, 2009 11:38 AM


नासिक में हरि मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के चारों ओर एक बड़ा बगीचा है और प्रसाद बनाने के लिए पाकशाला भी। मंदिर में 25 से 30 किलों जैव अपशिष्ट का सृजन होता है, जिसमें अर्पित पुष्प, बगीचे के अपशिष्ट एवं रसोई-अपशिष्ट सम्मिलित होते है। चूंकि मंदिर घनी आबादी के बीच स्थित है, अपशिष्ट का निपटान एक बड़ी समस्या के साथ खर्चीला भी था।

पर्यावरण के अनुकूल खेती की जरूरत
Posted on 18 Sep, 2009 06:09 PM
जिस गति से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही है, लगभग उसी गति से कृषि पर पैदावार बढ़ाने का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि उपज बढ़ाने की चाह में देश के किसान ज्यादा से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल करने लगे हैं। कीटनाशकों और अन्य रासायनिक पदार्थों का उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए कितना घातक सिद्ध को सकता है, इसका प्रमाण इसी बात से मिल जाता है कि पिछले दिनों प
लापोड़िया : बदहाल गांव से हुआ खुशहाल गांव
Posted on 02 Mar, 2009 07:03 AM

-देवकरण सैनी
जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर दूदू से 25 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके का एक गांव है - लापोड़िया। यह गांव ग्रामवासियों के सामुहिक प्रयास की बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू-भाग को तीन तालाबों (देव सागर, फूल सागर और अन्न सागर) के निर्माण से जल-संरक्षण, भूमि-संरक्षण और गौ-संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है।

लापोड़िया
खारे पानी में मीठा फल
Posted on 18 Feb, 2009 09:58 AM Feb 15,2009 / जागरण याहू
नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। बीएसएफ के रिटायर्ड कमानडेंट बलजीत सिंह त्यागी ने बंजर भूमि पर फलदार पेड़ लगाने में तीन बार विफल रहने पर भी हिम्मत नहीं हारे। कृषि वैज्ञानिकों से पता चला कि भूमिगत पानी खारा होने से यहा पेड़ नहीं उग सकते। उन्होंने अपनी मेहनत व लगन से डेढ़ लाख लीटर क्षमता के वाटर हार्वेस्टिंग व भूमिगत जल रिचार्ज टैंक से जमीन को मीठे पानी से तर कर दिया। जिससे बाझ जमीन की कोख उर्वरा हो गई।
जैविक कीटनाशक अपनाकर पानी प्रदूषण से बचाएं
Posted on 09 Oct, 2008 10:40 AM

हम जिस गाँव में रहते हैं वैसे ही लगभग एक लाख गाँव पूरे उत्तर प्रदेश में है जिनमें तेरह करोड़ से भी ज्यादा लोग रहते हैं और इनमें से दस करोड़ से ज्यादा लोगों का जीवन पूर्णत: खेती पर ही आधारित है। इनमें से अधिकांश किसान तथा खेतिहर मजदूर हैं हमारे सारे किसान मिलकर पूरे देश की आवश्यकताओं का एक बटे पाँचवाँ भाग तो खुद ही पूरा करते हैं।

हमारे किसानों में से तीन चौथाई से ज्यादा तो छोटे और सीमांत किसान है। जो बीघा दो बीघा से लेकर पाँच एकड़ तक की खेती करते है। बहुत सारे लोग मानते हैं कि हमारी जोते छोटी होने के कारण खेती फायदेमन्द नहीं रह गई है

जैविक कीटनाशक
जी उठा गांव
Posted on 06 Oct, 2008 09:46 AM

अपर्णा पल्लवी

माओवाद नहीं मणिग्राम को भी देखिए
Posted on 29 Sep, 2008 10:40 AM

अमन नम्र
आजकल हम नेपाल की चर्चा सिर्फ माओवाद के संदर्भ में ही करते हैं. लेकिन नेपाल की तराई में बसे मणिग्राम दूसरे कारणों से हमें अपनी ओर बरबस आकर्षित करता है.

मैं अपनी नेपाल यात्रा के दौरान हुए ऐसे अनुभव को बांटना चाहता हूं जो समस्‍या पर बात करने से ज्‍यादा समस्‍या के समाधान के मौके तलाशने का अवसर देता है। हमारे यहां पानी के बंटवारे को लेकर अक्सर नल-टंटों से लेकर गांव-शहरों और राज्यों के बीच तक झगड़े होते रहते हैं। कई बार तो गली-मोहल्लों या खेतों में इसी वजह से लोगों की जान भी चली जाती है। लेकिन हमारे पड़ोसी देश नेपाल में पानी के बंटवारे को लेकर पिछले डेढ़ सौ सालों से एक ऐसी परंपरा चली आ रही है

वर्षा पर आधारित खेती हेतु भूमि एवं जल संरक्षण
Posted on 17 Sep, 2008 11:34 AM

भूमि एवं जल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गयी दो अनमोल सम्पदा हैं, जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीन काल से करता आया है। परन्तु वर्तमान काल में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका सन्तुलन बिगड़ ही गया है तथा भविष्य मे इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे मे पड़ जायेगा। हमारे देश की आर्थिक उन्नति मे कृषि का बहुमूल्य योगदान है। देश मे लगभग 70 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर

water harvesting structure
भंजी भाई का चेक डैम
Posted on 16 Sep, 2008 04:34 PM

गुजरात के विभिन्न हिस्सों में पानी की उपलब्धता सामान्य नहीं है। राज्य के सभी हिस्सों में जल की उपलब्धाता सामान्य बनाए रखना एक चुनौती है। सत्तार वर्षीय भंजी भाई मथुकैया ने इस चुनौती को स्वीकार किया। वे चाहते थे कि ऐसे चेक डैम बनें जिनको किसान अपने सीमित साधनों की मदद से बना सकें। इसके लिए भंजी भाई ने रेलवे फलों की अर्धाचन्द्राकार संरचना का उपयोग करने का फैसला किया।

सुब्यवस्थित गैबियन बंध/ चेकडैम
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