कृषि

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Meta Description
Agriculture, an important sector of our economy accounts for 14 per cent of the nation’s GDP and about 11 per cent of its exports. India has the second largest arable land base (159.7 million hectares) after US and largest gross irrigated area (88 milion hectares) in the world. Rice, wheat, cotton, oilseeds, jute, tea, sugarcane, milk and potatoes are the major agricultural commodities produced. More importantly, over 60 per cent of the country’s population, comprising several million small farming households, depends on agriculture as a principal income source and land continues to be the main asset for livelihood security. 
Meta Keywords
Flowers, trees
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Building the resilience of women farmers (Image: ICRISAT, Flcikr Commons)
इटावा जनपद के जल संसाधन की समस्याएँ (Water Resource Problems of Etawah district)
Posted on 22 Oct, 2017 10:14 AM

जल संसाधन की समस्यायें
बाढ़ एवं जल जमाव :
बाढ़ :



‘‘Flood is a discharge which exceeds the natural channel capacity of a river and then spills on to the adjacent flood plain’’
इटावा जनपद का लघु बाँध सिंचाई (Lower dam irrigation of Etawah district)
Posted on 18 Oct, 2017 03:16 PM

प्रकृति ने प्राकृतिक संसाधन के रूप में अनेक निधियाँ प्रदान की हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों

इटावा जनपद के अध्ययन क्षेत्र में कूप एवं नलकूप सिंचाई (Well and tubewell irrigation in the study area of Etawah district)
Posted on 18 Oct, 2017 01:12 PM
जल जीवन का आधार है। जल का सर्वाधिक उपभोग कृषि क्षेत्र में होता है। जो उसे कृत्रिम एवं प्राकृतिक साधनों द्वारा प्राप्त होता है। वर्षा के अभाव में कृत्रिम साधनों द्वारा खेतों को जल उपलब्ध कराया जाता रहा है। भाराीय वर्षा पूर्णत: मानसून से प्राप्त होती है, जो अनिश्चित, अनियमित तथा असामयिक होने के साथ-साथ विषम भी है। अत: कृषि के लिये सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। भारत में प्राचीन काल से ही सिंचाई क
इटावा जनपद के अध्ययन क्षेत्र में नहर सिंचाई (Canal irrigation in the study area of Etawah district)
Posted on 18 Oct, 2017 09:43 AM
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में सिंचाई की अत्याधिक आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि यहाँ मौसमी वर्षा होने के कारण वर्ष भर मिट्टी में नमी संचित नहीं रह पाती है। यहाँ वर्षा की अनिश्चितता पाई जाती है, तथा वर्षा का वितरण भी सर्वत्र एक समान नहीं होता है। उष्ण उपोष्ण कटिबंध में स्थित होने के कारण जल का वाष्पीकरण अधिक होता है। इन परिस्थितियों में बिना सिंचाई किये फसलों का अच्छा उत्पादन करना संभव नहीं हो पात
इटावा जनपद के अध्ययन क्षेत्र में कृषि आयाम (Agricultural dimensions in the study area of Etawah district)
Posted on 17 Oct, 2017 01:58 PM
भूमि उपयोग एवं जल संसाधन एक दूसरे के पूरक हैं, अत: जल संसाधन की उपलब्धता के अध्ययन के संबंध में भूमि उपयोग का अध्ययन बहुत महत्त्वपूर्ण है। भूमि उपयोग के प्रतिरूप का प्रभाव धरातलीय जल के पुनर्भरण पर पड़ता है। वन, झाड़ियों, उद्यानों, फसलों एवं घास के मैदानों द्वारा भूमि आच्छादित रहती है। भूमिगत जल के रिसाव को प्रभावित करने में वाष्पन एवं वाष्पोत्सर्जन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। भूमि उपयोग क
गेहूँ का आधार एवं प्रमाणित बीजोत्पादन
Posted on 16 Oct, 2017 04:33 PM
आधार बीज तैयार करने के लिये प्रजनक बीज किसी प्रमाणीकरण संस्था के मान्य स्रोत से प्राप्त किया जा सकता है। बोने से पहले थैलों पर लगे लेबल से बीज के किस्म की शुद्धता की जाँच कर लेनी चाहिए और लेबल को सम्भालकर रखना चाहिए।

निबन्धन

गेहूँ की खेती
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