Term Path Alias
/topics/lakes-ponds-and-wetlands
तालाब बनाने के लिए यों तो दसों दिशाएँ खुली है, फिर भी जगह का चुनाव करते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है, जैसे
अंधाधुंध शहरीकरण की वजह से कोलकाता का वेटलैंड क्षेत्र तेजी से घट रहा है। एक अनुमान के अनुसार, अब यह क्षेत्र 10 हजार एकड़ तक सिमट कर रह गया है। इन दिनों सुंदरवन के इलाकों में जिस तरीके से विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ चल रहा है, इस कवायद का खास असर होता नहीं दिख रहा। यहां के पानी में ऑक्सीजन कम हो रहा है। आर्सेनिक की मौजूदगी के संकेत भी मिले हैं। पानी में आर्सेनिक की मात्रा 15 मिली ग्राम तक मिली है।
जंगली बिल्ली, छोटे बंदर, ऊदबिलाव, सफेद गर्दन वाले किंगफिशर, तितलियां और पानी के सांपों की विशेष प्रजातियां, जैसे अभी कल की ही बात लगती हैं। कोलकाता के एक हिस्से में ये वन्य जीव ऐसे दिखते थे, जैसे प्रकृति की किसी वीरान और हरी-भरी गोद में सांस ले रहे हों। हाल तक वन्य जीवों की ये विशेष प्रजातियां कोलकाता के पूर्वी छोर के किनारे से गुजरती बड़ी सड़क यानी ‘ईस्टर्न मेट्रोपोलिटन बाईपास’ के किनारे के तालाबों, दलदलों और छोटी झीलों के इर्द-गिर्द फैली हरियाली की विशेषता हुआ करती थी। वजह वन्य जीवों की ऐसी ढाई सौ से अधिक प्रजातियां सिर्फ और सिर्फ कोलकाता के जलभूमि क्षेत्र (वेटलैंड्स) में पाई जाती थी। लेकन अब भूमि के इस्तेमाल के कानूनों को तोड़-मरोड़ कर वेटलैंड्स पाटे जा रहे है और उन पर कॉलोनियां विकसित करने की होड़ लगी है, उससे प्रकृति का यह वरदान नष्ट हो रहा है। इससे भी कहीं ज्यादा रफ्तार से यहां की लुप्तप्राय प्रजातियों का रहा-सहा अस्तित्व भी संकट में है।किले के चारों कोनों पर चार कुएं बने हुए हैं, जो अब सूख चुके है। ये कुएं किले की दीवार के अंदर इस प्रकार से