जलवायु परिवर्तन

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August 11, 2024 Even in the face of daunting challenges like climate change, collective action and community engagement can lead to meaningful change
SeasonWatch tree walk at Rupa Rahul Bajaj Centre for Environment and Art (Image: SeasonWatch)
August 2, 2024 There is a need for a multi-faceted approach to disaster management, combining advanced monitoring, early warning systems, community preparedness, and sustainable land use practices to mitigate future risks.
Aftermath of a 2022 landslide on Nedumpoil ghat road (Image: Vinayaraj, Wikimedia Commons; CC BY-SA 4.0)
July 10, 2024 Millions of trees are fast disappearing from India's farmlands. What are its implications for agriculture and the environment?
Disappearing trees over Indian farmlands (Image Source: WOTR)
June 7, 2024 Scientists question effectiveness of nature-based CO2 removal using the ocean
Ocean ecosystem (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
June 6, 2024 एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम?
गर्म होते महासागर
May 31, 2024 From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
A multifaceted approach to urban heatwaves (Image: Sri Kolari)
हम हिमालय की सुरक्षा क्यों नहीं कर पा रहे हैं
हम हिमालय की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं, जबकि हिमालय राष्ट्र की जीवनशक्ति है। सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक नदियां हिमनदों से ही निकलती हैं और ये हिमनद ग्लोबल वार्मिंग तथा ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से पिघलकर पीछे हटते जा रहे हैं। चिंतनशील भारतीय आज इसलिए स्तब्ध हैं कि आखिरकार वैज्ञानिकों की अनवरत चेतावनियाँ देने के बावजूद प्राकृतिक विनाश की प्रत्यक्ष क्षति देखते हुए भी हम हिमालय को अपने अवांछित निर्माण, खनन आदि गतिविधियों से अस्थिर क्यों कर रहे हैं? Posted on 30 Oct, 2023 12:26 PM

यह देखकर हम सभी स्तब्ध हैं कि भूकंप के प्रति संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में जानबूझकर एनटीपीसी द्वारा सुरंगों, मकानों और भारी भरकम बहुमंजिला होटलों का निर्माण क्यों हो रहा है? ब्यूरोक्रेसी भी जानबूझकर क्यों अनजान बन रही है?

हाइड्रो आधारित विद्युत परियोजनाएं,Pc-सर्वोदय जगत
बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
नासा की एक खोज के अनुसार अंटार्कटिका में औसतन 150 बिलियन टन और ग्रीनलैंड आइस कैप में 270 बिलियन टन बर्फ प्रति वर्ष पिघल रही है। आगे आने वाले समय में सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियां सिकुड़ जाएंगी और बढ़ता हुआ समुद्री जल स्तर खारे पानी की वजह से डेल्टा क्षेत्र को मनुष्य के रहने लायक नहीं छोड़ेगा। Posted on 30 Oct, 2023 12:02 PM

वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के दोहन से पृथ्वी पर जीव जंतुओं, वनस्पतियों; यहां तक कि मनुष्य के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग गया है। जीवन जल, वायु, अग्नि, मिट्टी और आकाश इन पांच तत्वों से मिलकर बना है। केवल अग्नि को छोड़कर शेष चारों तत्व आज सीधे तौर पर मनुष्य द्वारा इतने प्रदूषित कर दिए गए हैं कि मनुष्य स्वयं अपना जीवन लील रहा है, आगे आने वाली पीढ़ियों पर अस्तित्व का भयंकर संकट मंड़रा रहा है। इन चा

बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
अगरबत्ती उद्योग पर ग्लोबलाइजेशन की मार
पहले जब यह उद्योग आयात और मशीन से बचा हुआ था, तो इसमें कॉटेज उद्योग के चरित्र थे, ह्यूमन इंटेंसिविटी ज्यादा थी, तब विकेंद्रीकरण था और अब बड़ी बड़ी पूंजी है, औटोमेशन है, मार्केटिंग के एक से एक इंतजामात हैं। पहले जब यह उद्योग अनऑर्गनाइज्ड था, तब सरकार की जीएसटी, वैट जैसे करों की वसूली इतनी व्यवस्थित नहीं थी, जितनी आज है। भारत की अर्थव्यवस्था में ग्लोबलाइजेशन के प्रवेश और आयात में मुनाफाखोरी ने बांस से सींक बनाने की इस वृहत्तर रोज़गार व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. Posted on 30 Oct, 2023 11:17 AM

किसी भी प्रजातांत्रिक देश की इकोनॉमी में रोजगार से बड़ी प्राथमिकता कुछ और नहीं होती। रोजगार की यह प्राथमिकता तब और प्रचंड होती है, जब आबादी स्वयं बाज़ार हो और इकोनॉमी को लाभ देने वाली आधारभूत घटक हो. दूसरी तरफ उसकी शर्त केवल इतनी भर होती है कि टेक्नोलॉजी बेपरवाह न हो और मुनाफाखोर व्यवस्था द्वारा गढ़ी गयी नीतियों के नियन्त्रण में न हो!

अगरबत्ती उद्योग पर ग्लोबलाइजेशन की मार,Pc-सर्वोदय जगत 
जलवायु परिवर्तन से बढ़ा विस्थापन
शरणार्थियों की समस्याओं की निगरानी करने वाली संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक मौसम संबंधी घटनाओं मसलन बाढ़, तूफान, वनाग्नि और भीषण तापमान के कारण 2009-16 के बीच हर साल 2 करोड़ 15 लाख लोगों को मजबूरन विस्थापित होना पड़ा। Posted on 28 Oct, 2023 03:24 PM

कुछ ही दिन हुए  अतिवृष्टि से ऐसा नुकसान हुआ कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चमोली के पीपलकोटी, अगथला, मायापुर, मेहरगांव, बौंला और दुर्गापुर आदि के 90 परिवारों को होटलों और धर्मशालाओं में शिफ्ट करने के निर्देश देने पड़े। भू-धंसाव के संकट के चलते जोशीमठ के सैकड़ों परिवारों को इसी तरह शिफ्ट करना पड़ा था। 2021 में रैणी हादसे के बाद चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी की मूर्ति तक को उनके

जलवायु परिवर्तन से बढ़ा विस्थापन
ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद 
ग्लोबल वार्मिंग के कारण  14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद जीबी पंत हिमालय संस्थान के वैज्ञानिकों का शोध Posted on 28 Oct, 2023 03:17 PM

ग्लोबल वार्मिंग हिमालय पर गहरा असर डाल रही है। ताजा शोध बताता है कि मौसम ने अब धार्मिक, व्यापारिक और औषधीय रूप से महत्त्वपूर्ण देवदार के पेड़ों को दुष्प्रभावित करना शुरू कर दिया है। लगातार बदलते मौसम के कारण देवदार की लंबाई में 37 से 47% तक की कमी आई है। यह असर हिमालय के 2500 मीटर से ऊपर उगने वाले देवदारों पर देखा गया है। हालांकि निचले क्षेत्रों में अध्ययन होना अभी बाकी है। उत्तराखंड, हिमाचल प्

ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14 से 22 मी. तक छोटा हुआ देवदार का कद 
धरती पर पड़ने लगी है जलवायु परिवर्तन की काली छाया
जलवायु परिवर्तन की काली छाया सिर्फ भारत में ही नहीं मंडरा रही है, यह समस्या वैश्विक समस्या बन चुकी है। वैश्विक सम्मेलनों में भी यह मुद्दा छाया रहता है. वर्ष 2011 के नवम्बर माह में डरबन में सम्पन हुए अंतराष्ट्रीय वैश्विक सम्मेलन में भी जमकर मंथन हुआ था। वर्ष 2015 में पोलैंड के कोटवाइस में एक उल्लेखनीय सम्मलेन हुआ था, जिसमें दुनिया के 200 देश जलवायु परिवर्तन समझौतों के नियम-कायदे लागू करने के लिए सर्वसम्मति से सहमत हुए थे। Posted on 28 Oct, 2023 12:11 PM

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण केवल विज्ञान का ही मुद्दा नहीं है, यह ग्लोबल पॉलिटिक्स का हिस्सा भी है। दुनिया भर के ग्लोबल नेता अलग-अलग तरह से जलवायु और पर्यावरण पर औद्योगिकी की भौतिकी को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग बयान देते हैं, जिसके कारण यह गंभीर मुद्दा, चिंता का कारण बना हुआ है। प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन कहा करते थे कि यदि कीट-पतंगे भी केवल तीन वर्षों के लिए विलुप्त हो जाएं तो दुनिया पूरी तर

धरती पर पड़ने लगी है जलवायु परिवर्तन की काली छाया
संदर्भ दरकते पहाड़ : खतरनाक नीति को कहा जाए अलविदा
जब हम बात तबाही के मंजर की करते हैं, तो बात सिर्फ हिमाचल की ही नहीं होनी चाहिए। बात पूरे हिमालय क्षेत्र की है जिसकी सत्ता, समाज और सियासत, तीनों ने मिलकर बेतरतीब तरीके: से इसका दोहन किया है। Posted on 27 Oct, 2023 01:37 PM

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से होने वाली आफत का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। लैंडस्लाइड, घरों के भरभरा कर गिरने और फ्लैश फ्लड की तबाही ने जहां सैकड़ों लोगों की जिंदगी को ख़त्म कर दिया है, वहीं हजारों जिंदगियों को ऐसी मुसीबत में डाल दिया है जहां से निकल कर फिर से खड़े होना उनके लिए बड़ी चुनौती है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश 25 साल पीछे चला गया है। ऐसे में इस बात क

 लैंडस्लाइड फ्लैश फ्लड की तबाही
जलवायु के दुश्मन दुनिया को बचने देंगे ?
कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में एक ओर भारी वर्षा ,तूफान और बाढ आरही है वहीं दूसरी ओर गर्मी और लू का प्रकोप भी बढा है। भारत में भी गर्मी बढने के कारण ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार तेज हो गई है। संभव है कुछ दशक के बाद गंगा और यमुना जैसी नदियों में ग्लेशियरों के समाप्त होजाने के कारण पानी आना बंद हो जाये।  Posted on 27 Oct, 2023 12:36 PM

31 अक्टूबर से ग्लासगो (ग्रेट ब्रिटेन) मे COP26 विश्व पर्यावरण सम्मेलन हो रहा है। इसमें चीन को छोड़कर दुनिया के अधिकांश राजप्रमुख शामिल हो रहे हैं। इसे दुनिया को बचाने का आखरी मौका माना जा रहा है। दुनिया मे बढते प्रदूषण को लेकर यह छब्बीसवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, पर इतने वर्षों के प्रयास के बावजूद अपेक्षित परिणाम क्यों नहीं निकल रहे हैं?

जलवायु के दुश्मन दुनिया को बचने देंगे
बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
नासा की एक खोज के अनुसार अंटार्कटिका में औसतन 150 बिलियन टन और ग्रीनलैंड आइस कैप में 270 बिलियन टन बर्फ प्रति वर्ष पिघल रही है। आगे आने वाले समय में सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियां सिकुड़ जाएंगी और बढ़ता हुआ समुद्री जल स्तर खारे पानी की वजह से डेल्टा क्षेत्र को मनुष्य के रहने लायक नहीं छोड़ेगा। Posted on 21 Oct, 2023 12:11 PM

वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के दोहन से पृथ्वी पर जीव जंतुओं, वनस्पतियों; यहां तक कि मनुष्य के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग गया है। जीवन जल, वायु, अग्नि, मिट्टी और आकाश इन पांच तत्वों से मिलकर बना है। केवल अग्नि को छोड़कर शेष चारों तत्व आज सीधे तौर पर मनुष्य द्वारा इतने प्रदूषित कर दिए गए हैं कि मनुष्य स्वयं अपना जीवन लील रहा है, आगे आने वाली पीढ़ियों पर अस्तित्व का भयंकर संकट मंड़रा रहा है। इन चा

महंगा पड़ेगा पर्वतीय असंतुलन,Pc- सर्वोदय जगत
बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय
हिमालय एक भूकंप-प्रवण क्षेत्र है। यहां तक कि कम क्रम वाला भूकंप भी इस क्षेत्र के कई हिस्सों में भीषण आपदा को जन्म दे सकता है। भारत, नेपाल और भूटान में हिमालय की 273 जलविद्युत परियोजनाओं में से लगभग एक चौथाई में भूकंप और भूस्खलन से गंभीर क्षति होने की आशंका है। सड़क चौड़ीकरण और जल विद्युत परियोजनाओं के बेलगाम विकास से हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना होगा। पर्यावरणीय नियमों का पालन न करने से बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी पलक झपकते ही ख़तम हो सकती है। Posted on 21 Oct, 2023 11:37 AM

ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर, हिमालयी ग्लेशियर ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। हिमालयी क्षेत्र में हिमपात और हिमनद पूरे उपमहाद्वीप में विभिन्न नदियों के लिए पानी के मुख्य स्रोत हैं। ये स्रोत ब्रह्मपुत्र, सिंधु और गंगा जैसी नदी प्रणालियों में पानी के सतत प्रवाह को बनाए रखने में मदद करते हैं। एक अरब से अधिक लोगों का जीवन इन नदियों पर निर्भर है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, हिमालय के ग्लेशियर

बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय,pc-सर्वोदय जगत
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