जलवायु और मौसम

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May 31, 2024 From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
A multifaceted approach to urban heatwaves (Image: Sri Kolari)
April 30, 2024 As temperatures soar, what should India do to adapt to changing conditions to mitigate the adverse impacts of climate change?
Heat waves sweep across India (Image: Maxpixel, CC0 Public Domain)
November 5, 2023 Honeywell’s environmental sustainability index, a quarterly index reveals a growing number of organisations globally are boosting annual sustainability investments by at least 50%, and are optimistic about achieving short- and long-term objectives
Environmental Sustainability Index gauges movement in corporate sentiment and investment on the sustainability front. (Image: Needpix)
May 4, 2023 Climate change is expected to have significant impacts on the Indian monsoon
As per the India Meteorological Department (IMD), instances of heavy rainfall have increased by almost 85% in the country since 2012 (Image: Marina, 2009,Wikimedia Commons)
January 17, 2023 रिस्कन नदी 40 किमी लंबी है। अब तक बने 5000 से अधिक खावों का प्रभाव कहीं-कहीं दिखाई देने लगा है। लेकिन एक नदी को जिंदा होने के लिए पर्याप्त नहीं है। रिस्कन नदी को बचाने हेतु उनके द्वारा माननीय प्रधानमंत्री महोदय, माननीय जल शक्ति मंत्री भारत सरकार व माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड से भी निवेदन किया गया है।
एक खाव बनती हुई
December 12, 2022 Study looks at behavioral biases in crop insurance adoption
Adoption rate of crop insurance low in India despite government efforts (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
पर्यावरणीय चेतना
आज का युग पर्यावरणीय चेतना का युग है। हर व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति चिंतित है। Posted on 17 Jul, 2023 11:33 AM

आज का युग पर्यावरणीय चेतना का युग है। हर व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति चिंतित है। ज्ञान और विज्ञान की हर शाखा के विद्वान, चिन्तक पर्यावरण की सुरक्षा और संचालन के प्रति जागरूक हैं। आज हर व्यक्ति स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में रहने के अपने अधिकारों के प्रति सजग होने लगा है और अपने दायित्वों को समझने लगा है। पर्यावरण का अर्थ है- परि + आवरण, परि अर्थात चारों ओर आवरण अर्थात ढका हुआ वे सारी स्

हमारा पर्यावरण,PC-विकिपीडिया
वैकल्पिक न हो, अमृतरूपी वर्षाजल शेष रहने के लिए पात्र एवं पात्रता की आवश्यकता
इस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिसके कारण आसमान से बरसने वाले अमृत को हम सहेज नहीं पाते। Posted on 12 Jul, 2023 01:09 PM

इस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिस

वर्षा जल संरक्षण, फोटो क्रेडिट:- IWP Flicker
वायु प्रदूषण नियंत्रण में उत्तर प्रदेश ने मारी बाज़ी, ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या भारी
एक नए विश्लेषण के अनुसार, वायु प्रदूषण के खिलाफ भारत की लड़ाई केवल उसके शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों तक भी फैली हुई है। Posted on 06 Jul, 2023 02:00 PM

 

वायु प्रदूषण,PC-IWP Flicker
छोटी नदियों के कायाकल्प में उपग्रह डेटा की भूमिका
Satellite Image of Choti Saryu River.
भूविज्ञान विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार, (सीयूएसबी) गया
पिछले कुछ दशकों के दौरान यह देखा गया है कि अधिकांश छोटी नदी और उनकी सहायक नदियाँ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और अधिक आबादी एवं अतिरिक्त भूजल शोषण और नदी मार्ग या इसके जल-ग्रहण क्षेत्र के साथ निर्मित भूमि की बड़ी मात्रा में वृद्धि के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। जलविज्ञानी योजनाकारों पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे निर्णय निर्माताओं के बीच जल संसाधन को समझना और प्रबंधित करना और छोटी नदियों की पारिस्थितिकी और प्रवाह को बनाए रखना बहुत चुनौतीपूर्ण है।
Posted on 31 May, 2023 05:01 PM

नदी चैनल की पहचान परिसीमन और प्रबंधन से तात्पर्य नदियों, तालाब, झीलों की आर्द्रभूमि फसल पैटर्न भूमि उपयोग प्रथाओं भू आकृति विज्ञान और क्षेत्र के भूविज्ञान सहित इलाके की सभी सतह विशेषताओं के आकलन से है।क्योंकि वे बड़ी नदियों को जिन्दा रखती हैं। इस बहुमूल्य स्रोत की रक्षा और छोटी नदियों के कायाकल्प और पैलियो चैनलों की पहचान के लिए वैश्विक स्तर पर बड़ी संख्या में अनुसंधान और जल प्रबंधन पहल चल रही

छोटी नदियों के कायाकल्प में उपग्रह डेटा की भूमिका Pc-सरजू विकिपीडिया
पानी-पर्यावरण मास्टर - मास्टर मोहन कांडपाल 
रिस्कन नदी 40 किमी लंबी है। अब तक बने 5000 से अधिक खावों का प्रभाव कहीं-कहीं दिखाई देने लगा है। लेकिन एक नदी को जिंदा होने के लिए पर्याप्त नहीं है। रिस्कन नदी को बचाने हेतु उनके द्वारा माननीय प्रधानमंत्री महोदय, माननीय जल शक्ति मंत्री भारत सरकार व माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड से भी निवेदन किया गया है।
Posted on 17 Jan, 2023 09:17 AM

प्यार से पर्यावरण वाले मास्साब के नाम से जाने जाने वाले मोहन चंद्र कांडपाल का जन्म वर्ष 1966 में कुमाऊं की पहाड़ियों में स्थित अल्मोड़ा, उत्तराखंड के विकासखंड द्वाराहाट के ग्राम कांडे में श्री गोपाल दत्त कांडपाल जी के परिवार में हुआ था। उनके पिता कानपुर में एक बैंक में कर्मचारी थे। 5 वर्ष की उम्र में वह पिता के साथ रहने कानपुर चले गए। बचपन वह रामकृष्ण मिशन आश्रम में जाते व वहां के साहित्य को पढ

एक खाव बनती हुई
दिल्ली 2022 में भारत का सबसे प्रदूषित शहर, अन्य शहरों ने भी खराब प्रदर्शन किया
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) में 6,879 करोड़ रुपये खर्च करने का सकारात्मक परिणाम मिला है  साल  2019 में शीर्ष प्रदूषित वाले शहरों में से कुछ ने पीएम 2.5 और 10  के स्तरों में मामूली सुधार तो किया लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उल्लंघन को जारी रखा Posted on 13 Jan, 2023 11:59 AM

पिछले 4 साल में देश के प्रमुख राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) में 6,879 करोड़ रुपये खर्च करने का सकारात्मक परिणाम मिला है  साल  2019 में शीर्ष प्रदूषित वाले शहरों में से कुछ ने पीएम 2.5 और 10  के स्तरों में मामूली सुधार तो किया लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उल्लंघन को जारी रखा। NCAP ट्रैकर और सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) संगठनों द्वारा किए गए दो अलग-अलग विश्

दिल्ली 2022 में भारत का सबसे प्रदूषित शहर, अन्य शहरों ने भी खराब प्रदर्शन किया
ग्लेशियर क्षेत्रों में विकास नहीं संरक्षण चाहिए
आज देश-दुनिया में नए-नए अनुसंधान, विकास के कार्य जोरों से चल रहे हैं इसका परिणाम सभी  देखते भी है, बातें भी करते हैं लेकिन सत्ता शक्ति के सामने हिम्मत नहीं जुटा पाते अंत में उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ता है जैसे जोशीमठ में हो रहा है।  Posted on 11 Jan, 2023 02:19 PM

मानवीय विकास की एक सीमा 21वीं सदी में प्रारम्भ होते ही  मानव भूल गया है वह भौतिकवादी विचारधाराओं के चलते सम्पूर्ण प्राकृतिक व मानवीय संसाधनों पर अपना अस्तित्व बनाए रख कर अपने को श्रेष्ठ बताना चाहता हैं, आज देश-दुनिया में नए-नए अनुसंधान, विकास के कार्य जोरों से चल रहे हैं इसका परिणाम सभी  देखते भी है,  बातें भी  करते हैं लेकिन सत्ता शक्ति के सामने हिम्मत नहीं जुटा पाते अंत में उन्हें इसका परिणाम

ग्लेशियर क्षेत्रों में विकास नहीं संरक्षण चाहिए
क्यों बढ़ रहा है तापमान
Posted on 20 Jun, 2014 11:31 AM यदि पृथ्वी के औसत तापमान का बढ़ना इसी प्रकार जारी रहा तो आगामी वर्षो में भारत को इसके दुष्परिणाम झेलने होंगे। पहाड़, मैदानी, रेगिस्तान, दलदली क्षेत्र व पश्चिमी घाट जैसे समृद्ध क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग के कहर का शिकार होंगे। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में कृषि, जल, पारिस्थितिकी तंत्र एवं जैव विविधता व स्वास्थ्य ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न समस्याओं से जूझते रहेंगे..
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