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/topics/arsenic
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एक लंबी अवधि में अकार्बनिक आर्सेनिक की उच्च सांद्रता के सेवन से आर्सेनिकोसिस नामक क्रोनिक आर्सेनिक विषाक्तता हो सकती है। आर्सेनिक युक्त जल के सेवन से लक्षणों को विकसित होने में वर्षों का समय लगता है एवं यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि एक्सपोज़र का स्तर क्या है?
भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्वों की मौजूदगी, मानव शरीर पर गंभीर विषाक्त प्रभाव डालती है, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने स्वीकार भी किया है, लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस मुद्दे पर दिनांक 30.11.2023 को हिंदुस्तान ने समाचार प्रकाशित किया था, समाचार का शीर्षक था “25 राज्यों के भूजल में आर्सेनिक, 27 राज्यों में फ्लोराइड पाया गया: सरकार।” एनजीटी ने इस मीडिया
आर्सेनिक एक सर्वव्यापी तत्व हैं, जो पृथ्वी की ऊपर की सतह (पपड़ी) में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसका तत्वों में 20 वां स्थान है तथा यह पिरियोडिक तालिका के समूह-15 से संबंधित धातु के रूप में रासायनिक रूप से वर्गीकृत है। आर्सेनिक की सबसे मुख्य ऑक्सीडेशन अवस्थाएं है (i) -3 (आर्सेनाइड), (ii) +3 (आर्सेनाइट्स) और (ii) +5 (आर्सेनेट्स) आदि। यह अकार्बनिक
अमेरिकन हेल्थ एसोसिएशन की एक जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ आर्सेनिक मिले हुए पानी के सेवन से युवाओं में दिल की बीमारी का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक आर्सेनिक के कारण दिल में खून की पंपिंग करने वाला हिस्सा अधिक मोटा हो जाता है। जिसके चलते भविष्य में दिल की बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऑस्ट्रिया के ‘हॉस्पिटल हीत्जिंग’ के शोधकर्ता ‘गेर्नोट पिचलर’ ने कहा है कि भूमिगत जल का इस्त
बिहार में करीब चालीस साल पहले सिंचाई में भूजल का इस्तेमाल आरम्भ हुआ। लोग संशय से भरे थे। इसे ‘नरक से आने वाला पैशाचिक पानी’ ठहराया गया। लेकिन भूजल के इस्तेमाल का दायरा बढ़ता गया। इसमें सन 67-68 में अकाल का बड़ा योगदान था। तालाब और कुआँ खुदवाने की अपेक्षा नलकूप लगाना आसान और सस्ता था। बड़े पैमाने पर नलकूप लग गए।
पानी सर्वसुलभ होने का असर खेती पर पड़ा। अब धान की दो फसलें हो सकती थीं। लेकिन इस पानी में जहर आर्सेनिक छिपा था। इसका पता बहुत बाद में चल पाया। भूजल के अत्यधिक उपयोग से धरती के भीतर छिपा आर्सेनिक पानी में घुलकर बाहर आने लगा।
धर्मेन्द्र की उम्र 21 साल भी नहीं हुई थी। 13 जनवरी को कैंसर से मारा गया। उसके कई अंगों में कैंसर फैल गया था। कैंसर का पता चलने के करीब चार महीने बाद कोलकाता के पीजीआई अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी माँ मीना देवी के सिर पर बालों के बीच करीब दो साल से एक फोड़ा हो गया है। पहले इससे कोई परेशानी नहीं थी। अब खून झलक रहा है। हाथ और पैर के नाखून पीले पड़ जाते हैं, फिर गिर जाते हैं।
धर्मेन्द्र के पिता अर्थात रामकुमार यादव स्वयं लगातार सरदर्द, शरीरदर्द से परेशान हैं। सिर्फ बैठे रहने का मन करता है। पर बैठे रहने से कैसे चलेगा? मजदूर आदमी हैं। पेट भरने के लिये दैनिक मजदूरी का असरा है। उनका गाँव ‘तिलक राय का हाता’ बक्सर जिले के सिमरी प्रखण्ड में गंगा के तट पर है।
एक नए शोध का कहना है कि बांग्लादेश के तालाब लाखों लोगों तक आर्सेनिक का ज़हर पहुंचाने के ज़िम्मेदार हैं.शोध का कहना है कि तालाबों में मौजूद आर्सेनिक ज़हर भूमिगत जल को भी प्रदूषित कर रहा है.