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भूजल पुनर्भरण एवं प्रबंधन
भूजल प्रबंधन के विभिन्न उपायों एवं पुनर्भरण की विधियों के बारे में विस्तार से समझें | Understand the various measures of groundwater management and methods of recharge. Posted on 17 Jan, 2024 03:03 PM

हमारे देश में हरित क्रांति के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ाने में भूजल संसाधन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर सिंचित भूमि के 60% से अधिक भू-भाग पर सिंचाई भूजल द्वारा होती है। वर्षा का अधिकतर जल, सतह की सामान्य ढालों से होता हुआ नदियों में जाता है तथा उसके बाद सागर में मिल जाता है। वर्षा के इस बहुमूल्य जल का भूजल के रूप में संचयन अति आवश्यक है। भूजल, कुएँ, नलकूप आदि साधनों द्वारा

भूजल पुनर्भरण एवं प्रबंधन
आज बचा लें अपना कल
वर्षा के पानी की हर बूंद को बचाकर उपयोग करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उपयोग में लाए गए पानी की हर एक बूंद का दोबारा प्रयोग एवं नवीनीकरण हो और पानी प्रदूषित भी न हो|Along with saving and using every drop of rain water, it must also be ensured that every drop of water used is reused and renewed and the water does not get polluted. Posted on 05 Jan, 2024 01:32 PM

वाटर इज क्लाइमेट एंड क्लाइमेट इज वॉटर की बात आज पूरी दुनिया मान रही है। बिना जल के जलवायु की बातचीत संभव ही नहीं है। दुनिया ने पहले तो इन दोनों के रिश्ते को मानने से इंकार किया, किंतु नवंबर-दिसंबर 2015 में पैरिस में दुनियाभर के देश इकट्ठा हुए तो उनकी चिंता इन्हीं दोनों के इर्द-गिर्द घूमती रही। पेरिस समझौते के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पूरी दुनिया की सरकारों को पानी और कृषि की जोड़कर जलवायु परिवर्त

सूरज की लाल गर्मी समुद्र के खारे पानी को मीठे पानी में बदलती है
लवणीय जल सिंचाई द्वारा गुलाब (रोजा डेमासीना) की खेती (Rose (Rosa damascena) cultivation by saline water irrigation)
भारत में गुलाब का उत्पादन मुख्यरूप से हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, लखनऊ (उत्तर प्रदेश), पुणे, नासिक (महाराष्ट्र), बंगलौर (कर्नाटक), कोयम्बटूर (तमिलनाडु), पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों मुख्यतः कोलकाता में किया जाता है। राजस्थान में इसका उत्पादन मुख्य रूप से पुष्कर, हल्दीघाटी, श्रीगंगानगर व उदयपुर में किया जाता है।गुलाब विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय पुष्प है इसलिए इसे फूलों का राजा भी कहा जाता है। यह झाड़ीनुमा एक बहुवर्षीय पौधा है जो सुन्दर पुष्पों के लिए उगाया जाता है। इसके फल को हिप कहते हैं जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। इसके फूल से जैम, जैली व मालाएं बनाई जाती हैं। गुलाब के फूलों से मुख्यरूप से इत्र निकाला जाता है तथा इसके लिए चेली गुलाब का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। Posted on 23 Nov, 2023 04:46 PM

गुलाब (रोजा डेमासीना)

गुलाब विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय पुष्प है इसलिए इसे फूलों का राजा भी कहा जाता है। यह झाड़ीनुमा एक बहुवर्षीय पौधा है जो सुन्दर पुष्पों के लिए उगाया जाता है। इसके फल को हिप कहते हैं जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। इसके फूल से जैम, जैली व मालाएं बनाई जाती हैं। गुलाब के फूलों से मुख्यरूप से इत्र निकाला जाता है तथा इसके लिए चेली गुलाब का सर्

गुलाब की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा प्याज (एलियम सिपो) की खेती (Onion (Allium sipo) cultivation by saline water irrigation)
प्याज में विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि प्रमुख पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। प्याज में चरपराहट एवं तीखापन इसमें उपस्थित गंधक के एक मौलिक एलिल प्रोपाइल डाई सल्फाइड के कारण होता है। गंधक की मात्रा अधिक होने के कारण यह रक्तशुद्धि व रक्तवर्धक का गुण रखता है। गर्मी में लू से बचाता है तथा गुर्दे की बीमारी वाले रोगियों के लिए भी प्याज लाभदायक रहता है। Posted on 23 Nov, 2023 04:25 PM

प्याज (एलियम सिपो)

शल्क कन्दीय फसलों में प्याज का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका प्रयोग कच्चे सलाद के रूप में तथा सब्जियां, अचार, पाउडर एवं फ्लेक्स जैसे उत्पाद बनाने में होता है। प्याज में विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि प्रमुख पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। प्याज में चरपराहट एवं तीखापन इसमें उपस्थित गंधक के एक मौलिक एलिल प्रोपाइल डाई सल्फाइड के कारण होता है

प्याज की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा तिल (सेसेमम इंडिकम) की खेती (Cultivation of sesame (Sesamum indicum) by saline water irrigation)
तिल खरीफ की एक महत्त्वपूर्ण तिलहनी फसल है। इसकी खेती भारत में लगभग 5,000 वर्षों से की जाती रही है। तिल एक खाद्य पोषक भोजन व खाने योग्य तेल, स्वास्थवर्धक व जैविक दवाइयों के रूप में उपयोगी है। तिल का तेल पोष्टिक, औषधीय व श्रृंगारिक प्रसाधनों व भोजन में गुणवत्ता की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। Posted on 23 Nov, 2023 03:32 PM

तिल (सेसेमम इंडिकम)

तिल और तिली के तेल से सब परिचित है। रंग के हिसाब से तिल तीन प्रकार के होते हैं, श्वेत, लाल एवं काला तिल । औषधि के लिए काले तिल से प्राप्त तेल अधिक उत्तम समझा जाता है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका व चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है। विश्व के कुल क्षेत्रफल में भारत का 19 प्रतिशत तथा उत्पादन में 10 प्रतिशत योगदान है। तिल

 तिल की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा सौंफ (फीनिकुलम वलगेयर) की खेती (Fennel (Foeniculum vulgare) cultivation by saline water irrigation)
सौंफ शरद ऋतु में बोई जाने वाली फसल है।भारत में कुल 54290 हैक्टर में सौंफ की खेती की जाती है। इसमें राजस्थान व उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।इसका उपयोग औषधि, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि में किया जाता है। आयुर्वेद में सौंफ एक विशेष स्थान रखती है, इसका प्रयोग अतिसार, खूनी पेचिस, कब्ज, नजला तथा मस्तिष्क की कमजोरी जैसी बीमारियों में किया जाता है। Posted on 23 Nov, 2023 02:53 PM

सौंफ (फीनिकुलम वलगेयर)

सौंफ मसाले की एक प्रमुख फसल हैं। इसका उपयोग औषधि, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि में किया जाता है। आयुर्वेद में सौंफ एक विशेष स्थान रखती है, इसका प्रयोग अतिसार, खूनी पेचिस, कब्ज, नजला तथा मस्तिष्क की कमजोरी जैसी बीमारियों में किया जाता है। भारत में कुल 54290 हैक्टर में सौंफ की खेती की जाती है। इसमें राजस्थान व उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।

सौंफ की खेती
भूकंप कब आता है और क्यों आता है? (When does an earthquake occur and why does it occur? In Hindi)
विनाशकारी भूकम्प इतिहास में काली तारीखों के रूप में दर्ज हैं। वैसे तो हर वर्ष दुनिया भर में करीब 50,000 छोटे बड़े भूकम्प आते हैं लेकिन उनमें से 100 विनाशकारी होते हैं। कम से कम एक भूकम्प भयानक विनाश करता है। मानव जीवन के इतिहास में सबसे अधिक तबाही मचाने वाला भूकंप 23 जनवरी 1556 को चीन में आया था,जिसमें लगभग 8 लाख से भी अधिक लोग मारे गये थे। 1 नवम्बर 1755 को लिस्बन, पुर्तगाल में आया भयंकर भूकम्प संभवत: पहला ऐसा भूकम्प था, जिसके विस्तृत अध्ययन के रिकार्ड आज भी सुरक्षित हैं। यह रिकार्ड तत्कालीन पादरियों के प्रेक्षणों पर आधारित थे तथा इनमें पहली बार भूकम्प तथा इसके प्रभावों की सुव्यवस्थित जांच पड़ताल की गई थी। Posted on 23 Nov, 2023 12:40 PM

लातूर और उस्मानाबाद जिलों में तीस सितम्बर 1993 को प्रातः का समय अचानक धरती के थरथरा उठने से वहां के निवासियों पर जो कहर ढला, उससे अभी तक वहां के निवासी उबर नहीं पाये हैं। इसके पूर्व 20 अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी तथा निकटवर्ती जिलों में प्रकृति की यह विनाश लीला देखने को मिली थी। इस भयंकर विनाश का कारण था - भूकम्प, जिसने देश के विभिन्न भागों को झकझोर दिया था।

विनाशकारी भूकम्प
लवणीय जल सिंचाई द्वारा मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती (Cultivation of fenugreek (Trigonella foenum- graecum) by saline water irrigation)
मेथी भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में काफी समय से जंगली रूप में उगती पाई गई है, फिर भी इसकी उत्पत्ति पूर्वी यूरोप और इथोपिया मानी जाती है। भारत में मेथी मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। देश में मेथी के कुल क्षेत्रफल का लगभग 80 प्रतिशत राजस्थान में पाया जाता है। Posted on 22 Nov, 2023 04:58 PM

मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम

मेथी की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है। इसकी सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हमारे देश में मेथी का उपयोग शाक एवं मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी की पत्तियाँ एवं कोमल फलियाँ सब्जी

मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती (Marigold (Tegatus erecta) cultivation by saline water irrigation)
गेंदे को साल भर तीनों ही ऋतुओं में उगाया जा सकता है परन्तु पैदावार के लिए शीत ऋतु अधिक उपयुक्त है। पौधों में अच्छी बढ़वार व अधिक पुष्पन के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है। गैंदा एक आसानी से उगाया जा सकने वाला पौधा है और इस पर कीट एवं बीमारियों का प्रकोप भी बहुत कम होता है। इसकी खेती करना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है। गेंदा के फूल पौधों पर लम्बे समय तक खिलते रहते हैं, साथ ही इसकी संग्रहण क्षमता अधिक होने के कारण आसानी से कुछ दिनों तक रखा जा सकता है। Posted on 22 Nov, 2023 04:30 PM

गैंदा (टेगेटस इरेक्टा

गैंदा एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक मौसमी फूल है। इसकी सुन्दरता एवं टिकाऊपन के कारण पुष्प व्यापार में गुलाब के बाद सर्वाधिक बिकने वाला फूल है। इसके फूलों का विभिन्न रूपों जैसे माला, वेणी, झालर, घर की सजावट, पूजा, गुलदस्ता बनाने आदि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। गैंदा एक आसानी से उगाया जा सकने वाला पौधा है और इस पर कीट एवं बीमारियों का प

गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा) की खेती (Cultivation of Isabgol (Plantago ovata) by saline water irrigation)
भारतवर्ष में ईसबगोल की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। साधारणतया ईसबगोल की खेती के लिए ठंडा व सूखा मौसम अच्छा व अनुकूल रहता है। ईसबगोल अपने बीजों व भूसी के कारण महत्वपूर्ण औषधीय फसल है। इसकी भूसी का उपयोग औषधि के रूप में कब्ज, पेचिश, दस्त इत्यादि अनेक पेट के विकारों में उपचार के लिए किया जाता है। Posted on 22 Nov, 2023 03:49 PM

ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा)

ईसबगोल अपने बीजों व भूसी के कारण महत्वपूर्ण औषधीय फसल है। इसकी भूसी का उपयोग औषधि के रूप में कब्ज, पेचिश, दस्त इत्यादि अनेक पेट के विकारों में उपचार के लिए किया जाता है। भारतवर्ष में इसके बीज व भूसी का वार्षिक उत्पादन क्रमशः 13000 टन व 3200 टन होता है, जिसका 90 प्रतिशत विदेशों में निर्यात कर दिया जाता है। इस प्रकार ईसबगोल के निर्यात द्व

ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा) की खेती
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