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समाचार और आलेख
नहरी कमांड क्षेत्र के तहत जल उत्पादकता में वृद्धि के विकल्प
Posted on 09 Jun, 2023 03:23 PMप्रस्तावना
भारत में लगभग 140 मिलियन हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में से वर्ष 1950-51 के दौरान नहर से सिंचित कुल क्षेत्र 83 मिलियन हेक्टेयर ही रिपोर्ट किया जा चुका है जो अब वर्तमान में 17 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ गया है। इसके बावजूद भी वर्ष 1951 में नहरों का सापेक्ष महत्व 40% से घटकर वर्ष 2010-11 में 26% तक घट गया है (धवन, 2017)। चूंकि, आजकल नहर से सिंचाई करने में कई ब
![नहरी कमांड क्षेत्र के तहत जल उत्पादकता में वृद्धि के विकल्प,Pc-Teri](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/waste-water-resource-og.jpg?itok=BTky9NXy)
मोबाइल एप आधारित रिमोट संचालित पंप प्रणाली
Posted on 09 Jun, 2023 02:21 PMप्रस्तावना
हम कृषि की विभिन्न उन्नत तकनीकों को अपनाने के कारण खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर चुके हैं जो उत्पादन पद्धति में अधिकत्तम उत्पादन और निम्नतम जोखिम को सुनिश्चित करती हैं। इसके अतिरिक्त मशीनीकरण और कठिन परिश्रम को कम करने वाली तकनीकों ने किसानों की कामकाजी और जीवन स्तर की स्थितियों में सुधार किया है। लेकिन आज भी किसानों को अपने खेत की सिंच
![मोबाइल एप आधारित रिमोट संचालित पंप प्रणाली,Pc-भाकृअनूप](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/App%20based%20pump.png?itok=jn0Qbonv)
नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई जल की कम उपलब्धता की स्थिति में अरहर के साथ उड़द / धान की उन्नत खेती
Posted on 08 Jun, 2023 05:45 PMप्रस्तावना
यह सर्वविदित है कि जिस प्रकार से मनुष्य को अपनी शारीरिक आवश्यकता के हेतु जल की आवश्यकता पड़ती है वैसे ही पौधों को भी अपनी जरूरतें पूरी करने के लिये जल की आवश्यकता पड़ती है। पौधों के लिये कई प्रकार के खनिज तत्व एवं रासायनिक यौगिक मृदा में मौजूद रहते हैं। लेकिन पौधे उन्हें ठीक तरह से ग्रहण नहीं कर सकते हैं मृदा में उपस्थित जल इन तत्वों को घोल कर जड़ों
![नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई,Pc-MID](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/tubewell2.jpg?itok=lRf2Q0i_)
जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल द्वारा शिवनाथ उप - बेसिन के समस्याग्रस्त जल ग्रहण क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु सुझाव
Posted on 08 Jun, 2023 04:25 PMप्रस्तावना
जल विज्ञान और जल गुणवत्ता की जांच किसी भी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिवनाथ उप बेसिन, महानदी बेसिन की सबसे लंबी सहायक नदी है। शिवनाथ उप बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र 29,638.9 वर्ग किलोमीटर है। शिवनाथ उप-बेसिन 80 डिग्री 25' से 82 डिग्री 35' पूर्व देशांतर तथा 20डिग्री 16' से 22 डिग्री 41' उत्तर अक्षांश के बीच एवं औसत समु
![जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल,PC-Shutterstock](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A3%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20_0.png?itok=MSkMAncR)
मछली पालन आधारित एकीकृत खेती पद्धति और खेत पर जल प्रबंधन: आदिवासी किसानों हेतु वरदान
Posted on 08 Jun, 2023 04:19 PMप्रस्तावना
जातीय अल्पसंख्यक (उप जनजाति) समुदाय, जिन्हें आमतौर पर आदिवासी के रूप में जाना जाता है जो भारतीय आबादी के सबसे अधिक गरीबी वाले क्षेत्रों में रहते हैं.
![मछली पालन,Pc-jagarn](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/%E0%A4%AE%E0%A4%9B%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%A8%20.jpg?itok=nDJQZvGq)
विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day)2023
Posted on 08 Jun, 2023 03:17 PMविश्व महासागर दिवस(world oceans day 2023)
विश्व महासागर दिवस 8 जून को पुरे विश्व में मनाया जाता है। महासागर हमारी पृथ्वी सिर्फ जीवन का प्रतीक ही नहीं बल्कि पर्यावरण संतुलन में भी एहम भूमिका निभाता है। महासागरों में गिरने वाले प्लास्टिक प्रदुषण कि वजह से महासागर धीरे -धीरे अपशिष्ट होते जा रहे हैं। इस कारण समुद्री जीवों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। क्यूंकि
![विश्व महासागर दिवस, Pc-wallpaper cave](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/world%20ocean%20day.jpg?itok=nByf4X2A)
किसानों तक नहीं पहुंच रहा कृषि योजना का पूरा लाभ
Posted on 07 Jun, 2023 04:05 PMकृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड है. कृषि से जुड़ी सरकार की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में कृषि व वानिकी का सकल घरेलू उत्पाद में 20.2 प्रतिशत हिस्सा रहा है. देश-दुनिया में अनेक प्रकार के रोजगार के साधन हैं, लेकिन उन सभी संसाधनों को ठोस बुनियाद पर खड़ा करने वाला शक्ति का केंद्र किसान है.
![किसानों तक नहीं पहुंच रहा कृषि योजना का पूरा लाभ,Pc-चरखा फीचर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%A4%E0%A4%95%20%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82%20%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%9A%20%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A4%BF%20%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%BE%20%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AD%20pic%202.jpg?itok=VC4h_hoO)
जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि(वार्षिक रिपोर्ट्स-2019-20)
Posted on 07 Jun, 2023 12:54 PMभारतीय कृषि के अति संवेदनशील जिला स्तरीय मानचित्र:-
जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारतीय कृषि के अति संवेदनशील जिला स्तरीय मानचित्रों को 5वीं मूल्यांकन रिपोर्ट (आईपीसीसी 2014 ) के साथ अद्यतन किया गया। 'रिप्रजेंटेटिव कंसंट्रेशन पाथवेज' (आरसीपी) के आधार पर ये मानचित्र जलवायु पूर्वानुमान में सहायता करते हैं। जलवायु परिवर्तन खतरे को 2020-49 की समयावधि के लिए आरपीसी
![जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि,Pc-Krishi-jagat](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/Jal%20vayu%20parivartamn.jpg?itok=BX8TgTlK)
मृदा एवं जल उत्पादकता(वार्षिक रिपोर्ट्स-2019-20)
Posted on 07 Jun, 2023 12:12 PMचुनिंदा जिलों के लिए भूमि उपयोग नियोजन ब्लॉक स्तर पर भूमि उपयोग नियोजन पर कार्य करने हेतु भारत के 27 इच्छुक जिलों के लिए 1 :10,000 स्केल पर भूमि संसाधन इनवेन्ट्री (LRI) तैयार की गई असोम के बरपेटा दरांग, धुबरी, गोलपारा एवं बक्सा जिलों उत्तर प्रदेश के बहराइच, बलरामपुर, चित्रकूट श्रावस्ती तथा सोनभद्र जिलों बिहार के अररिया, बेगुसराय, कटिहार, सीतामडी तथा शेखपुरा जिलों ओडिशा के कालाहाण्डी एवं रायगढ़
![मृदा एवं जल उत्पादकता,PC-DB](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A4%BE%20%E0%A4%8F%E0%A4%B5%E0%A4%82%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE%C2%A0.jpg?itok=2w4mDi5C)
जल एवं नदी घाटी प्रबंधन एक चक्रीय प्रक्रिया
Posted on 06 Jun, 2023 01:50 PMनदी घाटी प्रबंधन से अभिप्राय उन सभी प्राकृतिक अथवा कृत्रिम संरचनाओं एवं प्रक्रियाओं के प्रबंधन से है जो नदी घाटी क्षेत्र में सभी जल संसाधनों के माध्यम से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नदी से जुड़े हैं चित्र के माध्यम से इस प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया गया है। सामान्य समय मे जल एवं जल संसाधन के उचित एवं सतत उपयोग के अतिरिक्त नदी घाटी प्रबंधन में निम्म कुछ बिन्दु अवश्य सम्मिलित होने चाहिए।
![जल एवं नदी घाटी प्रबंधन एक चक्रीय प्रक्रिया,PC-exammaharathi](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%8F%E0%A4%B5%E0%A4%82%20%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%A8%20%E0%A4%8F%E0%A4%95%20%E0%A4%9A%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20.jpeg?itok=D1_0DdFG)