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समाचार और आलेख
गंगा स्वच्छता अभियान : आज तक
Posted on 10 Jul, 2023 11:55 AMसारांश
इस अभिभाषण में 1985 में गंगा की सफाई को लेकर आरंभ हुई गंगा कार्य योजना व केंद्रीय गंगा प्राधिकरण के गठन से लेकर आज तक इस दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की गई है, कार्य योजना की परिणतियों और निष्पत्तियों पर विमर्श भी किया गया है।योजना की खामियों को लेकर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना की गई है और भारत सरकार द्वारा निर
दक्षिण भारत के अर्द्ध शुष्क क्षेत्र में पारम्परिक तालाबों पर जल ग्रहण विकास कार्यक्रम का प्रभाव: एक समीक्षा
Posted on 07 Jul, 2023 01:57 PMसारांश
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी 75 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है। इन लोगों की जरी जावश्यकताओं को पूरा करने के लिये जल संसाधनों का सही तरीके से पूरा विकास किया जाना चाहिये जन संसाधनों के सही तरीके से पूरा विकास किया जाना चाहिए। जल संसाधनों के विकास में उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, मौसम तंत्र, मृदा, वनस्पति व अन्यः जरूरतों को ध्यान में र
कालबैसाखी की कालिमा यानी कालबैसाखी झंझावात क्या है (what is Kal Baisakhi thunderstorm)
Posted on 07 Jul, 2023 11:19 AMकाल की तरह आती है कालबैसाखी कहर बरपा जाती है। संत कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस के अरण्यकांड में इसे 'धूरि पूरि नभ मंडल रहा' कहा है (आकाश धूलि धूसरित हो गया)। मार्च से मई तक के महीने मातमी माने जाते हैं। आकाश का उत्तरी-पश्चिमी आकर्षक छोर अचानक आक्रामक हो जाता है। गगनचुंबी बदरंग बादल गर्जन-तर्जन करने लगते हैं, कौंधती बिजली कड़कने लगती है, हुंकार भरती हवा के झोंके हू-हू करने लगते हैं, बलात बारिश क
वायु प्रदूषण नियंत्रण में उत्तर प्रदेश ने मारी बाज़ी, ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या भारी
Posted on 06 Jul, 2023 02:00 PMखाद्यान्न सुरक्षा और बदलता पर्यावरण
Posted on 06 Jul, 2023 12:11 PMधरती की आबोहवा बदल रही है और भविष्य की खाद्यान्न सुरक्षा खतरे में है। 132 करोड़ की जनसंख्या वाले देश के नीति-निर्माता और वैज्ञानिक परेशान हैं कि बढ़ती आबादी, शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के गिरते स्तर के कारण फसलोत्पादन में होने वाली गिरावट को कैसे रोका जाए।
क्या यमुनोत्री में केदारनाथ जैसी बाढ़ सम्भव है
Posted on 05 Jul, 2023 04:13 PMविगत दशकों में वर्षा ऋतु में दोनों क्षेत्रों केदारनाथ एवं यमुनोत्री में अतिवृष्टि की अनेक घटनाएं भारी वर्षापात के रूप में हो चुकी हैं। 18-19 अगस्त 1998 को केदार घाटी में मन्दाकिनी नदी की सहायक नदियों जैसे मद्यमहेश्वर तथा कालीगंगा में हुई भारी वर्षा से सक्रिय हुए भस्खलनों में 100 से अधिक जानें गई थीं तथा 16 जुलाई, 2001 के भारी वर्षापात से मन्दाकिनी घाटी में गौरीकुण्ड से लगभग 15 किमी डाउनस्ट्रीम
बाँध हिमालय की पुष्ठभूमि में
Posted on 05 Jul, 2023 01:40 PMसम्पूर्ण भारत को वर्षा के रूप में जितना जल मिलता है उसका लगभग 5 प्रतिशत पड़ोसी देशों से आने वाली नदियाँ अपने साथ लाती है। यदि । हम केवल भारत की भूमि पर बरसने वाले औसत वार्षिक जल को देखें, तो यह लगभग 1215 मिलीमीटर है। यह वर्षा जल भी विश्व की ओसत वर्षा से कहीं अधिक है। समस्या यह है कि स्थान विशेष ओर मात्रा के परिपेक्ष में इसका बंटवारा अत्यंत विषम है। उत्तर-पूर्वी भारत में 2500 मिलीमीटर वार्षिक वर
अम्लीय वर्षा पर्यावरण के लिए चुनौती
Posted on 04 Jul, 2023 04:15 PMजब वर्षा जल में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ वायुमंडल में प्रदूषित हवा में मौजूद सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा मिश्रित होती है, तो यह वर्षा जल से क्रिया करके सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड में बदल जाती है और यही जल जब पृथ्वी पर गिरता है, तो इसे एसिड रेन अथवा अम्लीय वर्षा कहते है । वर्षा जल में अमूलों की बड़ी मात्रा को या उपस्थिति को अम्लीय वर्षा कहा जाता है। प्राकृतिक कारणों से
जल प्रबंधन आज और कल
Posted on 04 Jul, 2023 03:04 PMसारांश
मनुष्य के शरीर का लगभग 70 प्रतिशत जल ही होता है। जल को लेकर ही हमारे देश ही नहीं अपितु विश्व में एक बहुत बढ़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। आज इसका निवारण ढूँढना प्राथमिकता के आधार पर अति आवश्यक हो गया है। हमारे देश में कुल जल का लगभग 76 प्रतिशत भाग मानसून के मौसम में बरसात से प्राप्त होता है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 22 घन मीटर है,
भूमि जल में वृद्धि के लिए वर्षा जल के संचयन की तकनीकें
Posted on 03 Jul, 2023 03:28 PMप्रस्तावना
प्रगतिशील युग में जल की बढ़ती खपत बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है। हमारे देश की समस्याएं विविध एवं जटिल है क्योंकि भारतवर्ष में जल की उपलब्धता क्षेत्रीय वर्षा एवं भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित है। इसके साथ बढ़ती हुई जनसंख्या, शहरीकरण का बढ़ता क्षेत्र अपना प्रभाव जल की उपलब्धि एवं गुणवत्ता पर डाल रहे हैं।