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हिमालय बना आपदा का घर
हिमाचल में व्यास, रावी, सतलुज नदी के तटों की आबादी पर अधिक मार पड़ी है भारी जल सैलाब के खतरे को देखकर नदियों की अविरल धारा को रोकने वाले बांधों के गेट खोलने पड़े जिसके कारण लुधियाना, पटियाला जैसे अनेक इलाके लंबे समय तक पानी में डूबे रहे यमुना पर हथिनी कुंड के पास गेट खोलने से यमुनानगर, करनाल से लेकर दिल्ली तक पानी में डूब गए। Posted on 28 Oct, 2023 01:09 PM

हिमालय आपदा का घर बन गया है। पहाड़ तेजी से दरक रहे हैं। हाहाकार मचा हुआ है। हिमाचल और उत्तराखंड में 24 जून से 21 अगस्त, 2023 के दौरान भारी बारिश में भूस्खलन से सैकड़ों लोग मारे गए हैं। हिमाचल में 800 से अधिक स्थानों पर सड़कें बंद रहीं, जिनमें 113 स्थान ऐसे हैं, जहां जानलेवा लैंडस्लाइड्स के कारण 330 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और 38 लोग लापता हैं। उत्तराखंड में 360 से अधिक डेंजर जोन बन गए हैं,

हिमालय बना आपदा का घर
धरती पर पड़ने लगी है जलवायु परिवर्तन की काली छाया
जलवायु परिवर्तन की काली छाया सिर्फ भारत में ही नहीं मंडरा रही है, यह समस्या वैश्विक समस्या बन चुकी है। वैश्विक सम्मेलनों में भी यह मुद्दा छाया रहता है. वर्ष 2011 के नवम्बर माह में डरबन में सम्पन हुए अंतराष्ट्रीय वैश्विक सम्मेलन में भी जमकर मंथन हुआ था। वर्ष 2015 में पोलैंड के कोटवाइस में एक उल्लेखनीय सम्मलेन हुआ था, जिसमें दुनिया के 200 देश जलवायु परिवर्तन समझौतों के नियम-कायदे लागू करने के लिए सर्वसम्मति से सहमत हुए थे। Posted on 28 Oct, 2023 12:11 PM

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण केवल विज्ञान का ही मुद्दा नहीं है, यह ग्लोबल पॉलिटिक्स का हिस्सा भी है। दुनिया भर के ग्लोबल नेता अलग-अलग तरह से जलवायु और पर्यावरण पर औद्योगिकी की भौतिकी को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग बयान देते हैं, जिसके कारण यह गंभीर मुद्दा, चिंता का कारण बना हुआ है। प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन कहा करते थे कि यदि कीट-पतंगे भी केवल तीन वर्षों के लिए विलुप्त हो जाएं तो दुनिया पूरी तर

धरती पर पड़ने लगी है जलवायु परिवर्तन की काली छाया
प्राकृतिक चिकित्सा : संभावना और विकल्प
हमारे देश में काफी गरीबी है, सरकार का दावा है कि 80 करोड़ लोगो को सरकार अनाज बांट रही है। वर्ष 2021 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 101 वें स्थान पर है। देश का हर नागरिक स्वस्थ रहे, चिकित्सा गरीबों के लिए भी सर्वसुलभ हो, यह प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से ही हो सकता है। Posted on 28 Oct, 2023 12:04 PM

भारत में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (नेचुरोपैथी डे) 18 नवंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दवा रहित इलाज के माध्यम से लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है। प्राकृतिक चिकित्सा दिवस भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 से आयोजित करने का निर्णय लिया गया। यह चौथा वर्ष है जब इसका आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल इंस्ट

प्राकृतिक चिकित्सा
प्रकृति की छाती पर शहरीकरण के नाच का नतीजा
बढ़ते शहरीकरण के कारण हमारे शहर अधिक जोखिम में हैं, क्योंकि शहरों में मानव जीवन का नुकसान, संपत्ति की क्षति और आर्थिक नुकसान की मात्रा ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। मुंबई, कोलकाता, बंगलुरु, दिल्ली और चेन्नई जैसे शहर लाखों लोगों के घर हैं और यहाँ जलवायु का जोखिम बहुत अधिक है। Posted on 28 Oct, 2023 11:51 AM

बंगलुरु में हाल ही में हुई भीषण वर्षा के बाद हुई जल भराव की खबरों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। तमाम लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा और इंटरनेट पर इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े तमाम मीम्स और मज़ाक़ वायरल होते रहे। स्थिति वाकई कई मायनों में हास्यास्पद थी, मगर यह एक चिंता का भी विषय है। आखिर भारत के इस आईटी हब ने कथित तौर पर 225 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज किया इस बा

प्रकृति की छाती पर शहरीकरण के नाच का नतीजा
खनन के चलते मौत के कगार पर पहुंची यमुना
मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जाने पर मजबूर कर दिया है। रात्रिचर जीव भी पलायन कर गए हैं। खनन के चलते यमुना मरने की कगार पर पहुंच गई है। Posted on 28 Oct, 2023 11:35 AM

हमारे यहां सारस, लाल सुर्खाब, सफेद सुर्खाब, नीलसर, जलकाग जैसे प्रवासी पक्षी हज़ारों की संख्या में आया करते थे। महासीर जैसी दुर्लभ मछली, लालपरी, सुआ, सेवड़ा, लोंछी, किरण, गोल्डन फिश, रोहू जैसी मछलियां हजारों की संख्या में रहती थीं। हमने यहां 70-70 किलो वज़न तक के कछुए देखे हैं। जब से रेत-बजरी का खनन शुरू हुआ, नदी के भीतर से जीव-जंतु, जलीय पौधे सब घटने लगे। मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जा

खनन के चलते मौत के कगार पर पहुंची यमुना
हिमालय का भूगोल बदल देगा नया वन कानून
नये वन कानून के प्रावधानों पर पर्यावरणविद् को आशंका है कि यह 'वन' की परिभाषा और सुप्रीम कोर्ट के 1996 के गौडावर्मन फैसले को पलट देगा। इस फैसले ने बहुत हद तक वन संरक्षण को बढ़ावा दिया था क्योंकि इसके तहत पेड़ों वाले उन इलाकों को भी वन कानून के दायरे में ला दिया गया था जो औपचारिक रूप से 'वन' के रूप में अधिसूचित नहीं थे, लेकिन जंगल माने जा सकते थे Posted on 27 Oct, 2023 05:22 PM

संसद के मानसून सत्र में नया वन (संरक्षण) कानून संसद यानी वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) विधेयक पारित हो गया। वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के बदले आने वाले इस कानून की विशेषता है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से 100 किमी.

हिमालय का भूगोल बदल देगा नया वन कानून
भूस्खलन और अनियोजित भूमि योजना ढहा रहे कहर
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक रिपोर्ट बताती है कि पहाड़ी राज्यों में जो योजनाएं हैं, वे पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। आम तौर पर पहाड़ी क्षेत्र ढलान अस्थिरता से जुड़े होते हैं, और इन क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका अधिक होती हैं। Posted on 27 Oct, 2023 05:12 PM

जहां एक तरफ देश में भारी बारिश और भूस्खलन से  पहाड़ी राज्यों में तबाही जारी है, दूसरी तरफ  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित 2019 रणनीति दस्तावेज से कुछ चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आए हैं ये किस प्रकार विचारहीन शहरी नियोजन तथा निर्माण संबंधी कानूनों और विस्तृत भूमि उपयोग नीति के अभाव ने इस समस्या को अधिक व्यापक बनाया। आपदाएं आती रहीं फिर भी इनसे संबंधित चिंताओं को बार- बार नजरअं

भूस्खलन और अनियोजित भूमि योजना ढहा रहे कहर
जोशीमठ पर मिश्र कमेटी की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार का गोलमोल जवाब
राज्य सभा में दिए गए एक लिखित जवाब में वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पुरानी बातें दोहराते हुए कहा कि 1976 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित महेश चंद्र मिश्रा समिति ने जोशीमठ में भूस्खलन और स्थानीय धंसाव की चेतावनी दी थी। उस समय 18-सदस्यीय समिति के सदस्य संगठनों के पास उपलब्ध विशेषज्ञता और संसाधनों के अनुसार विभिन्न दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपाय सुझाए गए थे। उनके मुताबिक, मिश्र समिति की सिफारिशों पर उत्तराखंड सरकार द्वारा कार्रवाई की जानी बाकी है। Posted on 27 Oct, 2023 04:01 PM

1 अगस्त, 2023 को जोशीमठ भूधंसाव के मामले में सरकार से संसद में सवाल पूछा गया, लेकिन सरकार की ओर से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पुरानी बातें दोहरा दीं। बताया कि भूधसाव के बाद तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना और हेलंग मारवाड़ी बाइपास का काम रोक दिया गया था। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि हेलंग बाइपास का काम बाद में शुरू कर दिया गया था।

जोशीमठ
कृषि एवं पशुपालन में विशेष पहचान रखने वाला सरहदी गांव मंगनाड
बीते कई वर्षों की अगर बात की जाए तो यह गांव, पशुपालन के मामले में एक विशेष स्थान बनाए हुए है. ऐसा कोई घर नहीं है, जहां आपको माल मवेशी  नहीं मिलेंगे. हालांकि ऐसा नहीं है कि यहां के लोग पूरी तरह पशुपालन पर ही निर्भर रहते हैं. Posted on 27 Oct, 2023 03:16 PM

हर एक व्यक्ति या स्थान अपनी विशेष पहचान रखता है. चाहे वह पहचान छोटी हो या बड़ी. ऐसा कोई स्थान नहीं है जिसकी अपनी कोई न कोई विशेषता ना हो. कुछ स्थान अपनी सुंदरता के लिए विशेष पहचान रखते हैं, कुछ खानपान के लिए, वहीं कुछ अपने पहनावे के लिए जाने जाते हैं, तो कुछ कलाकृतियों के लिए. परंतु अगर हम बात करें सरहद पर बसे मंगनाड गांव की, तो यह कृषि और पशुपालन के लिए धीरे धीरे अपनी पहचान बनाता जा रहा है.

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आपदाओं से अर्थतंत्र हो रहा तहस-नहस
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में बाढ़ के कारण हर साल औसतन 75 लाख हेक्टेयर भूमि प्रभावित होती है, 1600 लोगों की जान चली जाती हैं, तथा फसलों, घरों और सार्वजनिक सुविधाओं को औसतन 1805 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। Posted on 27 Oct, 2023 02:54 PM

प्राकृतिक आपदाएं वास्तव में प्राकृतिक घटनाएं हैं, जो प्रकृति के स्वभाव में हैं, और उन्हें रोका नहीं जा सकता। इन घटनाओं की बढ़ती फ्रीक्वेंसी का कारण प्रकृति के साथ अनावश्यक और बेतहाशा छेड़छाड़ के साथ ही प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर नहीं चलना भी है। यह सत्य आपदाओं से बचाव का रास्ता भी है। इसलिए संभावित खतरों और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। कुछ आपदाएं ऐसी हैं, जि

आपदाओं से अर्थतंत्र हो रहा तहस-नहस
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