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बोतलबंद इंडस्ट्री पर एक नजर
बोतलबंद पानी का सेवन स्वास्थ्य के लिए उतना ही खतरनाक है, जितना कि नल का पानी, क्योंकि बोतलबंद पानी में भी अनेक प्रकार के जीवाणु मौजूद होते हैं, जो सेण्टर फॉर एनवायरमेन्ट और विश्व के कई देशों में की गई शोध-प्रक्रिया से पता चलता है। भारत में बोतलबंद पानी के मार्केट में तेजी से वृद्धि होने से, पानी के संसाधनों पर कॉरपोरेट का हस्तक्षेप भी बढ़ता जा रहा है, जिससे पानी की समस्या और भी गहराई में पहुंच सकती है। इसलिए, हमें बोतलबंद पानी का सेवन कम से कम करना चाहिए, और साथ ही पानी के संरक्षण में सहयोग करना चाहिए।
Posted on 19 Oct, 2023 11:58 AM

पेयजल सहित औसत घरेलू पानी की मांग वर्ष 2000 में 85 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (एलपीसीडी) से बढ़कर क्रमशः 2025 और 2050 तक 125 एलपीसीडी और 170 एलपीसीडी हो जाएगी। इस बीच बोतल बंद पानी की बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई है। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर बॉटल का बाजार 2020 में 36000 करोड़ रुपये का आँका गया था। 2023 के अंत तक इसके 60000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने क

बोतलबंद इंडस्ट्री पर एक नजर
झांसी के लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण पर एनजीटी ने जताई आपत्ति
जलग्रहण क्षेत्र से तालाब में पानी के प्रवाह पर असर पड़ने की संभावना है और इसके क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नगर निगम, झांसी के आयुक्त को लक्ष्मी ताल के बफर जोन के आसपास एलिवेटेड बाउंड्री वॉल और एक मार्ग बनाने के साथ तालाब पर इसके प्रतिकूल प्रभाव या इससे संभावित लाभ के बारे में फिर से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है Posted on 18 Oct, 2023 02:28 PM

झांसी: उत्तरप्रदेश के झांसी जिले में स्थित 400 साल पुराने ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण पर  एनजीटी ने आपत्ति जताई है। एनजीटी का यह फैसला गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के कार्यकर्ता नरेंद्र कुशवाहा की जनहित याचिका की सुनवाई पर हुआ है ।  

झांसी के लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण,Pc- नरेंद्र कुशवाहा
अकल्पनीय जल-संकट की ओर बढ़ रहा देश
अपनी एक रिपोर्ट में नीति आयोग के द्वारा कहा गया है कि वर्ष 2030 तक देश के 40% लोगों की पहुंच पीने के पानी तक नहीं होगी. पिछले 10 सालों में देश की करीब 30 फीसदी नदियां सूख चुकी हैं। वहीं पिछले 70 सालों में 30 लाख में से 20 लाख तालाब, कुएं, पोखर, झील आदि पूरी तरह खत्म हो चुके हैं। ग्राउंड वाटर (भूजल) की स्थिति भी बेहद खराब है। देश के कई राज्यों में पर तो ग्राउंड वाटर का लेवल करीब 40 मीटर तक नीचे जा चुका है।वही भारत का दक्षिण का राज्य चेन्नई में धरती के 2000 फीट नीचे भी पानी नहीं मिला है। Posted on 18 Oct, 2023 01:12 PM

जलपुरुष राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि देश भर में 10 साल पहले कुल 15 हजार के करीब नदियां थीं। इस दौरान करीब 30 फीसदी नदियां यानी साढ़े चार हजार के करीब सूख गई हैं, ये केवल बारिश के दिनों में ही बहती हैं। वे बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले उनकी टीम ने देश भर में एक सर्वे किया था, जिससे पता चला कि आजादी से लेकर अब तक देश में दो तिहाई तालाब, कुएं, झील, पोखरे, झरने आदि पूरी तरह सूख चुके हैं। आजादी के समय दे

अकल्पनीय जल-संकट की ओर बढ़ रहा देश
बैटरी-वाहन सुखा सकते हैं पानी के स्रोत
लीथियम खनन के कारण अर्जेंटीना के अपने क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है, इसका विरोध हाइड्रोलॉजिस्ट और संरक्षणवादी कर रहे हैं। उच्च एंडीज में रहने वाले मूल निवासियों का कहना है कि लीथियम बैटरी से चलने वाली हरित क्रांति के लिए उनका पानी, जो उनके परिवार, पशुपालन, और चरागाहों के लिए महत्वपूर्ण है, समाप्त होता जा रहा है Posted on 18 Oct, 2023 12:58 PM

सितम्बर 2022 में चंडीगढ़ प्रसाशन ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके मुताबिक चंडीगढ़ शहर में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दो साल में पेट्रोल मोटरसाइकिल का पंजीकरण बंद हो जायेगा, सिर्फ ई-बाइकों का ही पंजीकरण होगा। पांच वर्षों में पेट्रोल-डीजल की कारों को भी आधा करने की तैयारी है। नया ई-वाहन खरीदने पर लोगों को तीन हजार से लेकर दो लाख तक का इंसेंटिव भी मिलेगा।

पोटोसी, बोलीविया की एक खदान में वाष्पीकरण पूल में पंप किया जाता हुआ लीथियम युक्त नमकीन,Pc-  सर्वोदय जगत
काशी की आंखों का पानी मर चुका है!
यह एक संस्कृति की परिवर्तन की कथा है। हम वरुणा, नदी के देवता, के घावों को ठीक करने का प्रयास करते हैं, पर हमारा परिश्रम उस पार के मलबे में और पॉलीथीनों के ढलानों में, जो वरुणा-जल को गंदा करते हैं, डूब जाता है। आज वह अपनी वेदना पर सिसक रही है, पर उसके पास रोने का पानी भी नहीं है। उसके किनारों से विकास का शोर सुनाई पड़ता है। बीच में आते हैं किला कोहना के जंगल। जब वह राजघाट की इन सुनसान घाटियों में पहुंचती है, तो कारखानों के ज़हर से मिलकर, वरुणा फ़ेन-फ़ेन होकर समुद्र में मिलती है। अपना बचा-खुचा मन और संवरा चुके पानी की एक क्षीण-सी नाली, गंगा को सौंप कर वरुणा अपना मुंह जंगलों की ओर फेरकर लजाती है, तो संगम की चटखदार दुपहरिया भी काली पड़ जाती है।

Posted on 18 Oct, 2023 12:03 PM

मेरे गांव से चलने वाली बस तब 9 रूपये के किराये में बनारस पहुंचा देती थी, जहां से आने में अब 120 रूपये लगते हैं। यह 1984 की बात है। कम्प्यूटर नाम की किसी नयी मशीन का दुनिया में तब बहुत शोर मचा हुआ था, जो लाखों और करोड़ों के जोड़-घटाने पलक झपकते कर देती थी। दुनिया विकास के नये-नये मानदण्ड स्थापित कर रही थी। हमारा देश भी विकसित होने लगा था। अपने गांव के देहाती वातावरण से निकलकर जब हम बनारस पहुंचते

कारखानों के रसायनों से मिलकर झाग-झाग हुआ वरुणा का पानी, PC-– सर्वोदय जगत
गंगा की जीवनदायिनी क्षमता पर संकट
गंगा का निर्मलता, अधिकार और अविरलता तीनों ही महत्वपूर्ण हैं। विकास के नाम पर गंगा के प्रवाह को रोकने वाले 900 से ज्यादा बांध और बैराज गंगा की जीवन-शक्ति को कम करते हैं। गंगा को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए, हमें प्रवाह में सुधार करने की आवश्यकता है

Posted on 18 Oct, 2023 11:44 AM

दुनिया भर में संस्कृतियों का विकास नदियों के किनारे हुआ। इन संस्कृतियों पर प्रहार एवं नदियों का प्रदूषण एक साथ हुआ। औद्योगिक सभ्यता का विकास एवं उस विकास का प्रतिनिधित्व करने वाले नगर, ये दोनों नदियों के प्रदूषण का कारण बने। वस्तुत: नदी ही नहीं, भूमंडल पर सभी तरह के प्रदूषणों एवं इकाेलॉजी को जो खतरा है, उसका कारण वर्तमान औद्योगिक विकास है। इसीलिए कहा जाता है कि नदियों को शुद्ध करने की जरूरत नही

 गंगा की जीवनदायिनी क्षमता पर संकट
हिण्डन संरक्षण के लिए संगोष्ठी का आयोजन
रविवार को गाजियाबाद हित संरक्षण, संवर्धन तथा समन्वयक समिति के तत्वावधान में जीवनदायिनी हिण्डनः वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में एनजीटी के पूर्व चेयरमैन और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आदर्श गोयल एवं गाजियाबाद के पूर्व जिलाधिकारी डॉ अजय शंकर पाण्डेय की उपस्थिति विशेषरूप से महत्वपूर्ण रही।
Posted on 16 Oct, 2023 12:21 PM

गाजियाबाद, 15 अक्टूबर 2023। राजनगर स्थित आईएमए भवन में रविवार को गाजियाबाद हित संरक्षण, संवर्धन तथा समन्वयक समिति के तत्वावधान में जीवनदायिनी हिण्डनः वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। एकदम नई थीम पर आयोजित इस संगोष्ठी में हिण्डन से जुड़े और हिण्डन के लिए काम करने वाले विभिन्न व्यक्ति एवं संगठन एक मंच पर एकत्रित हुए। यही नही संगोष्ठी में एनजीटी के पूर्व चेयरमैन और उच्चतम न्या

हिण्डन नदी वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
शोध : गंगा नदी की ही भाँति सरयू नदी में भी पाई गई जीवाणु भोजी बैक्टीरियोफेज की उपस्थिति
अब वह दिन दूर नहीं कि गंगाजल की तरह सरयू जल को भी बोतल में सुरक्षित किया जा सकेगा और वह खराब नहीं होगा।सरयू नदी में पाए जाने वाले जीवाणु एवं विषाणुओं पर अध्ययन हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग की आर्थिक सहायता प्राप्त की है। इनके निर्देशन में शोध छात्रों द्वारा अस्पताल में संक्रमण करने वाले जीवाणुओं की पहचान और उनकी एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बनने पर अध्ययन किया जा रहा है। Posted on 16 Oct, 2023 11:33 AM

अयोध्या 15 अक्टूबर। इंसानी कर्मों से प्रदूषित हो चुकी नदियों ने खुद को परिष्कृत करने की ठान लिया है। यूं तो उत्तर भारत की सभी नदियां बेहद प्रदूषित हो चुकी हैं लेकिन शारदा की सहायक नदी सरयू, जिसे घाघरा भी कहते हैं अभी सबसे कम प्रदूषित है। गंगा नदी की ही भांति सरयू नदी में भी जीवाणु भोजी बैक्टीरियोफेज की उपस्थिति पाई गई है। इसको लेकर शोध कर रहे अवध विश्वविद्यालय के उत्साहित हैं। गंगाजल की तरह सरय

गंगा नदी,गंगोत्री
एक नज़र : जलवायु परिवर्तन पर(climate change)
आधुनिक समय में मौसम विज्ञान बहुत अधिक विकसित हो चुका है फिर भी प्रायः मौसमविदों की भविष्यवाणियां निरर्थक हो जाती हैं। ऐसे में यह विचार कौंधता है कि क्या इसमें भारतीय ऋतु विज्ञान की सहायता नहीं ली जा सकती मने ही पराधीन काल में भारतीय ऋतु विज्ञान उपेक्षित रहा हो किन्तु अब  स्वतंत्र देश में उसका परीक्षण तो किया ही जा सकता है। Posted on 14 Oct, 2023 06:13 PM

प्रायः ऋतुओं के समय में विचित्र एवं असम्भावित परिवर्तन होते रहते हैं जिससे ऋतुओं का प्रारम्भ अपने निर्धारित क्रमानुसार नहीं होता जैसा कि होना चाहिए। निर्धारित समय से पूर्व वर्षा ऋतु का आगमन या अमृतपूर्व शीतलहरी आदि अप्रत्याशित घटनाओं को देखकर वैज्ञानिकों का ध्यान विपर्यय की ओर गया है। देश-विदेश के विशेषज्ञ अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या के अध्ययन में लगे हुए हैं। इसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं।

ऋतुचक्र का बदलाव
हरियाणा राज्य में जल संसाधनों के प्रबंधन की समस्याएं एवं जियोइंफॉर्मेटिक्स तकनीक द्वारा उनका निदान
भूजल की गुणवत्ता अच्छी थी, अधिक दोहन के कारण भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरता चला गया तथा कृषि क्षेत्र जहाँ भू-जल की गुणवत्ता खराब थी, अधिक सतही पानी के प्रयोग के कारण तथा भूजल की अनुपयोगिता के कारण भूजल स्तर लगातार ऊपर आता चला गया। इसका एक प्रमुख कारण गेहूं-चावल फसल चक्र को भी माना जाता है। Posted on 14 Oct, 2023 12:08 PM

सारांश : 

जल संसाधनों के सतत विकास व प्रबंधन के लिए इन संसाधनों की सही मात्रा का पता चलना तथा प्रयोग के स्तर के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण व शहरीकरण के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता पर लगातार विपरीत प्रभाव पड़ता जा रहा है। एक तरफ पानी की मांग बढ़ी है और दूसरी तरफ पानी की गुणवत्ता पर लगातार प्रदूषण का प्रकोप जारी है। नयी तकनीको

हरियाणा राज्य में जल संसाधनों के प्रबंधन की समस्याएं एवं जियोइंफॉर्मेटिक्स तकनीक
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