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40% बादल आकाश में छाए रहें तो कृत्रिम बारिश की है संभावना
कृत्रिम बारिश में बादलों में कुछ रासायनिक पदार्थ जैसे सिल्वर आयोडाईड, ड्राई आइस या साधारण नमक डाले जाते हैं। इसे क्लाउड सीडिंग का नाम दिया गया है। इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक करने के लिए प्राकृतिक बादलों की उपस्थिति आवश्यक है Posted on 10 Nov, 2023 12:22 PM

दिल्ली में कृत्रिम बारिश का प्रयोग 20 और 21 नवंबर को पहली बार होने की संभावना है। इन दिनों राजधानी में हल्के बादल भी छाए रहने की उम्मीद है। इसलिए इन दिनों के लिए ट्रायल करने की तैयारी चल रही है। इस प्रयोग के बारे में बुधवार को आईआईटी कानपुर के साथ पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और अन्य अधिकारी बैठक करते हैं। बैठक के बाद गोपाल राय ने कहा कि नवंबर के शुरुआत से ही दिल्ली में हवा की रफ्तार बहुत कम है। इ

40% बादल आकाश में छाए रहें तो कृत्रिम बारिश की है संभावना
उम्र भी कम करता है पर्यावरण प्रदूषण(Pollution Reduces Human Lifespans In Hindi )
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान ने अपने नवीनतम वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है और यह भारत के उन क्षेत्रों में से है, जिनकी स्थिति देश के औसत से कहीं अधिक खराब है।  Posted on 08 Nov, 2023 03:34 PM
  • अमेरिका स्थित थिंक टैंक के पिछले दिनों जारी एक अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का मौजूदा स्तर जारी रहा तो दिल्ली के निवासियों को अपने जीवन के 11.9 साल खोने की संभावना है।
  • शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान ने अपने नवीनतम वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है और यह भारत के उन क्षेत्रों में से है, जिनक
उम्र भी कम करता है पर्यावरण प्रदूषण
जनभागीदारी से हो कूड़े-कचरे का प्रबंधन
प्लास्टिक व पॉलीथिन पर नियंत्रण के लिए पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश दिया था जिसमें पूरी तरह पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की गई है। इस आदेश को सरकार ने कड़ाई से पालन करने के लिए प्रयास तो किए हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि इसमें थोड़ी भी कमी नहीं आई है। प्रदूषण नियंत्रण के विषय में अदालतों ने अनेक फरमान जारी किए हैं जिनका प्रभाव एक महीने से अधिक नहीं टिक पाता। इसका कारण है Posted on 08 Nov, 2023 03:25 PM

हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियर, बुग्याल, जंगल में जगह-जगह  कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। यात्रा सीजन पूरा होने के बाद चारधाम और बुग्यालों के बीच में आने वाले पर्यटकों द्वारा पैदा किए गए ठोस कचरे को एकत्रित करने के प्रयास भी किए जाते हैं, लेकिन अक्सर देखा गया कि जहां से इसको बोरों में भरकर उठाया जाता है, उसके आगे नदियों के किनारे ही डंप कर दिया जाता है। इसके बाद सफाई का संदेश भी प्रकाशित हो जाता है। प्र

जनभागीदारी से हो कूड़े-कचरे का प्रबंधन
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण में समाज की भी है जिम्मेदारी
पेरिस समझौते की भावना के अनुरूप उदाहरण के तौर पर देखें तो दिल्ली के अंदर वाहनों के धुएं को कम करने में सरकार और जनता, दोनों की भागीदारी जरूरी होगी। जहां सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बेहतर हो वहीं आम जन को भी कोशिश करनी होगी कि वो इस व्यवस्था का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर दिल्ली के भीतर कार्बन उत्सर्जन को कम करे। दरअसल, वाहनों का प्रदूषण कम करने के लिए पिछले कई सालों से विकसित हुई कार संस्कृति को बदलना होगा। कोयले का इस्तेमाल दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उद्योगों में खुल कर होता है। करीब 3000 से ज्यादा उद्योगों की वायु प्रदूषण में हिस्सेदारी 18 फीसदी के लगभग है।

Posted on 08 Nov, 2023 03:15 PM

सदियों से किताबों में प्रमुखता पाने वाला प्रदूषण का मुद्दा पिछले कुछ सालों से वैश्विक, राष्ट्रीय और कहीं-कहीं क्षेत्रीय राजनीति के केंद्र के तौर पर उभरा है, तो इसके पीछे कई कारण हैं। एक जो सबसे बड़ा कारण है कि आज प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन कई छोटे द्वीपीय देशों और बड़े देशों के तटीय कस्बों के लिए अस्तित्वगत संकट के तौर पर सामने आया है। दूसरा समान महत्व का मुद्दा यह है कि भूतकाल की यह सोच कि पर्

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण में समाज की भी है जिम्मेदारी
भगवंत मान की सरकारी नौटंकी नदी जल-विवाद पर राष्ट्रवाद की गहरी समस्या को उजागर करता है
पंजाब और हरियाणा के नेता विरोधी दलों के साथ समझौता करने से कतराते हैं। कावेरी जल-संघर्ष में भी राष्ट्रीय पार्टियां कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच शांति बनाने का प्रयास नहीं करती हैं।इस मुद्दे को लेकर एक और चिंता का कारण है कि केंद्र सरकार जो ‘राष्ट्रवादी’ दावा करती है, उसने इस मुद्दे पर कोई सक्रिय कदम नहीं उठाया है। Posted on 08 Nov, 2023 02:44 PM

भगवंत मान, एक पूर्व कॉमेडियन, अब पंजाब के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी दलों को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने उन्हें एक बहस में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन वे मना कर दिए। भगवंत मान ने कहा कि वे लोगों को बताना चाहते हैं कि वर्तमान समस्याओं के पीछे कौन जिम्मेदार हैविपक्ष के बहिष्कार का मुख्यमंत्री को कोई फर्क नहीं पड़ा.

नदी जल-विवाद
पर्यावरण प्रदूषण का दिव्यांगजनों पर खतरा ज्यादा
विकलांगता और सतत विकास लक्ष्य पर संयुक्त राष्ट्र की पहली रिपोर्ट-2018 दर्शाती है कि दिव्यांग अधिकांश सतत विकास लक्ष्यों के संबंध में पिछड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, शिक्षा तक पहुंच की कमी, मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों और सुरक्षित रूप से निकलने में कठिनाई के कारण जलवायविक आपदाओं के मामले में दिव्यांगों को अधिक खतरा होता है। वास्तव में आपदा संबंधी पर्याप्त ज्ञान होने से चरम मौसमी घटनाओं के खिलाफ जीवित रहने के बेहतर मौके तलाशने में आसानी होती है



Posted on 08 Nov, 2023 02:35 PM

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने संयुक्त राष्ट्र की जलवायु कार्रवाई के संदर्भ में विकलांगता अधिकारों पर जारी पहली रिपोर्ट के बारे में कहा है कि दिव्यांगों पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों का खतरा बढ़ गया है जिसमें उनके स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, पेयजल, स्वच्छता और आजीविका के खतरे भी शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन समाज के सभी तबकों को समान रूप से प्रभावित करता है, लेकिन जलवायविक आपदा क

पर्यावरण प्रदूषण का दिव्यांगजनों खतरे ज्यादा
प्रदूषण,आर्थिकी के लिए भी चुनौती 
प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक वायु प्रदूषण माना जाता है। यह दुनिया में असमय मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण है। इसके कारण सर्दियां आते ही स्मॉग की काली छाया दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों को अपने दामन में समेट लेती है। प्रदूषण का सबसे प्रतिकूल प्रभाव स्वास्थ्य और उत्पादकता पर पड़ता है। दुनिया में कोई भी कार्य मानव संसाधन की बदौलत ही किया जा सकता है, लेकिन जल, वायु, भूमि, और ध्वनि प्रदूषण शरीर को रुग्ण कर देता है, जिससे स्वास्थ्य मद की लागत बढ़ जाती है और उत्पादकता कम हो जाती है। Posted on 08 Nov, 2023 12:50 PM

प्रदूषण मुख्य तौर पर जल, वायु, भूमि और ध्वनि के प्रदूषित होने से होता है। इसलिए प्रदूषण का समग्र विश्लेषण मुख्य तौर पर जल, वायु, भूमि और ध्वनि के प्रदूषित इन चारों कारकों को ध्यान में रखकर ही किया जा सकता है। जल प्रदूषण, औद्योगिक कचरा, अन्य कचरा फेंकने, जहाजों से होने वाले तेल रिसाव आदि से होता है। वायु प्रदूषण में वृद्धि पराली व कचरा जलाने, कारखानों एवं वाहनों से निकलने वाले धुएं आदि से होती ह

प्रदूषण, आर्थिकी के लिए भी चुनौती 
प्रदूषण के संदर्भ में नीतियों का सख्ती से पालन जरूरी
विकास की इस केंद्रीकृत प्रक्रिया में मध्यम वर्ग के साथ-साथ मजदूर वर्ग का बनना भी स्वाभाविक था। ये दोनों वर्ग महानगरों के अभिन्न हिस्से बन गए। दरअसल, विकास का यह पूंजीवादी मॉडल केंद्रीकृत रहा। औद्योगिक विकास की ओर तो हम चल पड़े लेकिन उससे उभरने वाली चुनौतियों का अनुमान नहीं लगा सके। Posted on 08 Nov, 2023 12:42 PM

प्रदूषण की समस्या आज के समय में बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है। गांव, कस्बे, छोटे शहर तथा महानगर तक इसकी जद में आ गए हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगर तो सबसे अधिक प्रभावित हैं। सच्चाई यह है कि भारत में अनेक तरह के लघु कुटीर उद्योगों से लेकर बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां तक महानगरों के आस-पास ही लगाई गई हैं। आर्थिक इकाई, सामरिक इकाई, तकनीक से संबंधित इकाई एवं बड़े-बड़े शैक्षणिक कें

प्रदूषण के संदर्भ में नीतियों का सख्ती से पालन जरूरी
सामूहिक नाकामी है वायु प्रदूषण
जानना जरूरी है कि कितने एक्यूआई तक की हवा जीवन के लिए स्वच्छ स्वस्थ मानी जाती है। 50 एक्यूआई तक ही हवा अच्छी मानी जाती है। उसके बाद 51 से 100 एक्यूआई तक संतोषजनक मानी जाती है, और 101 से 200 एक्यूआई तक मध्यम। हमारी सरकारें तब जागती हैं, जब एक्यूआई 201 पार कर हवा खराब हो जाती है। जैसे-जैसे हवा बहुत खराब (301-400) और गंभीर (401-500) होती जाती है, सरकारी प्रतिबंध बढ़ने लगते हैं Posted on 08 Nov, 2023 12:28 PM

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश का दिल है। दिल की सेहत पर ही जीवन निर्भर करता है, लेकिन लगता नहीं कि दिल्लीवासियों की सेहत की किसी को चिंता है। हर साल सर्दियों की आहट के साथ ही दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट शुरू होता है। धीरे-धीरे यह संकट पूरे एनसीआर में फैल जाता है, पर इससे निपटने के आधे-अधूरे सरकारी प्रयास भी तभी शुरू होते हैं, जब दम घुटने लगता है। इस संकट से निपटने के सतत प्रयास और दूरगामी नी

सामूहिक नाकामी है वायु प्रदूषण
बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
हम कोई वैज्ञानिक, भूगर्भवेत्ता नहीं हैं।सामान्य लोग हैं जिनका संपर्क कभी कुछ ऐसे लोगों से हुआ जो धरती और उसमें पनपे जीवन के बारे में बड़ी समझ रखते हैं।उन्होंने हमको बताया कि प्रकृति ने कोयला, लोहा, यूरेनियम, पेट्रोलियम जैसे खनिजों को पृथ्वी के अंदर डाला और तब उसकी ऊपरी सतह पर जीवन का निर्माण संभव हो पाया।" Posted on 08 Nov, 2023 11:17 AM

मनुष्य ने ऐसे खनिजों को धरती से खोदकर बाहर निकाल लिया है, जिसके कारण धरती पर जीवन की संभावना लगातार घट रही है।ऐसे ही जल विज्ञानी ने बताया कि नदी के नीचे तीन हिस्सा और ऊपर एक हिस्सा ही पानी बहता है।नदी की रेत खोदने से नदियां मरने लगती हैं।सरकार ने जब रेत खोदने के लिए प्रारंभिक अनुमति प्रदान की तो उन्होंने चुगान शब्द प्रयोग किया था।खनन आज का काम और लूट का नाम है।जो इतिहास और मानव सभ्यता के जानकर

बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
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