समाचार और आलेख

Term Path Alias

/sub-categories/news-and-articles

भारत में बांध हटाने की नीति व कार्यक्रम की आवश्यकता
जल शक्ति मंत्रालय की संसदीय समिति ने मार्च 2023 की 20वीं रिपोर्ट में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग से भारत में बांधों और सम्बंधित परियोजनाओं के व्यावहारिक जीवनकाल और प्रदर्शन का आकलन करने की व्यवस्था को लेकर सवाल किया था। Posted on 22 Dec, 2023 10:56 AM

जल शक्ति मंत्रालय की संसदीय समिति ने मार्च 2023 की 20वीं रिपोर्ट में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग से भारत में बांधों और सम्बंधित परियोजनाओं के व्यावहारिक जीवनकाल और प्रदर्शन का आकलन करने की व्यवस्था को लेकर सवाल किया था। वास्तव में इस सवाल का बांधों को हटाने के विचार पर सीधा असर पड़ता। लेकिन विभाग ने जवाब दिया था कि “बांधों के व्यावहारिक जीवनकाल और प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कोई

भारत में बांध हटाने की नीति व कार्यक्रम की आवश्यकता
जलवायु परिवर्तन के परिवेश में कृषि का स्वरूप
आधुनिक कृषि विज्ञान, पौधों में संकरण, कीटनाशको, रासायनिक उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है. साथ ही, यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक सन्तुलन के लिए क्षति का कारण भी बना है।  इससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ-साथ फसल उत्पादकता भी स्थिर है।  Posted on 21 Dec, 2023 04:28 PM

आज दुनिया की आबादी बढ़कर 8 अरब हो गई है. वैश्विक जनसंख्या 2037 तक 9 अरब और 2050 के आस-पास 10 अरब से ज्यादा होने का अनुमान है.

जलवायु परिवर्तन के परिवेश में कृषि का स्वरूप
ऑस्ट्रेलियन केंचुआ जैविक खेती के लिए बन गया वरदान
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक भारतीय केंचुए वर्मी कंपोस्ट तैयार करने की बजाय जमीन में घुसकर मिट्टी भुरभुरी करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के आइसीबिया की डीडा व भूडीयन मदिनी प्रजाति की मादा केंचुआ हर दो महीने में 60 अंडे देती है। Posted on 21 Dec, 2023 03:41 PM

जैविक खेती के लिए ऑस्ट्रेलियन केंचुआ वरदान साबित हो रहा है। यही वजह है कि बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, महासमुंद, बस्तर, कांकेर सहित राज्य के कई जिलों में किसान बड़े पैमाने पर वर्मी खाद को खेती में इस्तेमाल और उत्पादन कर रहे हैं। दरअसल, इसके पहले ज्यादा पैदावार लेनेवाले किसानों ने रासायनिक खाद का सहारा लिया। इसके साइड इफेक्ट से जमीन बंजर और पैदावार कमजोर होती गई। इसके बाद उन्हें जैविक खेती

ऑस्ट्रेलियन केंचुआ जैविक खेती के लिए बन गया वरदान
दूध उत्पादन के लिये कुछ उपयोगी सुझाव
पशुओं के लिये उचित भोजन वह है जो स्थूल, रूचिकर, रोचक, भूखवर्धक और संतुलित हो और इसमें पर्याप्त हरे चारे मिले हो, उसमें रसीलापन मिला हो और वह संतुष्टि प्रदान करने वाला हो। पशुओं को आमतौर पर दिन में थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर 3 बार भोजन देना चाहिए Posted on 21 Dec, 2023 11:55 AM

पशुओं को आहार से मुख्यतया प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज, विटामिंस आदि पोषक पदार्थ मिलते है जिनका उपयोग ये पशु अपने जीवन निर्वाह, बढ़ोतरी, उत्पादन, प्रजनन तथा कार्यक्षमता आदि के लिये करते हैं। भारत में पशुओं के कम दूध देने वाले पशु, करोड़ों भूमिहीन और सीमांत कृषक, फसलों के बचे अवशेष का उपयोग चारागाहों की कमी आदि है। ऐसे क्षेत्र जहां पर मिश्रित खेती होती है वहां पर दूध उत्पादन प्राय: अधिक पा

दूध उत्पादन के लिये कुछ उपयोगी सुझाव
हर माह 12 लाख रुपये खर्च, फिर भी प्रदूषण से कराह रही सई नदी
वर्तमान में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रतिदिन आठ से नौ मिलियन लीटर गंदा पानी फिल्टर करने के बाद सईनदी में छोड़ता है। दूसरी ओर तीन नालों का करीब पांच से छह मिलियन लीटर गंदा पानी सीधे नदी में गिर रहा है। नतीजा सई नदी अब भी प्रदूषण से कराह रही  है। Posted on 21 Dec, 2023 11:29 AM

प्रशासन हर महीने 12 लाख रुपये खर्च कर रहा है, इसके बाद भी सई नदी प्रदूषण से कराह रही है। कारण सीवेज ट्रीटमेंट से जोड़े गए शहर के चार नालों का पानी फिल्टर करने के बाद सई में छोड़ा जाता है जबकि तीन नालों का गंदा पानी सीधे सई में गिराया जा रहा है। इससे सई में जितना साफ पानी एसटीपी से छोड़ा जाता है उससे अधिक गंदा पानी नदी में गिराया जा रहा है।

हर माह 12 लाख रुपये खर्च, फिर भी प्रदूषण से कराह रही सई नदी,PC-Wikipedia
पर्यावरण संतुलन के लिए तालाब आवश्यक
हर वर्ष एक हजार जलश्रोत अपना वजूद खो रहे हैं। बीते दशकों से सूखे की मार झेलता बुंदेलखंड भी इससे अछूता नहीं है। वहां 9000 से भी अधिक तालाब थे। बीते 30-40 सालों में बचे 3294 तालाबों में से 02 हजार से ज्यादा तालाबों का तो अस्तित्व ही मिटगया है। Posted on 20 Dec, 2023 11:18 AM

पर्यावरण संतुलन के लिए तालाब आवश्यक
सिंचाई के बिना प्रभावित होती कृषि
देश के कुछ राज्य ऐसे हैं जहां ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को सिंचाई में होने वाली परेशानी के कारण कृषि व्यवस्था प्रभावित हो रही है. इन्हीं में एक बिहार के गया जिला का उचला गांव है. जहां किसान सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण कृषि कार्य से विमुख हो रहे हैं. जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी दूर और प्रखंड मुख्यालय बांकेबाज़ार से करीब 13 किमी दूर यह गांव रौशनगंज पंचायत के अंतर्गत है. लगभग 350 परिवारों की आबादी वाले इस गांव में उच्च वर्ग और अनुसूचित जाति की मिश्रित आबादी है Posted on 19 Dec, 2023 03:40 PM
सिंचाई के बिना प्रभावित होती कृषि
भारत में समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं
सतत् परियोजनाओं के लिये वित्तपोषणः ब्लू बॉन्ड भारत में सतत् समुद्री परियोजनाओं के लिये आवश्यक वित्तपोषण प्रदान कर सकते हैं। इसमें स्वच्छ ऊर्जा पहल, अपतटीय पवन फार्म, तरंग ऊर्जा कनवर्टर (wave energy converters). समुद्री संरक्षित क्षेत्र और संवहनीय मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि शामिल हैं। ये परियोजनाएँ रोजगार पैदा कर सकती हैं, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती हैं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकती हैं।  Posted on 19 Dec, 2023 01:46 PM

भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अब भारत अपनी तीव्र वृद्धि को जारी रखने के लिए नए रास्ते तलाश रहा है। भारत की तटरेखा विश्व की सबसे विस्तृत तटीय रेखाओं में से एक है और यह चारों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। ऐसे कई उद्योग हैं जिन्हें भारत अपने महासागरों के माध्यम से विकसित कर सकता है, जैसे मछली पकड़ना, मुर्गी पालन, बंदरगाह और शिपिंग ये उद्योग मिलकर नीली अर्थव्यवस्थ

भारत में समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं
आओ! नदियों को बचाएँ
यदि नदियों में बढ़ते प्रदूषण को रोका नहीं गया तो लगभग 1500-2000 वर्ष बाद भारत नदी विहीन देश होगा। आधुनिकता के युग में पूर्वजों की चेतावनियों को मनुष्य ने अनसुना कर दिया जिसके परिणामस्वरूप पतितपावनी गंगा सहित अन्य नदियों का पावन जल कलुषित और प्रदूषित हो गया है। कई नदियाँ विलुप्ति के सन्निकट हैं और कुछ का अस्तित्व समाप्त हो चुका है।  Posted on 19 Dec, 2023 12:57 PM

मानव सभ्यता का विकास नदियों के तट पर हुआ। नदियों को मानव ने जल स्रोत और जीवनोपयोगी साधन जुटाने का माध्यम बनाया। सिंधु घाटी की सभ्यता, नील नदी घाटी सभ्यता से लेकर अद्यतन मानव और जीव-जंतुओं का जीवन का आधार भी नदियाँ ही हैं। यह परिवहन और कृषि कार्य के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं। जिस प्रकार माँ अपनी संतान का पालन-पोषण करती है, उसी प्रकार नदियाँ भी मानव सहित अनेक प्राणियों के लिए जीवनदात्री हैं। नदी क

आओ! नदियों को बचाएँ
अफगानिस्तान से दिल्ली तक भूकम्प बड़ी तबाही का सिग्नल तो नहीं!
दिल्ली -एनसीआर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में 3 अक्टूबर के बाद से बार-बार भूकम्प के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 3 अक्टूबर की दोपहर को तो भूकम्प के जोरदार झटके महसूस किए गए थे, जिसका केन्द्र नेपाल के बझांग जिले में था। उत्तर भारत में उस दौरान लगातार दो बार धरती कांपी थी। हालांकि भारत में भूकम्प के उन झटकों से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ था लेकिन केवल 26 मिनट में ही नेपाल से लेकर दिल्ली तक दो बार लगे भूकम्प के जोरदार झटकों से हर कोई कांप गया था।  Posted on 18 Dec, 2023 12:33 PM

दिल्ली -एनसीआर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में 3 अक्टूबर के बाद से बार-बार भूकम्प के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 3 अक्टूबर की दोपहर को तो भूकम्प के जोरदार झटके महसूस किए गए थे, जिसका केन्द्र नेपाल के बझांग जिले में था। उत्तर भारत में उस दौरान लगातार दो बार धरती कांपी थी। हालांकि भारत में भूकम्प के उन झटकों से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ था ले

अफगानिस्तान से दिल्ली तक भूकम्प बड़ी तबाही का सिग्नल तो नहीं!
×