सौरा नदी रह गई मैली | Causes of pollution of river Saura

सौरा नदी रह गई मैली
सौरा नदी रह गई मैली

प्रमंडलीय मुख्यालय के शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली सौरा नदी का सिकुड़ता आकर और इसमें बढ़ता प्रदूषण आने वाले दिनों में तबाही का संकेत दे रहा है. शहर से गुजरने वाली यह अब अकेली नदी बची है, जिसे प्रदूषण से बचाने की जरूरत महसूस की जा रही है। मगर, विडंबना है कि प्रदूषण से मैला होते नदी के पानी पर नियंत्रण की पहल नहीं हो रही है।  

नमामि गंगे से जुड़ी कोई योजना नदी तक नहीं पहुंच सकी है। नमामि गंगे कार्यक्रम योगा, सइकिल, मैराथन, प्रदर्शनी, फूड फेस्टिवल, वर्कशॉप और नुक्कड़ नाटक जैसे आयोजन तक सिमट कर रह गया है, यह अलग बात है कि नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए पिछले एक साल में कई बैठकें हुईं, दिशा-निर्देश भी जारी किये गये पर नदी को गंदगी से बचाने के लिए कोई कारगर पहल नहीं हो सकी। हालात इस तरह बन गये हैं कि प्रदूषण के सामने सौरा नदी अब बेबस और लाचार नजर आ रही है।  

गौरतलब है कि सौरा नदी पर एक तरफ कप्तान पुल और दूसरी तरफ पूर्णिया सिटी पुल का लोड है। तीसरी तरफ देखा जाये तो नदी के ऊपर से बाइपास में एनएच 31 भी गुजरता है, कप्तान पुल के बगल में अभी पुल का निर्माण कार्य चल रहा है, जिससे स्वाभाविक रूप से गंदगी पसर गयी है। पूर्णिया सिटी में न केवल नदी की बहती धारा पर ब्रेक लग रहा है बल्कि चहुंओर गंदगी भी पसरी नजर आ रही है। दरअसल, सौरा नदी के किनारे घनी आबादी बसी हुई है और यहां के लोग नदी के पानी का इस्तेमाल भी करते हैं, वहां कप्तानपाड़ा के पीछे घाट बना हुआ है जहां लोग स्नान भी करते हैं। सिटी में जगन्नाथ घाट पर स्नान के साथ कपड़े भी धोये जाते हैं। विडंबना तो तय दिखती है जब बाइपास एनएच के पुल के नीचे सौरा नदी में शहर और आसपास के टेंट हाउस के दरी, कालीन, शामियाना आदि की धुलाई होती नजर आती है। शादी-ब्याह के लगन के समय यह दृश्य सहज ही नजर आ जाता है।  

नदी में गिरता है नाले का गंदा पानी 

एक तरफ तो नमामि गंगे से संबंधित बैठकों में नदी को प्रदूषणमुक्त करने और इसमें गंदगी या कचरा नहीं गिराये जाने के लिए आदेश और दिशा-निर्देश दिये जाते है तो दूसरी ओर नाले का गंदा पानी इसी सौरा नदी में गिराया जाता है। जानकारी के अनुसार खुश्कीबाग बने नाले से बहते हुए पूरे इलाके की गंदगी कटिहार मोड़ स्थित मनुषमारा धार में गिरती है और इस धार का सीधा कनेक्शन सौरा नदी से है, जहां पूरी गंदगी नदी में मिल जाती है। इसी को यदि आगे से देखा जाये तो मनुषमारा धार गुलाब-बाग होते हुए नागेश्वर-बाग के बीच से निकल कर कटिहार मोड़ वाले पुल के नीचे मिलता है। 

आस्था के नाम पर भक्त भी फैला रहे गंदगी

यह बड़ी विडंबना है कि पूर्णिया सिटी में सौरा नदी के पानी में आस्था के नाम पर भक्त भी गंदगी फैला रहे है।  सिटी में सौरा नदी में बड़ी बेरहमी से पूजन-अनुष्ठान का कचरा फेंक रहे है। आलम यह है कि यहां श्रद्धा की डुबकी लगाने में भी लोग संकोच करते है। नदी में पुल के नीचे और दोनों तरफ नदी के किनारे गंदगी पसरी रहती है। यहां स्नान करने वाले लोग कहते है कि पानी में नहाने से कभी-कभी शरीर खुजलाने लगता है। दरअसल, लोग अपने-अपने घरों से पूजा-पाठ संपन्न होने के बाद विसर्जन के नाम पर सारा आइटम नदी में ही डाल देते है। इतना ही नहीं प्रतिमाओं का भी विसर्जन किया जाता है जिससे नदी की धारा बाधित हो जाती है.

आंकड़ों का आईना

  • 1987 में पहली बार सौरा नदी के कायाकल्प की हुई थी पहल 
  • 2019 के अंत में सौरा नदी को प्रशासन में संज्ञान में लिया 
  • 2017 में सौरा नदी के सर्वे के लिए गठित हुई थी अधिकारियों की टीम
  • 2.18 किलोमीटर  तटबंध का सौंदर्गीकरण पहले चरण में होना था 
  • 3.62 किमी श्रीनगर तटबंध पर बननी थी सड़क। 
  •  4.30  पामर तटबंध पर किया गया था जीएसबी 
  • 1.98  किमी  कप्तान पुल के ऊपर तट को सजाने की थी योजना 
  • 2.16 किमी लंबाई तक कप्तानपुल के नीचे किया गया था जीएसबी 
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Post By: Shivendra
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