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उत्तराखंड
संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स 2023 की घोषणा: ग्रामीण रिपोर्टिंग में उत्कृष्ट उपलब्धियों एवं युवा आवाजों के सशक्तिकरण की पहल
Posted on 17 Oct, 2023 02:14 PMनई दिल्ली, 17 अक्टूबर - सामाजिक मुद्दों पर आधारित देश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लेखकों के शोधपरक आलेख को मंच प्रदान करने वाले प्रतिष्ठित 'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स - 2023" की घोषणा चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क, दिल्ली द्वारा कर दी गई है.
गौला नदी की 'हत्या'
Posted on 29 Jul, 2023 03:01 PMमानसून आ चुका है। एक्सट्रीम बारिश हर साल नियमित होती जा रही है। लोगों में बहुत समय से उत्तराखंड की नदियों को तहस-नहस कर रखा है। उनमें पानी कम रहता है और वे अचानक आने वाली बाढ़ के जरिये अपना विरोध जताती हैं। प्रकृति के इस कोप से लोगों को सुरक्षित करने के लिए राज्य सरकार को स्वभावत: चिंतित होना चाहिए। पर यहाँ तो चिंता ही किसी और बात की है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 18 फरवरी को नई
प्राचीन जलविज्ञान
Posted on 28 Jun, 2023 01:30 PMजलविज्ञान के आविष्कर्ता वैदिक ऋषि ‘सिन्धुद्वीप’
शनिदेव की आराधनामंत्र के मंत्रद्रष्टा ऋषि भी थे सिन्धुद्वीप
"जलमेव जीवनम"
सहस्त्रधारा-बाल्दी नदी के सभी कब्जे हटाए जाएं - एनजीटी
Posted on 17 Jun, 2023 05:06 PM5 जून 2023, देहरादून,
विजय जड़धारी को मिला 'हिमालय प्रहरी सम्मान'
Posted on 03 Jun, 2023 03:18 PMटिहरी जनपद की रमणीय हरी-भरी रौतियाली हेंवलघाटी को एक बार फिर से 21 मई 2023 की तपती दोपहरी को अपने पर इतराने इठलाने का मौका मिला, जब हेवलघाटी के चिपको आंदोलन के पुरोधा जमनालाल बजाज पुरूस्कार विजेता सर्वोदयी धूम सिंह नेगी जी के बाद उनके ही कर्मठ शिष्य चिपको कार्यकर्त्ता और विश्व विख्यात बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता सर्वोदयी विजय जड़धारी को 'हिमालय प्रहरी सम्मान 2023' से नवाजा गया। सर्वोदयी पद्मविभू
पहाड़ी जिलों में बिगड़ रहे हालात
Posted on 27 Mar, 2023 02:40 PMहमने बचपन से बड़े होते अक्सर यह सुना है, जल ही जीवन है, अर्थात जल के बिना जीवन संभव ही नहीं। लेकिन प्राकृतिक जलस्रोत लगातार सूखते जा रहे हैं। हालात यह हैं कि एशिया के वाटर हाउस वाले हिस्से में भी यानी हिमालय में जल संकट की समस्या पैदा हो चुकी है। हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट जैसे राज्यों में जल के लिए करीब 60% आबादी झारनों और प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है।
जलवायु संकट : प्रभावित होती आजीविका, सामाजिक गतिविधियां और कठिनतम होता जीवन
Posted on 12 Nov, 2011 01:17 PMपड़ोसी गांव पल्ला में आलू, राजमा तथा चौलाई का उत्पदन बढ़ा है और आपदाओं से उनका नुकसान भी कम हुआ है। इसका मुख्य कारण है कि वहां पर आज भी जैविक खेती की जाती है तथा गांव, वनों से घिरा है। अतः जिस संस्था से मैं जुड़ा हूं, वह कुछ सालों से इस दिशा में काम कर रही है। जल व बीज संरक्षण को लेकर पदयात्राएं की गई हैं। विलुप्त पारंपरिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने व स्थानीय वृक्षारोपण का भी काम किया गया है। मुझे उम्मीद है कि इससे कुछ तो बिगड़ती स्थिति की रफ्तार को हम रोक पाएंगे
मैं लक्ष्मण सिंह नेगी गांव पिल्खी, विकासखंड जोशीमठ, जिला चमोली उत्तराखंड का निवासी हूं। करीब 4800 फीट की ऊंचाई पर स्थित, हमारा गांव छोटा ही है जिसमें 14-15 परिवार ही हैं। मैं एक सीमांत कृषक हूं। मेरे परिवार की करीब 15 नाली (करीब 6 बीघा) जमीन है जिसमें हम मिश्रित खेती कर धान, गेहूँ, रामदाना, राजमा, सरसों, खीर, हल्दी, धनिया, मिर्च आदि उगाते हैं। पिछले 10 वर्षों से मैं अपने इलाके में कार्य कर रही एक सामाजिक संस्था, जयनन्दा देवी स्वरोजगार शिक्षण संस्थान ‘जनदेश’ से भी जुड़ा हूं। 9 नवंबर 2000 में स्थापित पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में जनपद चमोली उच्च हिमालयी क्षेत्र है। हमारे जनपद में सदाबहार बर्फीली चोटियों की श्रृंखला है और यहीं हिन्दु धर्म की आस्था के कई तीर्थ स्थित हैं, जिनमें प्रमुख बद्रीनाथ धाम। हमारे जनपद में ही कई प्रमुख नदियों का उद्गम है जिनमें सबसे बड़ी है अलकनंदा। इस नदी में छोटी नदियों के अलावा, पांच बड़ी नदियों का संगम पड़ता है जिनमें से पांचवा संगम देवप्रयाग पर भागीरथी से मिलने के बाद दोनों गंगा कहलाती हैं।गाड-गदेरों, छोटी नदियों की सुध जरूरी
Posted on 11 Apr, 2010 09:23 PMगढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा में छोटी, लेकिन बारहमासी नदियों को ‘गाड’ कहा जाता है। ‘गाड’ शब्द ‘गाद’ का स्थानीय रूप है। ‘गाद’ नदी में आने वाले मलबे को कहते हैं। अंग्रेजी में अत्यधिक कीचड़ के कारण मड और बारीक तलछट के कारण ‘सिल्ट’ कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में बड़ी नदियों को छोड़कर तमाम छोटी नदियों को ‘गाड’ के नाम से जाना जाता है। यही गाड वर्षा ऋतु में पहाड़ों सगंगा का आखिरी गर्जन ?
Posted on 31 Jan, 2010 08:50 AMविशाल बांध, दरकते पहाड़ और ढहते गांव. भारत की सबसे ताकतवर और उतनी ही पूजनीय नदी गंगा को उसके उद्गम के पास ही बांधकर उसे मानवनिर्मित सुरंगों में भेजा जा रहा है. क्या ऐसा करके महाविनाश को तो दावत नहीं दी जा रही? तुषा मित्तल की रिपोर्ट.परियों की दुनिया सा सुंदर मिलम
Posted on 02 Jan, 2010 02:39 PMउत्तराखंड के अनेक सुंदर पर्वतीय क्षेत्रों में से एक है मिलम ग्लेशियर। मिलम गांव के नाम से प्रसिद्ध यह हिमनद नेपाल और तिब्बत की सीमाओं के समीप है। कुमाऊं डिवीजन में मुंसियारी से आगे 56 किलोमीटर पैदल चलकर मिलम ग्लेशियर पहुंचा जाता है। इस रमणीक और कुछ कठिन यात्रा को पूरा करने में आम तौर पर चार से पांच दिन लगते हैं, लेकिन खूबसूरत हरदयोल शिखर के दर्शन चौथे दिन हो ही जाते हैं। यही वह जगह है जिसके वक्