उत्तर प्रदेश

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घड़ियालों की मौत
Posted on 26 Jun, 2010 11:31 AM
इस बार सर्दियों के मौसम में उत्तर प्रदेश में इटावा के निकट राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य में चम्बल नदी में घड़ियालों की बड़े पैमाने पर मौत से ग्रामीण दंग रह गए। वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया के अनुमान के मुताबिक दिसंबर के बाद ढाई महीने के अंतराल में सौ से ज्यादा घड़ियालों की मौत हो गई। क्या ऐसा मौसम का मिजाज बदलने के कारण हो रहा था? या फिर घड़ियाल किसी संक्रामक बीमारी के चपेट में आ रहे थे?
गंगा को बचाने का एक और भगीरथ प्रयास
Posted on 25 Jun, 2010 09:06 AM हरदोई, 24 जून (जनसत्ता)। गंगा जैसी पवित्र नदी को बचाने के लिए एक बार फिर भगीरथ निकल पड़े हैं। ये वे भगीरथ हैं जो जन-जन से गंगा बचाने के लिए सहयोग मांग रहे हैं। बिलग्राम के पास स्थित राजघाट पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आचार्य नीरज अपने साथियों के साथ गंगा पुत्रों की तलाश में पहुंचे और लोगों को जागरुक किया।
चंबल के बच्चे मुसीबत में
Posted on 22 Jun, 2010 04:50 PM
वन्यजीव प्रेमियों के लिए चंबल सेंचुरी क्षेत्र से एक बड़ी खुशखबरी आई है। चंबल के किनारों पर नए मेहमानों यानी घड़ियालों के सैकड़ों बच्चों की तादात देखने को मिल रही है। देश-विदेश के वन्यजीव प्रेमियों के खुशी का पारावार नहीं है। पर दुख की बात यह है कि लापरवाही और शिकार की वजह से चंबल सेंचुरी में घड़ियालों के सैकडों बच्चों की जान मुश्किल में है।
पट्टे पर दी जा रही है यमुना, बैंक बांट रहे हैं कर्ज
Posted on 19 Jun, 2010 09:53 AM नियमों के मुताबिक नदी में मालिकाना यानि संक्रमणीय अधिकार देना गैर-कानूनी है। उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 132 के अंतर्गत वन, नदी, नालों, झील, तालाब, पोखर, श्मशान, कब्रिस्तान, सार्वजनिक इस्तेमाल या विशेष प्रयोजन के लिए आरक्षित जमीन पर किसी भी तरह के भूमिधरी अधिकार नहीं दिए जा सकते। लेकिन सहारनपुर प्रशासन के लिए ये कानून कोई मायने नहीं रखते। भूमाफिया ने जमुना नदी को आईसीआईसीआई जैसे प्रतिष्ठित बैंकों में गिरवी रखकर करोड़ों का कर्ज भी ले रखा है।सहारनपुर, 18 जून। अफसरों व प्रशासन की मिलीभगत से यमुना नदी की हजारों बीघे गैर-कृषि भूमि पर भूमाफिया को मालिकाना हक बांट दिए गए हैं। सिर्फ यमुना ही नहीं, यही हाल हिंडन व ढमोला जैसी उसकी सहायक नदियों का भी है। गांवों में तालाबों और पोखरों की जमीन के भी अवैध तरीके से मालिकाना हक बांटे जा रहे हैं। इस तरह से हजारों हेक्टेयर सार्वजनिक जमीन पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। इस खेल में बैंक भी पीछे नहीं हैं। अवैध तरीके से पट्टे पर दी गई इस जमीन पर बैंकों ने लोगों को करोड़ों के कर्ज बांट रखे हैं। इसकी आड़ में चंद प्रभावशाली लोग खेती, पेड़ों की कटाई और खनन से हर साल करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।

नियमों के मुताबिक नदी में मालिकाना यानि संक्रमणीय अधिकार देना गैर-कानूनी है। उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 132
भूगर्भ जल के संरक्षण, सुरक्षा एवं विकास हेतु प्रस्तावित विधेयक पर 45 दिनों में लोगों से सुझाव एवं प्रतिक्रिया की अपील
Posted on 29 May, 2010 09:36 PM लखनऊ। मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता ने आज मीडिया सेन्टर में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि भूजल संसाधनों के संरक्षण, सुरक्षा, प्रबन्ध, नियोजन एवं विनियमन हेतु राज्य सरकार द्वारा लोकहित में एक अधिनियम बनाने का निश्चय किया गया है। उक्त के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा तैयार किये गये प्रस्तावित अधिनियम को जनमानस के सुझाव एवं प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु आज
उ0प्र0 भूगर्भ जल संरक्षण, सुरक्षा एवं विकास (प्रबन्ध, नियंत्रण एवं विनियमन)विधेयक 2010
Posted on 29 May, 2010 11:43 AM उ0प्र0 भूगर्भ जल संरक्षण, सुरक्षा एवं विकास (प्रबन्ध, नियंत्रण एवं विनियमन)विधेयक 2010 का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। यह ड्राफ्ट अधिनियम प्रदेश में भूगर्भ जल के वर्तमान परिदृश्य पर आधारित है जिसमें विभिन्न हाईड्रोजियोलाजिकल स्थितियों के अनुरूप भूजल विकास (दोहन) एवं भूगर्भ जल में गिरावट के ट्रेन्ड केअनुसार सुरक्षित, सेमी क्रिटिकल, क्रिटिकल एवं अतिदोहित श्रेणी में वर्गीकृत यूनिटस/क्षेत्र के अनुसार वि
कानपुर में अब नहीं लगेंगे चमड़े के कारखाने
Posted on 25 May, 2010 10:41 AM कानपुर, 24 मई। गंगा के बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि कानपुर के जाजमऊ में अब कोई भी नई टेनरी (चमड़ा फैक्टरी) नहीं लगेगी। जो टेनरियां चल रही हैं उन पर सख्ती करते हुए प्रशासन ने कहा है कि उनका पानी किसी भी हालत में गंगा नदी में नहीं डाला जाएगा। यूपी लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (यूपीएलए) के सचिव इमरान सिद्दीकी ने सोमवार को बताया कि पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार क
खिसक रहा भू-जल स्तर, कवायद हुई फेल
Posted on 23 May, 2010 10:37 AM

तेजी से कट रहे वृक्ष, पट रहे जलाशय, सिकुड़ रहे तालों एवं बढ़ रही आबादी के बीच प्राकृतिक जल का संरक्षण नहीं हो पा रहा है। पर्यावरण पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव एवं प्रदूषण ने औसत तापमान में वृद्धि कर दिया है। इन कारणों के चलते भूजल स्तर तेजी से प्रतिवर्ष नीचे खिसकता जा रहा है। हाल यह कि हैडपंप सूख रहे है तोकुंए से जल निकालना आसान नहीं रहा। जमीन से पानी निकालने में लगे छोटे पंप तो दूर नलकूप भी खिसक

सृजन से विसर्जन तक
Posted on 14 Apr, 2010 02:43 PM

कुदरत खुद जो भी पैदा करती है तो उसके सृजन से लेकर विसर्जन तक की जिम्मेदारी भी खुद ही निभाती है। मगर मानव अपने कारखानों में जो भी बनाता है और उस बने हुए कृत्रिम सामान का उपयोग करता है परन्तु उसके विसर्जन की जिम्मेदारी न उत्पादनकर्ता लेता है और न उपभोक्ता लेता है चूंकि जो मानव ने कृत्रिम तरीके से बनाया है उसके अपव्यय को धरती भी स्वीकार नही करती। अर्थात् समस्त संसार में प्रदूषणरूपी राक्षस संसार से

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