कानपुर, 24 मई। गंगा के बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि कानपुर के जाजमऊ में अब कोई भी नई टेनरी (चमड़ा फैक्टरी) नहीं लगेगी। जो टेनरियां चल रही हैं उन पर सख्ती करते हुए प्रशासन ने कहा है कि उनका पानी किसी भी हालत में गंगा नदी में नहीं डाला जाएगा। यूपी लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (यूपीएलए) के सचिव इमरान सिद्दीकी ने सोमवार को बताया कि पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण विभाग के आला अधिकारियों, यूपीएलए के पदाधिकारियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद प्रदेश सरकार ने फैसला किया है।
सिद्दीकी ने बताया कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से 50 हजार मजदूर और हर साल करीब 2500 करोड़ रूपए के चमड़े और चमड़े से बने उत्पादों के कारोबार को तगड़ा झटका लगा है और टेनरी से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रदेश सरकार के इतने प्रतिबंधों और सख्ती के बाद तो यहां काम करना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले आठ अप्रैल 2010 को जिला प्रशासन ने प्रदूषण फैलाने के मामले में टेनरी (चमड़ा कारखानों) पर शासन का शिकंजा कसते हुए प्रदूषण फैला रही 65 टेनरियों को कानपुर से बाहर उन्नाव तुरंत भेजे जाने के आदेश दिए थे।
कानपुर जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) को निर्देश दिया कि वह प्रदूषण फैला रही इन टेनरियों को उन्नाव में तुरंत जमीन उपलब्ध कराए। इन टेनरियों को पड़ोसी जिले उन्नाव भेजे जाने के बारे कानपुर जिला प्रशासन का तर्क था कि ये वे टेनरियां हैं जिन्हें पिछले तीन सालों में प्रदूषण फैलाते हुए पकड़ा गया था और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने इन पर कड़ी कार्रवाई करते हुए इन्हें तुरंत बंद करने के आदेश दिए थे।
लेकिन सूत्रों की मानें तो प्रदूषण बोर्ड के निर्देशों का पालन करते हुए ये टेनरियां बाहर दरवाजे से तो बंद कर दी गई थीं लेकिन इनमें चोरी छिपे काम होता था। जिला अधिकारी कानपुर अमृत अभिजात ने बोर्ड की चिन्हित की गई 65 ऐसी टेनरियों को जो प्रदूषण फैलाने की जिम्मेदार थी उन्हें तुरंत शहर से बाहर करने का आदेश दिया था। उन्होंने यूपीएसआईडीसी के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि इन टेनरियों को पड़ोसी जिले उन्नाव के बंथर में तुरंत जमीन आवंटित की जाएं और उन्हें वहां अपनी टेनरी स्थापित करने को कहा जाए।
प्रदेश सरकार के प्रदूषण कम करने के निर्देश और जिला प्रशासन के कड़े रूख के कारण शहर के 418 अन्य टेनरी मालिकों के पसीने छूट गए हैं और उन्हें ऐसा लग रहा है कि देर सवेर उन्हें भी अपना चमड़ा उद्योग शहर से बाहर ले जाना पड़ेगा, लेकिन इन टेनरी मालिकों को इन 65 टेनरियों को उन्नाव भेजे जाने से कोई आपत्ति नहीं हैं। टेनरी के चमड़ा उद्योग से शहर में गंगा का पानी प्रदूषित हो रहा है इस बात को आधार बनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार शहर के टेनरी उद्योग से जुड़े लोगों को पड़ोस के जिले उन्नाव में शिफ्ट करने की तैयारी कर रही है लेकिन टेनरी उद्योग के मालिक उन्नाव जाने को किसी भी सूरत में तैयार नहीं हैं और वे सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
सरकार के दो महीने पहले टेनरियों को कानपुर से उन्नाव ले जाने के मामले में एक यूटर्न तब आ गया जब उन्नाव की सांसद ने घोषणा कर दी कि वह कानपुर का कचरा और गंदगी उन्नाव नहीं आने देंगी और कानपुर की किसी भी टेनरी को उन्नाव में प्रवेश नहीं करने देंगी। यूपी लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से जुड़े इमरान सिद्दीकी कहते हैं कि शहर के जाजमऊ इलाके में करीब 402 चमड़े का काम करने वाली टेनरियां हैं। इसलिए सरकार को टेनरी उद्योग से जुड़े लोगों का ख्याल करके ही कोई फैसला लेना चाहिए।
सिद्दीकी ने बताया कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से 50 हजार मजदूर और हर साल करीब 2500 करोड़ रूपए के चमड़े और चमड़े से बने उत्पादों के कारोबार को तगड़ा झटका लगा है और टेनरी से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रदेश सरकार के इतने प्रतिबंधों और सख्ती के बाद तो यहां काम करना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले आठ अप्रैल 2010 को जिला प्रशासन ने प्रदूषण फैलाने के मामले में टेनरी (चमड़ा कारखानों) पर शासन का शिकंजा कसते हुए प्रदूषण फैला रही 65 टेनरियों को कानपुर से बाहर उन्नाव तुरंत भेजे जाने के आदेश दिए थे।
कानपुर जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) को निर्देश दिया कि वह प्रदूषण फैला रही इन टेनरियों को उन्नाव में तुरंत जमीन उपलब्ध कराए। इन टेनरियों को पड़ोसी जिले उन्नाव भेजे जाने के बारे कानपुर जिला प्रशासन का तर्क था कि ये वे टेनरियां हैं जिन्हें पिछले तीन सालों में प्रदूषण फैलाते हुए पकड़ा गया था और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने इन पर कड़ी कार्रवाई करते हुए इन्हें तुरंत बंद करने के आदेश दिए थे।
लेकिन सूत्रों की मानें तो प्रदूषण बोर्ड के निर्देशों का पालन करते हुए ये टेनरियां बाहर दरवाजे से तो बंद कर दी गई थीं लेकिन इनमें चोरी छिपे काम होता था। जिला अधिकारी कानपुर अमृत अभिजात ने बोर्ड की चिन्हित की गई 65 ऐसी टेनरियों को जो प्रदूषण फैलाने की जिम्मेदार थी उन्हें तुरंत शहर से बाहर करने का आदेश दिया था। उन्होंने यूपीएसआईडीसी के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि इन टेनरियों को पड़ोसी जिले उन्नाव के बंथर में तुरंत जमीन आवंटित की जाएं और उन्हें वहां अपनी टेनरी स्थापित करने को कहा जाए।
प्रदेश सरकार के प्रदूषण कम करने के निर्देश और जिला प्रशासन के कड़े रूख के कारण शहर के 418 अन्य टेनरी मालिकों के पसीने छूट गए हैं और उन्हें ऐसा लग रहा है कि देर सवेर उन्हें भी अपना चमड़ा उद्योग शहर से बाहर ले जाना पड़ेगा, लेकिन इन टेनरी मालिकों को इन 65 टेनरियों को उन्नाव भेजे जाने से कोई आपत्ति नहीं हैं। टेनरी के चमड़ा उद्योग से शहर में गंगा का पानी प्रदूषित हो रहा है इस बात को आधार बनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार शहर के टेनरी उद्योग से जुड़े लोगों को पड़ोस के जिले उन्नाव में शिफ्ट करने की तैयारी कर रही है लेकिन टेनरी उद्योग के मालिक उन्नाव जाने को किसी भी सूरत में तैयार नहीं हैं और वे सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
सरकार के दो महीने पहले टेनरियों को कानपुर से उन्नाव ले जाने के मामले में एक यूटर्न तब आ गया जब उन्नाव की सांसद ने घोषणा कर दी कि वह कानपुर का कचरा और गंदगी उन्नाव नहीं आने देंगी और कानपुर की किसी भी टेनरी को उन्नाव में प्रवेश नहीं करने देंगी। यूपी लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से जुड़े इमरान सिद्दीकी कहते हैं कि शहर के जाजमऊ इलाके में करीब 402 चमड़े का काम करने वाली टेनरियां हैं। इसलिए सरकार को टेनरी उद्योग से जुड़े लोगों का ख्याल करके ही कोई फैसला लेना चाहिए।
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