लखनऊ। मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता ने आज मीडिया सेन्टर में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि भूजल संसाधनों के संरक्षण, सुरक्षा, प्रबन्ध, नियोजन एवं विनियमन हेतु राज्य सरकार द्वारा लोकहित में एक अधिनियम बनाने का निश्चय किया गया है। उक्त के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा तैयार किये गये प्रस्तावित अधिनियम को जनमानस के सुझाव एवं प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु आज यहां भूगर्भ जल विभाग, उ0प्र0 की वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है। ड्राट भूजल अधिनियम के प्राविधानों पर जनमानस की प्रतिक्रिया एवं सुझाव 45 दिवस के अन्तर्गत अर्थात विलम्बतम 05 जुलाई 2010 तक आमन्त्रित है। सुझाव एवं प्रतिक्रिया ईमेल पर या निदेशक भूगर्भ विभाग उ0प्र0 नवां तल इंदिरा भवन अशोक मार्ग, लखनऊ के पते पर प्रेषित किये जा सकते हैं।
मुख्य सचिव श्री गुप्ता ने बताया कि प्रस्तावित अधिनियम राज्य में भूगर्भ जल के सुरक्षा एवं विकास के प्रबन्धन, नियन्त्रण एवं विनियमन के उद्देश्य से तैयार किया गया है। प्रदेश में विगत वर्षो में भूगर्भ जल के अनियिन्त्रत एवं तेजी से हो रहे दोहन के फलस्वरूप कई क्षेत्रों में भूगर्भ जल स्तर में गिरावट परिलक्षित हुई है, जिससे भूजल उपलब्धता की दृष्टि से चिन्ताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है तथा राज्य के कई भागों, शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में भूजल के जलाशयों में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास हेतु भूगर्भ जल का दोहन आवश्यक है, किन्तु इसके साथ-साथ इस बहुमूल्य संसाधन की सुरक्षा एवं परिरक्षण के लिए उसका प्रबन्ध, नियन्त्रण एवं विनियमन विशेषकर संकटग्रस्त क्षेत्र में किया जाना समय की मांग भी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 138 विकास खण्ड संकटग्रस्त की श्रेणी में हैं और यदि इस बहुमूल्य संसाधन की सुरक्षा एवं प्रबन्धन हेतु पर्याप्त एवं प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो शीघ्र ही अधिकांश विकास खण्ड संकटग्रस्त की श्रेणी में होंगे, जो प्रदेश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, और अधिकांश क्रियाकलाप बन्द हो जायेंगे, जो क्रियाकलाप होंगे भी, वे अधिक खर्चीले होंगे।
श्री गुप्ता ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक को नाम एवं विस्तार तथा परिभाषाओं, भूजल प्राधिकरण के गठन इसके कृत्य अधिकार शक्तियों, भूजल सम्भरण तथा विविध जिसमें दण्ड इत्यादि के प्राविधान हैं, चार अध्यायों में विभाजित किया गया है। प्रस्तावित एक्ट सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में लागू होगा तथा यह सरकार द्वारा निर्धारित तिथि से लागू होगा। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विधेयक में गैर नोटीफाइड, सेमी क्रिटिकल, अतिदोहित एवं क्रिटिकल क्षेत्रों हेतु अलग-अलग प्राविधान है।
नॉन नोटीफाइड शहरी क्षेत्र में 0.5 हार्स पावर तक के प्रयुक्त करने वाले भूजल उपभोक्ता पर कोई नियन्त्रण फिलहाल नहीं होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट स्थापित करने हेतु रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा तथा भूजल दोहन सीमा प्रत्येक शहरी क्षेत्र हेतु बल्क यूजर के लिए निर्धारित सीमा तक होगी। रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज अनिवार्य होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना होगा।
शहरी क्षेत्र के बल्क यूजर को निर्धारित मात्रा में आर0डब्लू0एच0/आर0 (रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज) करना होगा तथा भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक करने का प्रतिबन्ध होगा। बल्क यूजर से भूजल दोहन हेतु फीस लेने का भी प्राविधान है तथा इसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार करायें।
नॉन नोटीफाइड ग्रामीण क्षेत्र में फिलहाल 7.5 हार्स पावर तक के पम्पसेट प्रयुक्त/स्थापित करने वाले भूजल उपभोक्ताओं पर कोई प्रतिबन्ध/नियन्त्रण लागू नहीं होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट स्थापित करने हेतु वाटर यूजर एसोशिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा तथा भूजल का दोहन प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र हेतु बल्क यूजर के लिए निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना होगा।
ग्रामीण क्षेत्र के बल्क यूजर को निर्धारित मात्रा में आर0डब्लू0एच0/आर0 करना होगा तथा भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। बल्क यूजर से भूजल दोहन हेतु फीस लेने का भी प्राविधान है तथा इसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार करायें।
नोटीफाइड एरिया (सेमी क्रिटिकल एरिया लेवेल-1) शहरी क्षेत्र में 0.5 हार्स पावर तक के पम्प सेट स्थापित करने हेतु रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोशियेशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा। आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से स्थापित किये जा सकेंगे तथा ऐसे मामलों में निर्धारित सीमा तक आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना अनिवार्य होगा।
शहरी क्षेत्र के बल्क यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही नये नलकूप/कूप निर्मित करा सकेंगे। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। आर0 डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा तथा इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। बल्क यूजर से फीस लेने का भी प्राविधान है तथा उसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार निरीक्षण करायें।
नोटीफाइड ग्रामीण क्षेत्र में 7.5 हार्स पावर तक के पम्पसेट स्थापित करने हेतु वाटर यूजर एसोशियेशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा। आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही स्थापित किये जा सकेंगे। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही होगा तथा ऐसे मामलों में निर्धारित सीमा तक आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना अनिवार्य होगा।
बल्क यूजर सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही नलकूप/कूप निर्मित करा सकेंगे तथा उनके लिए आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा तथा इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। बल्क यूजर निर्धारित सीमा तक ही भूजल दोहन कर सकेंगे। बल्क यूजर के लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर करायें।
अतिदोहित/क्रिटिकल एरिया (लेविल-2 एवं 3) क्षेत्रों में नये कूपों/नलकूपों का निर्माण पूर्णत: प्रतिबन्धित किया गया है, यद्यपि कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर्स को छोड़कर शेष सभी यूजर्स को मानव आवश्यकता/पेय जल हेतु वाटर सप्लाई के लिए नलकूप/कूप के निर्माण की अनुमति पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर की देख-रेख में होगी। भूजल के सभी वर्तमान एवं नये उपभोक्ताओं को पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर की देख रेख में आर0डब्लू0एच0/आर0 तकनीकी अपनाना अनिवार्य होगा तथा आर0डब्लू0एच0 /आर0 की न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। भूजल उपभोक्ता को आर0डब्लू0 एच0/आर0 स्ट्रक्चर पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण भी पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर करना होगा। बल्क यूजर के लिए भूजल दोहन की सीमा भी निर्धारित होगी।
कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर के लिए नान नोटीफाइड एवं सेमी क्रिटिकल (लेविल-1) क्षेत्र में नलकूप/कूप बनाने हेतु ऐसे यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर को आवेदन करेंगे और पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के निर्देशन एवं देख-रेख में ही कूप/नलकूप का निर्माण करायेंगे। भूजल दोहन की सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। ऐसे उपभोक्ताओं को आर0डब्लू0एच0/आर0 विधियां अपनाना अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। इनके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रेक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर करायें। इस श्रेणी के भूजल उपभोक्तओं से प्राधिकरण/राज्य सरकार द्वारा भूजल दोहन हेतु फीस भी ली जा सकेगी।
अतिदोहत/क्रिटिकल (लेविल-2 एवं 3) में कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर को नये नलकूप/कूप स्थापित करने की अनुमति नहीं होगी। वर्तमान उपभोक्ताओं को आर0डब्लू0एच0/ आर0 विधियां अपनाना अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। ऐसे क्षेत्रों में यह भी आवश्यक होगा कि कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार करायें। इस अधिनियम में भूजल सम्भरण एवं वर्षा जल संचयन हेतु भी व्यापक प्राविधान किये गये हैं।
इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आर0 के0 शर्मा, प्रमुख सचिव लघु सिंचाई, श्री सुशील कुमार व अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।
लेखक श्री सुरेन्द्र अग्निहोत्री यूपीन्यूजलाइव.कॉम से जुड़े हैं। उनका संपर्क मोबाइल न0 9415508695 है।
का मूल ड्राफ्ट संलग्न है। कृपया पढ़ने के लिए डाऊनलोड करें।
मुख्य सचिव श्री गुप्ता ने बताया कि प्रस्तावित अधिनियम राज्य में भूगर्भ जल के सुरक्षा एवं विकास के प्रबन्धन, नियन्त्रण एवं विनियमन के उद्देश्य से तैयार किया गया है। प्रदेश में विगत वर्षो में भूगर्भ जल के अनियिन्त्रत एवं तेजी से हो रहे दोहन के फलस्वरूप कई क्षेत्रों में भूगर्भ जल स्तर में गिरावट परिलक्षित हुई है, जिससे भूजल उपलब्धता की दृष्टि से चिन्ताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है तथा राज्य के कई भागों, शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में भूजल के जलाशयों में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास हेतु भूगर्भ जल का दोहन आवश्यक है, किन्तु इसके साथ-साथ इस बहुमूल्य संसाधन की सुरक्षा एवं परिरक्षण के लिए उसका प्रबन्ध, नियन्त्रण एवं विनियमन विशेषकर संकटग्रस्त क्षेत्र में किया जाना समय की मांग भी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 138 विकास खण्ड संकटग्रस्त की श्रेणी में हैं और यदि इस बहुमूल्य संसाधन की सुरक्षा एवं प्रबन्धन हेतु पर्याप्त एवं प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो शीघ्र ही अधिकांश विकास खण्ड संकटग्रस्त की श्रेणी में होंगे, जो प्रदेश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, और अधिकांश क्रियाकलाप बन्द हो जायेंगे, जो क्रियाकलाप होंगे भी, वे अधिक खर्चीले होंगे।
श्री गुप्ता ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक को नाम एवं विस्तार तथा परिभाषाओं, भूजल प्राधिकरण के गठन इसके कृत्य अधिकार शक्तियों, भूजल सम्भरण तथा विविध जिसमें दण्ड इत्यादि के प्राविधान हैं, चार अध्यायों में विभाजित किया गया है। प्रस्तावित एक्ट सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में लागू होगा तथा यह सरकार द्वारा निर्धारित तिथि से लागू होगा। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विधेयक में गैर नोटीफाइड, सेमी क्रिटिकल, अतिदोहित एवं क्रिटिकल क्षेत्रों हेतु अलग-अलग प्राविधान है।
नॉन नोटीफाइड शहरी क्षेत्र में 0.5 हार्स पावर तक के प्रयुक्त करने वाले भूजल उपभोक्ता पर कोई नियन्त्रण फिलहाल नहीं होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट स्थापित करने हेतु रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा तथा भूजल दोहन सीमा प्रत्येक शहरी क्षेत्र हेतु बल्क यूजर के लिए निर्धारित सीमा तक होगी। रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज अनिवार्य होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना होगा।
शहरी क्षेत्र के बल्क यूजर को निर्धारित मात्रा में आर0डब्लू0एच0/आर0 (रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज) करना होगा तथा भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक करने का प्रतिबन्ध होगा। बल्क यूजर से भूजल दोहन हेतु फीस लेने का भी प्राविधान है तथा इसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार करायें।
नॉन नोटीफाइड ग्रामीण क्षेत्र में फिलहाल 7.5 हार्स पावर तक के पम्पसेट प्रयुक्त/स्थापित करने वाले भूजल उपभोक्ताओं पर कोई प्रतिबन्ध/नियन्त्रण लागू नहीं होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट स्थापित करने हेतु वाटर यूजर एसोशिएशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा तथा भूजल का दोहन प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र हेतु बल्क यूजर के लिए निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रिचार्ज अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना होगा।
ग्रामीण क्षेत्र के बल्क यूजर को निर्धारित मात्रा में आर0डब्लू0एच0/आर0 करना होगा तथा भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। बल्क यूजर से भूजल दोहन हेतु फीस लेने का भी प्राविधान है तथा इसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार करायें।
नोटीफाइड एरिया (सेमी क्रिटिकल एरिया लेवेल-1) शहरी क्षेत्र में 0.5 हार्स पावर तक के पम्प सेट स्थापित करने हेतु रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोशियेशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा। आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से स्थापित किये जा सकेंगे तथा ऐसे मामलों में निर्धारित सीमा तक आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। 0.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना अनिवार्य होगा।
शहरी क्षेत्र के बल्क यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही नये नलकूप/कूप निर्मित करा सकेंगे। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही करने का प्रतिबन्ध होगा। आर0 डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा तथा इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। बल्क यूजर से फीस लेने का भी प्राविधान है तथा उसके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार निरीक्षण करायें।
नोटीफाइड ग्रामीण क्षेत्र में 7.5 हार्स पावर तक के पम्पसेट स्थापित करने हेतु वाटर यूजर एसोशियेशन के माध्यम से सेल्फ रेगुलेशन लागू होगा। आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक के पम्पसेट पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही स्थापित किये जा सकेंगे। भूजल का दोहन निर्धारित सीमा तक ही होगा तथा ऐसे मामलों में निर्धारित सीमा तक आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा। 7.5 हार्स पावर से अधिक क्षमता के पम्प विक्रय करने पर विक्रेता को प्राधिकरण को सूचित करना अनिवार्य होगा।
बल्क यूजर सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से ही नलकूप/कूप निर्मित करा सकेंगे तथा उनके लिए आर0डब्लू0एच0/आर0 अनिवार्य होगा तथा इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। बल्क यूजर निर्धारित सीमा तक ही भूजल दोहन कर सकेंगे। बल्क यूजर के लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर करायें।
अतिदोहित/क्रिटिकल एरिया (लेविल-2 एवं 3) क्षेत्रों में नये कूपों/नलकूपों का निर्माण पूर्णत: प्रतिबन्धित किया गया है, यद्यपि कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर्स को छोड़कर शेष सभी यूजर्स को मानव आवश्यकता/पेय जल हेतु वाटर सप्लाई के लिए नलकूप/कूप के निर्माण की अनुमति पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर की देख-रेख में होगी। भूजल के सभी वर्तमान एवं नये उपभोक्ताओं को पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर की देख रेख में आर0डब्लू0एच0/आर0 तकनीकी अपनाना अनिवार्य होगा तथा आर0डब्लू0एच0 /आर0 की न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। भूजल उपभोक्ता को आर0डब्लू0 एच0/आर0 स्ट्रक्चर पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण भी पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर करना होगा। बल्क यूजर के लिए भूजल दोहन की सीमा भी निर्धारित होगी।
कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर के लिए नान नोटीफाइड एवं सेमी क्रिटिकल (लेविल-1) क्षेत्र में नलकूप/कूप बनाने हेतु ऐसे यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर को आवेदन करेंगे और पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर के निर्देशन एवं देख-रेख में ही कूप/नलकूप का निर्माण करायेंगे। भूजल दोहन की सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। ऐसे उपभोक्ताओं को आर0डब्लू0एच0/आर0 विधियां अपनाना अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। इनके लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रेक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण वर्ष में दो बार निर्धारित फीस देकर करायें। इस श्रेणी के भूजल उपभोक्तओं से प्राधिकरण/राज्य सरकार द्वारा भूजल दोहन हेतु फीस भी ली जा सकेगी।
अतिदोहत/क्रिटिकल (लेविल-2 एवं 3) में कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर को नये नलकूप/कूप स्थापित करने की अनुमति नहीं होगी। वर्तमान उपभोक्ताओं को आर0डब्लू0एच0/ आर0 विधियां अपनाना अनिवार्य होगा और इसकी न्यूनतम सीमा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित होगी। ऐसे क्षेत्रों में यह भी आवश्यक होगा कि कामर्शियल एवं इन्डस्ट्रियल यूजर पंजीकृत सर्विस प्रोवाइडर से रिचार्ज स्ट्रक्चर, पम्पसेट इत्यादि का निरीक्षण निर्धारित फीस देकर वर्ष में दो बार करायें। इस अधिनियम में भूजल सम्भरण एवं वर्षा जल संचयन हेतु भी व्यापक प्राविधान किये गये हैं।
इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आर0 के0 शर्मा, प्रमुख सचिव लघु सिंचाई, श्री सुशील कुमार व अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।
लेखक श्री सुरेन्द्र अग्निहोत्री यूपीन्यूजलाइव.कॉम से जुड़े हैं। उनका संपर्क मोबाइल न0 9415508695 है।
का मूल ड्राफ्ट संलग्न है। कृपया पढ़ने के लिए डाऊनलोड करें।
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