टीकमगढ़ जिला

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राज्य का उत्तरदायित्व और क्रियान्वयन
Posted on 01 Jul, 2016 11:59 AM
सभी सर्वेक्षित गाँव पेयजल के लिये हैण्डपम्प, कुएँ, तालाब एवं
सूखे से बेहाल पशु
Posted on 28 Jun, 2016 04:26 PM

अप्रैल माह के अन्तिम सप्ताह तक हुए इस सर्वेक्षण के अनुसार 56 प्रतिशत गाँवों के लोग पानी औ

गारंटी विहीन मनरेगा
Posted on 28 Jun, 2016 04:17 PM
वर्ष 2013 में जारी मनरेगा के नए दिशा-निर्देशों में ऐसे कामों
बुन्देलखण्ड का अध्ययन क्यों
Posted on 28 Jun, 2016 12:52 PM
जो जीवन की
धूल बाँटकर बड़ा हुआ है
तूफानों से लड़ा
और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने के खोदा
लोहा मोड़ा है
वह रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन
मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

केदारनाथ अग्रवाल
टीकमगढ़ जिले के तालाब एवं जल प्रबन्धन व्यवस्था
Posted on 25 Jun, 2016 03:18 PM
.प्राचीन काल में चन्देलों एवं बुन्देलों के राजत्वकाल के पहले समूचा बुन्देलखण्ड क्षेत्र, विन्ध्यपर्वत की श्रेणियों, पहाड़ियों एवं टौरियों वाला पथरीला, कंकरीला वनाच्छादित भूभाग था। टौरियों, पहाड़ियों के होने से दक्षिणी बुन्देलखण्ड विशेषकर ढालू, ऊँचा-नीचा पथरीला, मुरमीला राँकड़ भूभाग रहा है।

टौरियों, पहाड़ियों एवं पठारों के बीच की पटारों, वादियों, घाटियों और खन्दकों में से बरसाती धरातलीय जल प्रवाह से निर्मित नाले-नालियाँ थीं। जो पथरीली पठारी भूमि होने से गहरी कम, चौड़ी छिछली-सी मात्र चौमासे (वर्षाकाल) में ही जलमय रहती थीं।
बिना पानी सब सून
Posted on 21 Jun, 2016 04:52 PM


अत्यन्त सीमित सैम्पल के बावजूद यह पुस्तिका बुन्देलखण्ड के मौजूदा संकट के रहस्य उसी प्रकार पाठकों के समक्ष उजागर करती है जिस प्रकार हांडी का एक चावल पूरी हांडी की स्थिति बताती है।

देश बदल रहा है पर बुन्देलखण्ड का किसान आत्महत्या कर रहा है
Posted on 29 May, 2016 09:31 AM


अच्छे दिन के बाद देश बदलने के नारों की गूँज में बुन्देलखण्ड का किसान गुम सा गया है। उसकी किस्मत में तो पहले भी भूखमरी, पलायन और आत्महत्या लेख था और आज भी इसी दुर्दशा का वो शिकार है। बुन्देलखण्ड में हालात ना बदलने का ही नतीजा है कि सात दिन पूर्व ही कर्ज में डूबे युवा किसान ने आत्महत्या कर ली वही एक ने बिजली के टावर पर चढ़कर खुदकुशी की कोशिश की।

हरियाली को बेरंग करती बिजली
Posted on 27 May, 2016 11:24 AM


बुन्देलखण्ड का गाँव ग्याजीतपुरा सूखे और मौसम से जीतने में कामयाब रहा लेकिन व्यवस्था के हाथों वह मजबूर है।

. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले की मोहनगढ़ तहसील की बहादुरपुरा पंचायत का गाँव ग्याजीतपुरा। पिछले काफी समय से जल संरक्षण के अपने निजी उपायों और पारम्परिक और नगदी फसलों के मिश्रण के जरिए लाभ की खेती के चलते खबरों में बना यह गाँव अब व्यवस्था की मार झेल रहा है। आप प्रकृति से जीत सकते हैं लेकिन सरकारी मशीनरी से आसानी से नहीं।

यह बात ग्याजीतपुरा के निवासियों से ज्यादा भला कौन समझेगा? सूखे को ठेंगा दिखाकर अपनी हरियाली से सूरज को मुँह चिढ़ा रहा यह गाँव बिजली विभाग के हाथों मजबूर हो गया है। महज तीन लाख रुपए के बकाये के चलते न केवल गाँव की बिजली काट दी गई है बल्कि यहाँ का ट्रांसफॉर्मर ही स्थायी रूप से हटा दिया गया है। नतीजा सिंचाई के लिये पानी की कमी और हरी-भरी फसलों के सूखने की शुरुआत।

जिन्होंने सूखे को मात दे दी
Posted on 03 May, 2016 01:32 PM
टीकमगढ़ जिले में पारम्परिक ज्ञान पर आधारित बराना गाँव के चन्द
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