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सिंधु
सिंधु नदी
Posted on 20 Sep, 2008 08:20 AMमैं सिंधु नदी हूँ, इतनी लम्बी-चौड़ी की लोगों को मेरे समुद्र होने का धोखा हो जाता है। बहुत पुराने काल में जब आर्य लोग इस प्रदेश में आए, तब उन्होंने ही मुझे समुद्र समझकर यह ‘सिंधु’ नाम दिया, और इसी नाम से मैं आज हज़ारों साल से पुकारी जाती रही हूँ। मानसरोवर के उत्तर में तिब्बती हिमालय से मेरा निकास है। ज़ोरकुल झील से-जहाँ से पूर्व में ब्रह्मपुत्र, उत्तर में यारकन्द (सीता) और पश्चिम में आमू नदी वक्
नया रणक्षेत्र: भारत-पाक जल विवाद
Posted on 22 Apr, 2011 12:41 PM
प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकी गुट लश्कर-ए-ताइबा से जुड़ा संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) जल बंटवारे के मसले पर लगातार भारत विरोधी एजेंडे को हवा दे रहा है। जमात के कार्यक्रमों में सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और नवाज शरीफ की पीएमएल-एन, जमात ए इसलामी समेत सभी बड़ी पार्टियों के लोग शिरकत कर रहे हैं।
जेयूडी ने पाकिस्तान सरकार को चेताया है कि वह भारत को पाकिस्तान की ओर आने वाली नदियों पर बांध बनाने से रोके या फिर इस मसले को निपटाने की जिम्मेदारी ‘कश्मीरी मुजाहिदीनों’ को दे दी जाए।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष सरदार आसिफ अहमद अली का मानना है कि भारत नदियों से पाकिस्तान के पानी का हिस्सा चुरा रहा है।
सिंधु नदी-प्रणाली और राजस्थान
Posted on 15 Jun, 2010 10:13 AMथार के विशाल मरुस्थल में स्थित सिंधु नदी-प्रणाली (इन्डस रीवर सिस्टम) विश्व की एक महानतम नदी प्रणाली है। इस प्रणाली में सिंध नदी के अलावा उसकी प्रमुख सहायक नदियां , झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज और लुप्त प्राय सरस्वती शामिल है। भारत के इतिहास में युग में प्रवेश करने के पूर्व भी पंजाब, सिंधु और राजस्थान के उत्तरी-पश्चिमी भाग सिंधु नदी प्रणाली से लाभान्वित होते रहे थे। गत कुछ दशकों मे की गई पुरातत्व सम्बन्धी खोज के फलस्वरूप यह सिद्ध हो गया है कि ईसा के 2300 वर्ष पूर्व गंगानगर जिले में स्थित कालीबंगा सभ्यता का केंद्र था, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता अथवा हड़प्पा संस्कृति कहा जाता है। कालीबंगा महानदी सरस्वती के किनारे पर स्थित थी।यद्यपि सिंधु घाटी में बारह महीनों बहने वाली नदियां विद्यमान थी, तथापि इस क्षेत्र में सिंचाई उक्त नदियों के किनारे-किनारे
सिंधु नदी तंत्र और राजस्थान
Posted on 15 Jun, 2010 10:07 AMजिस गति से देश में पानी का संकट गहराता जा रहा है, वह निश्चय ही राष्ट्रीय विकास नीति निर्धारकों के समक्ष एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है और समय रहते हुए जल नियोजन के लिए सटीक प्रयास नहीं किए गये तो राष्ट्रीय विकास गति मन्थर पड़ जाएगी, यद्यपि यह निश्चित है कि बदली हुई पर्यावरणीय दशाओं के कारण समाप्त हुए भू-जल स्रोतों का पुनर्भरण तो नहीं हो सकता किन्तु जल की खपत को नियंत्रित कर उसके विकल्प तलाशे जा सकते हैं, जैसे कठोर जनसंख्या नियंत्रण, शुष्क-कृषि पद्धतियां एवम् जल उपयोग के लिए राष्ट्रीय राशनिंग नीति इत्यादि। साथ ही के. एल. राव (1957)द्वारा सुझाए गए नवीन नदी प्रवाह ग्रिड सिस्टम का अनुकरण एवम् अनुसंधान कर हिमालियन एवम् अन्य नदियों को मोड़ कर देश के आन्तरिक जल न्यून वाले सम्भागों की ओर उनके जल को ले जाया जा सकता है। सम्प्रति देश की समस्त नदियों के जल का 25 प्रतिशत भाग ही काम में आता है। शेष 75 प्रतिशत जल समुद्र में गिर कर सारा खारा हो जाता है।अब पानी के लिए भारत पर उंगली
Posted on 05 Apr, 2010 11:55 AMपाकिस्तान इन दिनों कश्मीर के अलावा भारत द्वारा पानी की चोरी को एक बड़ा मुद्दा बना रहा है। इसलामाबाद का आरोप है कि भारत से पाकिस्तान की ओर बहने वाली चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर भारत ने गैरकानूनी ढंग से बांधों का निर्माण कर लिया है और वह नदियों के प्रवाह को मोड़कर पानी अपने प्रयोग में ला रहा है। नतीजतन पाकिस्तान को पीने के पानी के अलावा सिंचाई में भी दिक्कत हो रही है।सिंधु
Posted on 07 Mar, 2010 04:01 PMयह नदी दुनिया की बड़ी नदियों में से एक है। भारत के लिए इसका सबसे बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व यह है कि ‘सिंधु’ शब्द के आधार पर ही ‘हिदं’ ‘हिदूं’ और ‘हिन्दुस्तान’ का नाम भारत को मिला। अंग्रेजी के ‘इंडिया’ का आधार भी सिंधु का नाम ही है जिसे यूनानियों ने प्राचीन काल में ‘इंडस’ नाम दिया था। इसका उद्गम तिब्बत में मानसरोवर की उत्तरी दिशा में लगभग 5,182 मीटर की ऊंचाई पर है। अपने उद्गम से लगभग 172 मील उत्त
सिंध
Posted on 22 Feb, 2010 08:42 AMसिंध नदी मध्यप्रदेश के गुना जिले के सिरोंज के समीप से उद्गमित होती है। गुना, शिवपुरी, दतिया और भिण्ड जिलों में यात्रा करती हुई सिन्ध इन क्षेत्रों को अभिसिंचित करती है। इसके तट पर अनेक दर्शनीय और धार्मिक स्थल मानव मन को उद्वेलित करते हैं। इसकी यात्रा का अंतिम पड़ाव दतिया-डबरा के मध्य उत्तर-दिशा की ओर बहकर चम्बल नदी है।
सरस्वती क्यों न बही
Posted on 20 Jan, 2009 10:13 AM....और सरस्वती क्यों न बही अब तक?
वैज्ञानिक प्रमाण, पुरातात्विक तथ्य
1996 में 'इन्डस-सरस्वती सिविलाइजेशन' नाम से जब एक पुस्तक प्रकाश में आयी तो वैदिक सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और आर्यों के बारे में एक नया दृष्टिकोण सामने आया। इस पुस्तक के लेखक सुप्रसिध्द पुरातत्वविद् डा. स्वराज्य प्रकाश गुप्त ने पहली बार हड़प्पा सभ्यता को सिंधु-सरस्वती सभ्यता नाम दिया और आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध किया।