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नागौर के मरुभूमि में तालाब | Pond in Nagaur desert
जानिए नागौर के मरुस्थल वाली जगह में तालाब कैसे बना | Get information about How pond was made in the desert area of ​​Nagaur. Posted on 02 Jan, 2024 11:44 AM

राजस्थान की रजत बूंदें' सरीखी नायाब किताब लिखने वाले अनुपम मिश्र कहा करते थे कि जिस इलाके में प्रकृति ने पानी देने में थोड़ी कंजूसी की है, वहां समाज ने पानी की एक-एक बूंद को प्रसाद मानकर बेहद सलीके से सुरक्षित, संरक्षित किया है। प्रस्तुत है, बाबा मायाराम की कलम से पानी संवारने की इसी प्रक्रिया की एक कहानी।

नागौर के मरुभूमि में तालाब |
पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के नजरिए से विश्लेषण
पाठ्यपुस्तकों से अपेक्षा है कि ज्ञान को स्थानीय व वैश्विक पर्यावरण के संदर्भ में रखें ताकि विज्ञान, तकनीक व समाज के पारस्परिक संवाद के क्रम में मुद्दों को समझा जा सके। जब इस वैधता पर हम पुस्तकों को देखते हैं तो इनमें स्वच्छता, शौचालय, कचरा प्रबंधन आदि पर विस्तार से बात की गई है जिससे यह उम्मीद दिखती है कि इन मुद्दों पर समाज में संवाद कायम होगा और बदलाव भी आ सकेगा। लेकिन इनके महत्त्व को स्थापित करने हेतु उचित तर्क चुने जाने चाहिए थे। Posted on 14 Nov, 2023 02:55 PM

भारत में स्कूली शिक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण पद्धतियों को बनाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 दस्तावेज एक खाका प्रदान करता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार, शिक्षा के उद्देश्य हमारे संवैधानिक मूल्यों के आधार पर तय किए गए हैं (एनसीएफ 2005, अध्याय-1, पृ.

पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें
राजस्थान की पर्यावरण की पुस्तकें(Environment Books Of Rajasthan)
राजस्थान की पर्यावरण अध्ययन की सारी पाठ्यपुस्तकें सरसरी तौर पर ही देखी हैं, मगर मैंने पाया कि हरेक में पाठ के अंत में बिंदुवार बता दिया गया है कि विद्यार्थी को क्या सीखना है। कक्षा 4 की 'अपना परिवेश' मैंने थोड़े ध्यान से देखी । तो चलिए इसके पाठों पर एक नजर डालते हैं। वैसे किसी एक पुस्तक पर अलग से नजर डालना इन पुस्तकों के साथ थोड़ा अन्याय है क्योंकि पुस्तक के शुरू में 'शिक्षकों के लिए' शीर्षक के तहत कहा गया है कि “यदि कक्षा 3 में पर्यावरणीय घटक हमारा परिवेश एवं संस्कृति से संबंधित सामग्री पहले ली है तो उसी को क्रमबद्धता के साथ कक्षा 4 व 5 में उसे संवर्धित किया गया है।" बहरहाल, मैं अपनी मेहनत को नहीं बढ़ाऊंगा और कक्षा 4 की किताब को ही आधार बनाऊंगा। Posted on 14 Nov, 2023 12:36 PM

वर्तमान में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 तथा निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के द्वारा यह स्पष्ट है कि समस्त शिक्षण क्रियाओं में 'विद्यार्थी' केंद्र में है। हमारी सिखाने की प्रक्रिया इस प्रकार हो कि विद्यार्थी स्वयं अपने अनुभवों के आधार पर समझ कर ज्ञान का निर्माण करे।

राजस्थान की पर्यावरण की पुस्तकें
स्वच्छता में पीछे छूटते गांव
स्वच्छ भारत अभियान के कारण भले ही गांव खुले में शौच से मुक्त हो गया है, लेकिन कूड़ा करकट के उचित निपटान की समस्या लूणकरणसर के कई गांवों में अभी भी बनी हुई है. लोग जहां तहां अपने घर का कूड़ा फेंक देते हैं. Posted on 27 Oct, 2023 11:58 AM

वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में वर्ष 2022 में भी लगातार छठी बार इंदौर को देश का सबसे साफ़ शहर के रूप में चुना गया है. जबकि एक लाख से कम की आबादी वाले शहर में महाराष्ट्र के पंचगनी को सबसे साफ़ शहर के रूप में चुना गया है. पिछले सात सालों से लगातार केंद्र सरकार की ओर से यह सर्वेक्षण कराया जा रहा है. इस अभियान को अगर क्रांतिकारी अभियान कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

स्वच्छता में पीछे छूटते गांव,Pc-चरखा फीचर
राजस्थान में जल संसाधन संरक्षण एवं विकास
राज्य के पश्चिम में अन्तराष्ट्रीय सीमा रेडक्लिफ रेखा जो पाकिस्तान से लगती है। इस सीमा की राज्य में कुल लम्बाई 1070 कि.मी. है। राज्य के बीचों-बीच दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर अरावली पर्वतमाला विद्यमान है जो विश्व की प्राचीनतम पर्वतमाला है Posted on 12 Oct, 2023 01:51 PM

सारांश

राजस्थान राज्य एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित भारत देश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है जो क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा राज्य माना जाता है। राजस्थान का अंक्षाशीय विस्तार 23°30" उत्तरी अंक्षाश से 30°12" उत्तरी अक्षाश एवं देशान्तरी विस्तार 69°30" पूर्वी देशान्तर से 78°17" पूर्वी देशान्तर के मध्य है। राज्य की दक्षिणतम सीमा बोरकुण्ड (बाँसवाडा

राजस्थान में जल संसाधन संरक्षण एवं विकास
जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन : करौली पंचायत में समिति के संदर्भ में अध्ययन
प्रस्तुत शोध पत्र में राजस्थान राज्य के करौली जिले की करौली पंचायत समिति में संचालित जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं उसके परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्र में पहले से उपलब्ध जल संसाधनों, उनके प्रदूषित होने एवं जलाभाव के कारणों प्रभावों एवं जल प्रबन्धन के प्रभावी उपायों का भी उल्लेख किया गया हैं। Posted on 11 Oct, 2023 12:05 PM

सारांश

जल एक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है। बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जल का संरक्षण करने और सभी क्षेत्रों में जल को दूषित होने से बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें वाटरशेड प्रबंधन से लेकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की तकनीकों को अपनाना होगा। वर्षा जल का संग्रहण संरक्षण तथा समुचित प्रबंधन आवश्यक है। करौली जिले में बढ़ती जनसंख्या शहरीकरण एवं सिंचित कृषि के विस्तार

जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन
राजस्थान में थार मरुस्थल की जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की रिपोर्ट-2007 में पश्चिमी भारत में वैश्विक घटकों और जलवायु परिवर्तनों के प्रभाव का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अर्द्ध-शुष्क एवं उप-आर्द्र क्षेत्रों की तुलना में शुष्क क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन प्रारूप अधिक देखने को मिला है। पिछले डेढ़ दशक से थार मरुस्थल में तापमान में वृद्धि, वर्षा की मात्रा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता, नमी की मात्रा में वृद्धि और वायु पैटर्न में तेजी से बदलाव हुए है। ये बदलाव ग्लोबल वार्मिंग, खनन गतिविधियों में वृद्धि, नहरी सिंचाई में विस्तार औद्योगिकीकरण, भूमि उपयोग प्रारूप में परिवर्तन, परमाणु विस्फोट आदि कारणों से यहाँ देखने को मिल रहे है, जिसका प्रभाव घास आधारित मरूद्भिद पारिस्थितिकी तंत्र पर हुआ है। Posted on 07 Oct, 2023 01:51 PM

सार

भारतीय थार मरुस्थल विश्व का सबसे समृद्ध मरुस्थल है। इसका अधिकांश भाग पश्चिमी राजस्थान के अन्तर्गत आता है। शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क जलवायु के अनुभव के साथ यहाँ मरूद्भिद प्रकार का पारिस्थितिकी तंत्र अपने आप में विशिष्ट है। जैव विविधिता की दृष्टि से यह अत्यंत सम्पन्न प्रदेश है। वैश्विक और स्थानीय कारणों से थार मरुस्थल की जलवायु में परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।

थार मरुस्थल की जैव विविधता
राजस्थान के परम्परागत जल स्त्रोत एवं उनकी उपयोगिता(Traditional water sources of Rajasthan and their usefulness)
जल है तो जीवन है।" इत्यादि उपमाओं का श्रृंगार किया गया है। ऐसे अमृत पेय का, जो प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है परन्तु सीमित मात्रा में हैं, हम निर्ममता से जल दोहन कर रहे हैं। बिना विचारे अपव्यय कर रहे हैं। जड़ व्यक्ति की भांति उसमें तरह-तरह के रसायन तथा गन्दगी मिला रहे हैं। यद्यपि जल में एक सीमित मात्रा तक अपना परिशोधन करने की शक्ति है। इसके पश्चात् जल पूर्णतः मानव एवं समस्त जगत के लिए विष के समान हो जाता है। परन्तु जल में हमारे असीमित दुर्व्यवहार को झेलने की शक्ति नहीं है। फलस्वरूप ये नदियाँ जिनकी कल-कल धारायें सृष्टि की अनंतता की परिचायक थी। Posted on 06 Oct, 2023 04:21 PM

सार

सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद के काल से जल को पंच महाभूतों में सम्मिलित किया गया है। अर्थात् मानव जीवन का सृजन करने वाले पंच महाभूतों में से एक जल को माना गया। देवताओं ने जिस अमृत पेय की कल्पना की थी.

Tanka Water Technique
राजस्थान : गायब होते गोचर की लड़ाई
देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में गोचर को बचाने का बड़ा मुद्दा है। पिछले साल गायों के प्रति आदर भाव रखने वाले लोगों ने लंबे अरसे तक आंदोलन करके सरकार को उस फैसले को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर किया था Posted on 09 Sep, 2023 03:03 PM

राजस्थान हमारे देश में पशुपालन के लिए जाना जाता है, लेकिन आजकल इसी पशुपालन के लिए सबसे जरूरी चारागाहों को लेकर भारी बवाल मचा है। एक तरफ, जमीन की लगातार बढ़ती 'भूख' है तो दूसरी तरफ, दुधारू, खेतिहर पशुओं के लिए चारा । इन दोनों जरूरतों से जुड़े हितग्राही अपने-अपने हितों को लेकर आंदोलनरत हैं। राजस्थान में गोचर भूमि को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है। लंबे समय से लगातार हो रहे अतिक्रमणों के कारण ग

गायब होते गोचर की लड़ाई
राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति
प्रतिकूल भू-वायविक कारणों से यहां प्रायः सूखे की पुनरावृत्ति होती है। अतः मरुस्थलीय क्षेत्रों में मृदा व जल संसाधनों के उचित संरक्षण के द्वारा ही फसल उत्पादन में दीर्घकालिक स्थायित्व लाया जा सकता है। जल संसाधनों के उचित संरक्षण, प्रयोग व नियोजन के लिये जल संसाधनों की उपलब्धता व गुणवत्ता का समय-समय पर आंकलन इस दिशा में पहला कदम है। जल संसाधनों के दीर्घकालिक नियोजन की दृष्टि से केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर ने राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की तीन शुष्क तहसीलों के भू-जल व इसकी गुणवत्ता का विस्तृत सर्वेक्षण किया है। प्रस्तुत प्रपत्र में सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। Posted on 02 May, 2023 04:01 PM

प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से राजस्थान राज्य का पश्चिमोत्तर भू-भाग अत्यन्त पिछड़ा हुआ है। कम व अनियमित वर्षा, तीन हवाएं व भीषण गर्मी इस क्षेत्र के जलवायु को प्रतिकूल बनाने वाले प्रमुख कारक है। यहां का भू-जल अधिकांश भाग में काफी गहरा व प्रायः लवणीय होता है जो पेय व खेता दोनों ही दृष्टि से अनुकूल नहीं है। क्षेत्र की मृदाएं प्रायः बलुई व बहुत कम जल धारण क्षमता वाली होती है। तेज हवाओं के साथ बलुई

राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति,Pc-SC
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