राजकोट जिला

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सूखा क्षेत्र में जल प्रबंधन से आई खुशहाली
Posted on 07 Aug, 2014 10:48 AM गांव के आसपास 1980 में जहां 1400 पेड़ थे, वहीं आज उनकी संख्या बढ़ कर 65 हजार हो गई है। इस ग्राम पंचायत को देश के पहले पॉलीथिन मुक्त गांव के रूप में भी जाना जाता है। गांव के विकास के लिए हर जाति, वर्ग के लोगों को सहभागी बनाया गया। यहां महिला पंचायत का भी अस्तित्व है, जिसकी सदस्य सिर्फ महिलाएं ही होती हैं। जल प्रबंधन का ही असर है कि यहां का हर किसान साल में तीन फसलें उगाता है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी सुधर गई है। गांव में कुल 47 चेकडैम, चार झील व सात जल रिसन तालाब व भूजल संचय के लिए 10 नाले हैं। गुजरात के राजकोट जिले में स्थित राजसमधियाला गांव जलछाजन के कारण आदर्श गांव बन गया। जलछाजन से इस गांव की गरीबी दूर हुई और जलछाजन पर अध्ययन के लिए यह गांव देश-विदेश में चर्चित हो गया। दो दशक पूर्व तक यह गांव पानी की किल्लत को झेलता था, पर आज पानी के कारण इस गांव की आय का स्तर ऊंचा हो गया है।

1985 के आसापास इस गांव का जलस्तर 250 मीटर तक नीचे गिर गया था। गांव वालों के साथ पर्यावरण वालों के लिए भी यह बड़ी चिंता की बात थी। ऐसे में ग्रामीणों ने चेकडैम, तालाब आदि का निर्माण कर गांव में जलछाजन अभियान की शुुरुआत की। इस गांव में बदलाव की शुरुआत हुई पंचायती राज व्यवस्था के कारण।
बंधाओं से भूजल स्तर उठा
Posted on 31 Dec, 2009 06:42 PM

“गुजरात में पिछले दो वर्षों के दौरान 15,000 बंधाओं का निर्माण किया गया, जिससे यहां का तेजी से घटता भूजल स्तर काफी ऊपर आ गया है”, यह गुजरात के सिंचाई मंत्री बाबूभाई बोखिरिया का कहना था। वे और 5,500 बंधाओं का निर्माण करने के लिए आगे आए हैं, जिससे 7.78 करोड़ घन मीटर अतिरिक्त वर्षा जल संचित होगी।

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सौराष्ट्र में किसान लौट रहे हैं
Posted on 19 Jan, 2009 12:03 AM अहमदाबाद, 8 नवंबर (आईएएनएस)। पानी की कमी के कारण घर-बार और किसानी छोड़ पलायन कर गए सौराष्ट्र के किसान अब अपने गांवों को वापस लौट आए हैं। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई जल प्रबंधन की नई व्यवस्था ने किसानों के लिए घर वापसी का रास्ता खोल दिया है।
પાણી અને આરોગ્ય
Posted on 14 Dec, 2014 08:08 AM જાપાનીઝ ચીફનેસ એસોસીએશનના જણાવ્યા પ્રમાણે કેન્સર જેવાં રોગ પાણીના
गुजरात के एक गांव की कमाई है 5 करोड़ रुपए
Posted on 01 Sep, 2010 09:31 AM (गुजरात चुनावों में मैं सौराष्ट्र इलाके में करीब हफ्ते भर था। गुजरात के गांवों में विकास कितना हुआ है। ये जानने के लिए मैं राजकोट के नजदीक के एक गांव में गया। और, मुझे वहां जिस तरह का विकास और विकास का जो तरीका दिखा वो, शायद पूरे देश के लिए आदर्श बन सकता है।)

गुजरात में राजकोट से 22 किलोमीटर दूर एक गांव की सालाना कमाई है करीब पांच करोड़ रुपए। इस गांव के ज्यादा लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन खेती ही है। कपास और मूंगफली प्रमुख फसलें हैं। गांव में 350 परिवार हैं जिनके कुल सदस्यों की संख्या है करीब 1800।

छोटे-मोटे शहरों की लाइफस्टाइल को मात देने वाले राजसमढियाला गांव की कई ऐसी खासियत हैं जिसके बाद शहर में रहने वाले भी इनके सामने पानी भरते नजर आएं। 2003 में ही इस गांव की सारी सड़कें कंक्रीट की बन गईं। 350 परिवारों के गांव में करीब 30 कारें हैं तो, 400 मोटरसाइकिल।
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