Posted on 19 Jan, 2014 10:18 AMराष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन एन.जी.आर.बी.ए. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान में आयोजित रन फॉर गंगा (गंगा दौड़)
दिनांक : 19 जनवरी 2014 समय : प्रातः 9 बजे उद्घाटन स्थल : चंद्रशेखर आजाद पार्क, इलाहाबाद (सेंट जोसेफ कॉलेज गेट के समीप) समापन स्थल : मदनमोहन मालवीय स्टेडियम, इलाहाबाद
गंगा एक नदी नहीं भारत की अस्मिता है, उसको निर्मल एवं स्वच्छ बनाए रखना हर भारतवासी का कर्तव्य है। भारत सरकार का पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एन.जी.आर.बी.ए.) राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत गंगा संरक्षण के लिए कृत संकल्पित हैं। इसी क्रम में रन फॉर गंगा का आयोजन प्रारंभ किया गया है, जिसमें खेल के माध्यम से पूरे देश के जनमानस को इस मिशन से जोड़ना है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने सभी से अपील की है कि लोग रन फॉर गंगा में शामिल होकर गंगा के प्रति अपने कर्तव्य को निभाकर गंगा संरक्षण जन-जागरूकता कार्य में प्रतिभागी बनें और गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प लें।
Posted on 24 Oct, 2013 12:31 PM1. शहर में जगह-जगह गंदगी देखकर जताई हैरानी 2. कहा भारत में सभी सरकारों को स्वच्छता व शुद्ध पेयजल को बनाना चाहिए चुनावी मुद्दा
किसानों, मज़दूरों ने झूठे विकास को एक स्वर से नकार दिया
राज्य सरकार, प्रशासन, जनता के प्रतिनिधि, सरकारी दलाल व ठेकेदार यह कहते नहीं थकते कि किसानों ने तो स्वयं ही मुआवजा लिया। किसानों ने अपनी ज़मीन छोड़ी। गांव से हट गए। लेकिन जिला प्रशासन क्या इस बात का वास्तविक प्रमाण दे सकता है कि किसानों ने अपनी सहमति, समझ से ज़मीन दी और मुआवजा लिया, सिवाय प्रशासन के इस दावे के कि कुछ किसानों ने करार पत्र पर हस्ताक्षर किया है और उन्होंने मुआवज़े का चेक प्राप्त कर लिया है। क्या एसडीएम व लेखपाल द्वारा फार्म नम्बर 11 करार पत्र पर हस्ताक्षर होना किसानों की सहमति का आधार है?इलाहाबाद के किसानों व मज़दूरों ने यमुनापार में स्थापित होने जा रहे तीन दैत्याकार ताप विद्युत घरों को सर्वसम्मति से नकारकर निर्णायक संघर्ष प्रारंभ कर दिया है। किसानों द्वारा जोरदार आन्दोलन व न्याय की फरियाद पर करछना में जहां हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण रद्द कर दिया है, वहीं मेजा तहसील के कोहड़ार में एनटीपीसी का दृढ़ता के साथ विरोध किया जा रहा है। मेजा ऊर्जा निगम प्रा.लि. (संयुक्त उपक्रम एनटीपीसी) के नाम से लग रही इस ताप विद्युत उत्पादक कंपनी के खिलाफ भी बड़ा आन्दोलन शुरू हो गया है। यहां पर प्रभावित सात ग्राम सभाओं ने सर्वसम्मति से विस्थापन विरोधी मंच गठित कर न केवल आन्दोलन का आगाज कर दिया है, बल्कि उन्होंने अपनी ज़मीन को अधिग्रहण से मुक्त करने का मजबूत दावा भी प्रस्तुत किया है। इनका आधार बन रहा है, उत्तर प्रदेश लैण्ड एक्यूजन (डिटरमिनेशन ऑफ कम्पंसेशन एण्ड डेक्लरेशन ऑफ अवार्ड बाई एग्रीमेंट) रूल्स 1997, जिसका कलेक्टर द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया गया है।
Posted on 10 Sep, 2013 10:18 AMयमुनापार की उपजाऊ ज़मीन पर भू माफियाओं और पूँजीपतियों की गिद्ध नजर लगी हुई है। सरकार व पूँजीपतियों द्वारा किसानों को भूमिहीन बनाने की साजिश हो रही है। किसानों में फूट डालकर व उन्हें झूठी लालच देकर उनकी ज़मीन बड़ी आसानी से छीनी जा रही है, लेकिन अब आगे ऐसा नहीं होगा। विस्थापन विरोधी जन संघर्ष मोर्चा किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देगा। जल्द ही इस मोर्चें में करीब एक लाख किसानों, मज़दूरों को जोड़ा जाएगा। जिससे जिले में किसानों की लड़ाई को देश की राजधानी दिल्ली तक लड़ी जा सके।जिले में स्थापित हो रहे तीन दैत्याकार पॉवर प्लांटों के लिए व्यापक पैमाने पर भूमि अधिग्रहण से विस्थापित इलाहाबाद के मेजा, बारा व करछना तहसील के किसान और मज़दूर अब बड़े आन्दोलन के मूड में हैं। इस संबंध में किसानों ने सोमवार को बैठक कर ‘विस्थापन विरोधी जन संघर्ष मोर्चा’ का गठन किया। किसानों ने कहा कि आगे की लड़ाई इसी बैनर से लड़ी जाएगी। बैठक के दौरान मोर्चे की कमेटी गठित की गई। 11 सदस्यीय कमेटी में विस्थापन का दंश झेल रहे उन सभी किसानों को शामिल किया गया है, जो पिछले करीब एक साल से भूमि अधिग्रहण व मुआवज़े के सवाल पर आन्दोलन कर रहे हैं। मेजा एनटीपीसी से विस्थापित किसान मूलचंन्द्र को सचिव तथा राजकुमार यादव को कोषाध्यक्ष चुना गया। छोटे लाल सिंह, शिवसागर बिन्द, जगजीवन लाल, रमाकांत निषाद, राजु कुमार निषाद, रामअनुग्रह, लाल बहादुर, रमाकांत यादव व लालजी मुसहर को कमेटी का सदस्य चुना गया है।
Posted on 06 Sep, 2013 11:09 AMअवैध खनन पर चर्चा में अक्सर मज़दूरों की अनदेखी कर दी जाती है। लेकिन विंध्य क्षेत्र की पत्थर खदानों में काम करने वाले आदिवासी मजदूर कुछ दिनों से आंदोलन की राह पर हैं। नेता, नौकरशाही और ठेकेदारों की तिकड़ी ने इन्हें एक तरह से बंधुआ मजदूर बना रखा है। इनकी व्यथा-कथा बयान कर रही हैं सीमा आज़ाद।