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नासिक जिला
स्वच्छ पर्यावरण के लिए स्वच्छ जीवनशैली
Posted on 28 Sep, 2012 10:06 AMस्वच्छता एवं पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन
जल संसाधन के प्रबंधनः वाघाड़ परियोजना (वाघाड़ महासंघ जिला-नासिक, महाराष्ट्र) का अध्ययन
Posted on 26 Dec, 2011 01:08 PMहिन्दुस्तान में सहभागी सिंचाई की परंपरा है। किसान भाई जल स्रोतों का रखरखाव और परिचालन अपनी भागीदारी से करते हैं। महाराष्ट्र के माल गुजारी तलाब फड़ पद्धति राजस्थान की वाराबंदी लोक सहभाग से सिंचाई के उत्तम उदाहरण है। मुगलों के जमाने में भी जल सिंचाई परियोजना बनाई जाती थी जिसे प्रबंधन हेतु किसानों के हाथों सौप दिया जाता था। उस वक्त किसानों में उन योजनाओं के प्रति अपनेपन की भावना थी। इसी भावना स
जीवन यात्राः एक नदी की
Posted on 21 Dec, 2010 10:41 AMमैं गोदावरी हूं!
हां, मैं ही गोदावरी हूं!
दक्षिण की गंगा!
डेढ़ हजार किलोमीटर तक की मेरी जीवन यात्रा। काफी लंबी यात्रा है। अपनी यात्रा का आकलन करते यह सोचना भी कितना विस्मयकारी लगता है कि ब्रह्मगिरी का यह गोमुख मात्र एक किलोमीटर लंबा और इससे भी कम चौड़ा जलकुण्ड और यहीं से मेरे जैसी विशाल नदी का उद्गम। मनुष्य के लिए इस पर विश्वास कर पाना भी मुश्किल है। मुझे भी कहां विश्वास था, मुझे सदियों पहले कहां पता था कि कहां-कहां से गुजरना होगा। पृथ्वी पर आ गई लेकिन मंजिल का पता तो उन राहों पर चलकर ही लगा।
नासिक हरि मंदिर में कृमि हौज
Posted on 04 Oct, 2009 11:38 AM
नासिक में हरि मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के चारों ओर एक बड़ा बगीचा है और प्रसाद बनाने के लिए पाकशाला भी। मंदिर में 25 से 30 किलों जैव अपशिष्ट का सृजन होता है, जिसमें अर्पित पुष्प, बगीचे के अपशिष्ट एवं रसोई-अपशिष्ट सम्मिलित होते है। चूंकि मंदिर घनी आबादी के बीच स्थित है, अपशिष्ट का निपटान एक बड़ी समस्या के साथ खर्चीला भी था।
गोदावरी का उद्गम त्रयंबकेश्वर
Posted on 22 Sep, 2008 12:20 AMत्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से पहले चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है, यहीं से गोदावरी एक नदी के रूप में बहती नजर आती है। इसलिए बहुत से लोग चक्रतीर्थ को ही गोदावरी का प्रत्यक्ष उद्गम मानते हैं। नासिक से 35 किमी दूर त्रयंबक कस्बे में स्थित त्रयंबकेश्वर तीर्थ का महत्व दो कारणों से है, एक तो यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और दूसरा दक्षिण की गंगा कही जाने वाली पावन नदी गोदावरी का उद्गम स्थल है। त्र
गोदावरी नदी
Posted on 21 Dec, 2010 11:29 AMवैदिक साहित्य में अभी तक गोदावरी की कहीं भी चर्चा नहीं प्राप्त हो सकी है। बौद्ध ग्रन्थों में बावरी के विषय में कई दन्तकथाएँ मिलती हैं। ब्रह्मपुराण में गौतमी नदी पर 106 दीर्घ पूर्ण अध्याय है। इनमें इसकी महिमा वर्णित है। वह पहले महाकोसल का पुरोहित था और पश्चात पसनेदि का, वह गोदावरी पर अलक के पार्श्व में अस्यक की भूमि में निवास करता था और ऐसा कहा जाता है कि उसने श्रावस्ती में बुद्ध के पास कतिपय शि