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नैनीताल जिला
मनरेगा की जनसुनवाई
Posted on 14 Apr, 2011 11:49 AMसरकार के तमाम कार्यों की तरह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (नरेगा) भी भ्रष्टाचार में लिप्त होता जा रहा है। हालांकि पिछले वर्ष एक कर्मकांड की तरह इस कार्यक्रम के नाम में महात्मा गांधी का नाम जोड़कर इसे नरेगा से मनरेगा बना दिया गया। मनरेगा हालांकि पंचायत को केन्द्र में रखकर क्रियान्वित की जाती है परन्तु योजनाओं को स्वीकृत कराने को लेकर, क्रियान्वयन व भुगतान में नौकरशाही के दखल के कारण यह योजना कम
राजनीति के चश्मे से न देखें परियोजनाओं को
Posted on 15 Mar, 2011 10:57 AMबाँध परियोजनाओं के माध्यम से उत्तराखंड में ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति चल रही है। शुरूआती दौर से स्थानीय जनता बाँधों का विरोध करती आयी है तो कम्पनियाँ धनबल और प्रशासन की मदद से अवाम के एक वर्ग को बाँधों के पक्ष में खड़ी करती रही है। ‘नदी बचाओ आन्दोलन’ की संयोजक और गांधी शान्ति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा बहन भट्ट का कहना है कि ऊर्जा की जरूरत जरूर है, लेकिन सूक्ष्म परियोजनायें प्रत्येक गाँव में
उत्तराखंड के घटते जल संसाधनों को बचाना होगा
Posted on 01 Mar, 2011 09:22 AMअगर बारिश कम हो तो गर्मियों में उत्तराखंड में असाधारण जल संकट पैदा हो जाता है। पिछले साल हिमपात न होने से इस बार गर्मियों में नदियों में जल प्रवाह कम रहा था। गर्मियों में प्रमुख ग्लेशियरों पर आधारित भागीरथी और अलकनन्दा जैसी नदियों में जल प्रवाह में 50 प्रतिशत की कमी आ गई थी। अतिरिक्त जल विद्युत पैदा करने की क्षमता के विपरीत इस बार गर्मियो में उत्तराखंड को अन्य राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ी। जाड़
जल-विद्युत योजनाओं से हानि
Posted on 01 Mar, 2011 09:12 AMउत्तराखंड की जल-विद्युत परियोजनाओं पर भारत के कन्ट्रोलर तथा ऑडिटर जनरल (कैग) ने 30 सितंबर 2009 को एक बहुत कड़ी टिप्पणी कर स्पष्ट कहा है कि योजनाओं का कार्यान्वयन निराशाजनक रहा है। उनमें पर्यावरण संरक्षण की कतई परवाह नहीं की गई है जिससे उसकी क्षति हो रही है।
हिमालयी झीलों से लुप्त होती मछलियां
Posted on 26 Jul, 2010 03:56 PMहिमालय की झीलों में बढ़ते प्रदूषण के कारण मछलियों की कई प्रजातियां नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई हैं। बढ़ते प्रदूषण और जल में कम होते ऑक्सीजन के कारण मछलियों की कई प्रजातियां आकार और भार में कमतर होती जा रही हैं। सबसे अधिक दुष्परिणाम झेलने वाली मछलियों में महाशीर मछली का नाम लिया जा सकता है। भीमताल स्थित राष्ट्रीय शीत मत्स्यकी अनुसंधान केंद्र के आंकड़े इन तथ्यों को तसदीक करते हैं जहां एक ओर
चिराग: स्वदेश की खोज - 2009
Posted on 23 Apr, 2009 06:02 PMसेंट्रल हिमालयन ग्रामीण कार्य समूह (चिराग) एक अव्यवसायिक संगठन, सोसायटी अधिनियम (1860) के अधीन पंजीकृत है. चिराग ग्रामीण समुदायों को एकीकृत विकास के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए और समर्पित है और भारतीय मध्य हिमालय में 1986 से काम कर रहा है.
खूबसूरत झील की जहरीली सीरत
Posted on 14 Feb, 2009 08:36 AMउत्तराखंड हिमालय में विकास की बेतरतीब योजनाओं और शहरीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति के चलते आज पहाड़ के कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों का अस्तित्व खतरे में है। पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र रही नैनी झील भी बुरी तरह प्रदूषणग्रस्त है। झील के वजूद को मिटते देख पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कार्यकर्ता से लेकर आम आदमी तक सभी चिंतित हैं लेकिन सरकारी स्तर पर इसके संरक्षण एवं प्रबंधन के जो उपाय किये जा रहे हैं वे
कृषि भूमि पर जल संरक्षण
Posted on 09 Sep, 2008 12:12 PM
'भूमि' एवं 'जल' प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई दो अनमोल सम्पदायें है जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीनकाल से करता आया है। परन्तु वर्तमान में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका संतुलन ही बिगड़ गया है तथा भविष्य में इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा।
नैनीताल में पहाड़ों की सुरक्षा और विकास
Posted on 04 Mar, 2024 04:38 PM1895 में सर एंटोनी पेट्रिक मैकडॉनल नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस के लेफ्टिनेंट गवर्नर बने। उनके गवर्नर बनने के बाद नैनीताल के विकास को एकाएक पंख लग गए। सर एंटोनी पेट्रिक मैकडॉनल ने नैनीताल के अधिसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास में व्यक्तिगत तौर पर दिलचस्पी दिखाई। उनके कार्यकाल के दौरान नैनीताल में उच्च तकनीकी से लैस एक नया और नायाब नालातंत्र विकसित हुआ। घरों में नलों द्वारा पीने के साफ एवं स्वच्छ पानी