मध्य प्रदेश

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हमारी मर्जी से नहीं बरसेगा पानी
Posted on 02 Nov, 2010 09:23 AM

बुरे वक्त के लिए सहेजकर रखना सीखना होगा

21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या पानी है। यह बात इस वर्ष हमें अधिक अच्छे से इसलिए समझ आ रही है क्योंकि अभी तक देश भर में 65 फीसदी बारिश कम हुई है। सिर्फ इस वजह से ही पहले से सिर चढ़ी हुई मंदी अधिक गहरा गई है। उस पर से तुर्रा यह कि मंदी के साथ-साथ महँगाई भी बढ़ रही है और आम आदमी की कमर तोड़े दे रही है। मंदी, महँगाई और बारिश के बीच संबंध को समझने के लिए हमें उसी गणित को समझना होगा जो बाघ और बैंगन के बीच संबंध को समझाता है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के 25 साल
Posted on 27 Oct, 2010 09:07 AM विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक नर्मदा घाटी आज भी समृद्ध प्रकृति के लिए मशहूर है। घाटी में नदी किनारे पीढ़ियों से बसे हुए आदिवासी तथा किसान, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार और कारीगर समाज प्राकृतिक संसाधनों के साथ मेहनत पर जीते आए हैं। इन्हीं पर सरदार सरोवर के साथ 30 बड़े बांधों के जरिये हो रहे आक्रमण के खिलाफ शुरू हुआ जन संगठन नर्मदा बचाओ आंदोलन के रूप में पिछले 25 वर्षों से चल रहा है। विश्व बैंक को चुनौती देते हुए उसकी पोल इस आंदोलन ने खोली है। तीन राज्यों और केंद्र के साथ इसका संघर्ष आज भी जारी है। सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में दो लाख लोग बसे हैं। ये लोग वर्ष 1994 से डूबी जमीन के बदले जमीन के लिए लड़ रहे हैं। हजारों आदिवासी, बड़े-बड़े गांव और शहर, लाखों पेड़, मंदिर-मसजिद, दुकान-बाजार डूबे नहीं हैं, पर 122 मीटर की डूब में धकेले गए हैं।
सिर पर सवार है मैला उतरने का नाम नहीं लेता
Posted on 16 Oct, 2010 08:42 AM
सभ्यता के विकास में मल निस्तारण समस्या रही हो या न रही हो, लेकिन भारत में कुछ लोगों के सिर पर आज भी मैला सवार है. तमाम कोशिशों के बावजूद भारत सरकार उनके सिर से मैला नहीं उतार पायी है जो लंबे समय से इस काम से निजात पाना चाहते हैं. हालांकि सरकार द्वारा सिर से मैला हटा देने की तय आखिरी तारीख कल बीत गयी लेकिन कल ही 31 मार्च को दिल्ली में जो 200 लोग इकट्ठा हुए थे वे आज वापस अपने घरों को लौट गये हैं. तय है, आज से उन्हें फिर वही सब काम करना पड़ेगा जिसे हटाने की मंशा लिये वे दिल्ली आये थे. उमाशंकर मिश्र की रिपोर्ट-

भारत सरकार द्वारा 31 मार्च 2009 तक सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने की घोषणा की वास्तविकता को उजागर करने के लिए आज छह राज्यों के 200 लोग नई दिल्ली में एकत्रित हुए। मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश,
हाथ की सफाई के दूत बनेंगे बच्चे
Posted on 13 Oct, 2010 02:28 PM
शौच के बाद मिट्टी से हाथ धोने का प्रचलन ग्रामीण भारत में समान्य रूप से देखने को मिलता है। लोगों में धीरे-धीरे इस बात को लेकर जागरूकता आई कि मिट्टी के बजाय राख से हाथ धोना चाहिए। पर आज भी लोगों में इस बात को लेकर जागरूकता नहीं है कि मिट्टी एवं राख हाथ में छिपे कीटाणुओं को साफ करने में अक्षम हैं और साबुन ही एकमात्र विकल्प है। आजकल टी.वी पर कई विज्ञापन आते हैं, जिसमें हाथ धोने के महत्व को बताया
स्वच्छता से कम हो सकती है बाल मृत्यु
Posted on 13 Oct, 2010 02:15 PM विश्व में 16 फीसदी बच्चों की मृत्यु डायरिया से होती है। 35 लाख बच्चे डायरिया एवं निमोनिया के कारण अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाते। पांच साल से कम उम्र के 15 लाख बच्चों की मौत डायरिया से होती है, जिसमें से 3,86,600 भारतीय बच्चे होते हैं। डायरिया एक ऐसी बीमारी है, जो साफ-सफाई के अभाव में तेजी से फैलती है। व्यक्तिगत स्वच्छता हो या फिर पानी का उपयोग करने का स्था
साफ हाथों का दम
Posted on 13 Oct, 2010 01:50 PM गंदे हाथ बीमारियों को आमंत्रित करते हैं - यह कहना थोड़ा अचंभित करता है, पर वास्तविकता इससे परे नहीं है। हाथ की सफाई के प्रति बच्चों में जागरूकता का अभाव तो है ही, साथ ही साथ बड़े भी हाथ धोने में कोताही करते हैं। ऐसे में खाने के साथ पेट में कीटाणुओं का जाना मुश्किल नहीं होता, और फिर बीमारी की चपेट में आना स्वाभविक है। गांवों में तो शौच के बाद मिट्टी या राख से हाथ धोने का प्रचलन है। डायरिया जैसी गंभ
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..और नदियों के किनारे घर बसे हैं
Posted on 23 Sep, 2010 01:02 PM मानव सभ्यता और बाढ़ का रिश्ता आदिकाल से चला आ रहा है। अनेक सभ्यताएं नदियों के किनारे पनपी और बाढ़ से नेस्तनाबूद हो गई। आज भी बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिसके नाम से ही देश के अनेक गांवों एवं नगरों के लोग थर्रा उठते हैं। एक शोध के अनुसार 1980 से 2008 के दौरान भारत में चार अरब से भी अधिक लोग बाढ़ प्रभावित हुए। प्रति वर्ष बाढ़ से करोड़ों रुपयों के घर-बार, खेती और मवेशी नष्ट हो जाते हैं।
खतरे में कुदरती \"वाटर प्यूरीफायर\"
Posted on 21 Sep, 2010 04:01 PM जबलपुर। नर्मदा नदी के तलहटी में पाए जाने वाले कुदरती 'वाटर प्यूरीफायर' के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। रेत के अंधाधुंध उत्खनन होने से ऎसी परिस्थितियां बन रही हैं कि नदी के पानी को शुद्ध करने वाले ये सूक्ष्मजीव नष्ट हो रहे हैं।
किसानों के लिए मददगार साबित हो सकता है ये सायनोबैक्टेरिया
Posted on 17 Sep, 2010 01:54 PM विज्ञान के क्षेत्र में रोज नई-नई खोज हो रही है। हमें यह जानकर खुशी होती है कि वैज्ञानिक खोज हमारे जीवन को ज्यादा सुगम, सहज बनाने के साथ-साथ प्रगति में भी सहयोगी होते हैं। वैज्ञानिक के रूप में बहुत ही कम महिलाओं को हम जानते हैं, पर कुछ ऐसी महिला वैज्ञानिक हैं जिनके काम की बदौलत अलग-अलग क्षेत्रों में नए रहोस्याद्घाटन हो रहे हैं। विज्ञान की दुनिया में सायनोबैक्टेरियोलॉजिस्ट के नाम से अपनी पहचान कायम
निजीकरण को ठानी, अब मध्य प्रदेश का पानी
Posted on 02 Sep, 2010 10:32 AM
वेतन-भत्तों और सुविधाओं के विस्तार को लेकर लगातार हाय तौबा करने वाले जनप्रतिनिधि अब जनता की बुनियादी ज़रुरतों से पल्ला झाड़कर औद्योगिक घरानों की ताल पर थिरकते दिखाई दे रहे हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएँ जुटाने का ज़िम्मा सरकारों को सौंपा गया है। मगर सरकारें अब जनहित के कामों को छोड़कर एक के बाद एक योजनाओं को निजी हाथों में सौंपती
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