सरिता अरगरे

सरिता अरगरे
निजीकरण को ठानी, अब मध्य प्रदेश का पानी
Posted on 02 Sep, 2010 10:32 AM

वेतन-भत्तों और सुविधाओं के विस्तार को लेकर लगातार हाय तौबा करने वाले जनप्रतिनिधि अब जनता की बुनियादी ज़रुरतों से पल्ला झाड़कर औद्योगिक घरानों की ताल पर थिरकते दिखाई दे रहे हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएँ जुटाने का ज़िम्मा सरकारों को सौंपा गया है। मगर सरकारें अब जनहित के कामों को छोड़कर एक के बाद एक योजनाओं को निजी हाथों में सौंपती
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