हिमाचल प्रदेश

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हिमाचल के संगठनों ने लोक पर्यावरण दिवस मनाया
Posted on 20 Jun, 2011 03:43 PM विश्व पर्यावरण दिवस को खेगसू में ‘लोक पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया गया। इस दिवस का आयोजन दुनियाभर में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव पर 5 जून को सरकारी योजन के रूप में तथा लोक और स्वयंसेवी कार्यक्रम के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है। मानव और प्रकृति के बीच संतुलित सम्बंधों को बनाए रखने के लिए संघर्ष व वैकल्पिक कार्यक्रम बनाने और उसे कार्यरूप देने पर चिन्तन करने के लिए इसे मनाया जाता है।
राष्ट्रीय परिसंवादः प्राकृतिक संपदा पर समुदायों के अधिकार और आजीविका
Posted on 16 Jun, 2011 04:47 PM परंपरागत समुदायों के आजीविका के अधिकार और आंदोलनों की एकजुटता पर राष्ट्रीय परिसंवाद

स्थान- बन्जार, कुल्लु, हि0प्र0
तारीख- 24 से 26 जून 2011

प्रिय साथी,
मंच से खदेड़े गए अफसर
Posted on 09 May, 2011 10:55 AM

रामपुर बुशहर। सतलुज नदी पर प्रस्तावित 775 मेगावाट क्षमता की लूहरी परियोजना के लिए मंडी के परलोग गांव में आयोजित जन सुनवाई शनिवार को जन विरोध के चलते रद्द करनी पड़ी। जन सुनवाई में करीब 500 स्थानीय लोग परियोजना के विरोध में नारे लगाते हुए पहुंचे। महिलाओं ने अधिकारियों को मंच से उतरवा कर विरोध किया। इसके चलते, तीन घंटे की जद्दोजहद के बाद अधिकारियों को आखिर सुनवाई रद्द करनी ही पड़ी। हिमाचल प्रदेश प

तीरथन जलधारा पर बिजली परियोजना का विरोध
Posted on 27 Apr, 2011 01:58 PM

एक ओर जहां पीने के पानी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है वहीं तीरथन जलधारा आज भी इतनी

हिमाचल प्रदेश की मिट्टियां
Posted on 22 Mar, 2011 09:50 AM हिमाचल प्रदेश की पहाडि़यों और घाटियों में अनेक प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं। स्थान और वातावरण परिवर्तन के साथ-साथ मिट्टी के रंग व आकार तथा उत्पादकता में भी परिवर्तन आ जाता है। यह प्रदेश नवीन पहाड़ी मिट्टी की भूमि है। यहां आंतरिक रूप से भूमि की बनावट और जलवायु में भिन्नता है। इसकी गहराई की रूपरेखा और ढलान की बनावट के साथ-साथ परिवर्तन आ जाता है। भूमि की बनावट के क्षेत्र में मैदानी क्षेत्र
चिंताजनक हैं विलुप्त होती हिमाचल की झीलें
Posted on 21 Mar, 2011 06:39 PM

कहीं ये करोड़ों वर्षों की प्रकृति की अमूल्य निधि हमारे बीच से विलुप्त न हो जाए। समय रहते इनके म

शिमला की सीवेज व्यवस्था का हाल
Posted on 28 Feb, 2011 09:25 AM

सफाई व्यवस्था का सबसे अहम तत्व है सीवेज व्यवस्था। शिमला का वर्तमान सीवेज सिस्टम सन् 1880 में 16000 की आबादी के लिए बनाया गया था, जो कि आज लगभग ढाई लाख की आबादी का सीवेज ढो रहा है।

परियोजनाओं और अवैध खनन से नष्ट हो रहे नदी-नाले
Posted on 28 Feb, 2011 09:00 AM

परियोजनाओं के नाम पर नदियों का अंधाधुंध दोहन धड़ल्ले से हो रहा है। इसी की आड़ मे सबसे पहले हरे-भरे हजारों पेड़ों की बलि ली जाती है, उसके बाद पहाड़ों का सीना छलनी किया जाता है।

अधिक परियोजनाओं से होगा पर्यावरण का विनाश
Posted on 09 Feb, 2011 03:11 PM हिमाचल प्रदेश में अनगिनत विद्युत परियोजनाओं, सीमेंट उद्योगों को स्वीकृति देना प्रदेश के पर्यावरण में असंतुलन पैदा करना है। एक छोटे से प्रदेश में कई सीमेंट उद्योगों को स्वीकृति प्रदान करना कहां तक सही है…
बचाने होंगे हिमाचल के पहाड़ नदियां और कृषि भूमि
Posted on 09 Feb, 2011 03:02 PM

सत्ताधारियों से मिलकर नौकरशाही और दलाल, हालात ही ऐसे बना देते हैं कि किसान अपनी उर्वर कृषि भूमि को बेचने के लिए मजबूर हो जाए…

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