धौलपुर जिला

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पंचायत समिति राजाखेड़ा की भूजल स्थिति
Posted on 02 Nov, 2015 04:27 PM
पंचायत समिति, राजाखेड़ा (जिला धौलपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत


हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा धौलपुर जिले में 237.21 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 205.88 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति धौलपुर की भूजल स्थिति
Posted on 02 Nov, 2015 04:06 PM
पंचायत समिति, धौलपुर (जिला धौलपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा धौलपुर जिले में 237.21 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 205.88 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति बसेड़ी की भूजल स्थिति
Posted on 02 Nov, 2015 03:40 PM
पंचायत समिति, बसेड़ी (जिला धौलपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा धौलपुर जिले में 237.21 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 205.88 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति बाड़ी की भूजल स्थिति
Posted on 02 Nov, 2015 03:15 PM
पंचायत समिति, बाड़ी (जिला धौलपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा धौलपुर जिले में 237.21 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 205.88 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
उम्मीद जगाती एक नदी का रुदन
Posted on 11 Jul, 2011 08:33 AM

प्लांट के लिए चंबल से डाली जा रही पाइपलाइन

चंबल नदी
जानलेवा हवा
Posted on 09 Jun, 2018 06:22 PM


भारत में हीटवेव तीसरी सबसे बड़ी ‘हत्यारन’ के रूप में उभरी है। इसका दायरा बढ़ रहा है और यह नए-नए क्षेत्रों को चपेट में ले रही है। क्या इसके लिये जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है? देश के 13 हीटवेव प्रभावित राज्यों के 43 जिलों के लोगों, मौसम व तकनीकी विशेषज्ञों से मिलकर अनिल अश्विनी शर्मा ने हीटवेव की बढ़ती ताकत का आकलन किया।

हीटवेव
राजस्थान की नदियां
Posted on 13 Oct, 2008 10:50 AM

- राहुल तनेगारिया

१) चम्बल नदी -

इस नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसे कामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (६१६ मीटर ऊँची) के विन्ध्यन कगारों के उत्तरी पार्श्व से निकलती है। अपने उदगम् स्थल से ३२५ किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर एक लंबे संकीर्ण मार्ग से तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। यहां से कोटा तक लगभग ११३ किलोमीटर की दूरी एक गार्ज से बहकर तय करती है। चंबल नदी पर भैंस रोड़गढ़ के पास प्रख्यात चूलिया प्रपात है। यह नदी

माही नदी
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