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दिल्ली
जीवन का अर्थ : अर्थमय जीवन
Posted on 18 Jul, 2018 09:30 AM
आजकल अक्सर ऐसी बैठकों में, सभा सम्मेलनों के प्रारम्भ में एक दीपक जलाया जाता है। यह शायद प्रतीक है, अन्धेरा दूर करने का। दीया जलाकर प्रकाश करने का। इसका एक अर्थ यह भी है कि अन्धेरा कुछ ज्यादा ही होगा, हम सबके आसपास।
यह अन्धेरा बाकी समय उतना नहीं दिखता, जितना वह तब दिखता है जब हम अपने मित्रों के साथ ऐसी सभाओं में बैठते हैं। तो दीये से कुछ अन्धेरा दूर होता होगा और शायद आपस में इस तरह से बैठने से, कुछ अच्छी बातचीत से, विचार-विमर्श से भी अन्धेरा कुछ छँटता ही होगा। शायद साथ चाय, कॉफी पीने से भी।
ऐसा कहना थोड़ा हल्का लगे तो इसमें संस्कृत का वजन भी डाला जा सकता है: ओम सहना ववतु, सहनौ भुनक्तु आदि। दीया जलाने का यह चलन कब शुरू हुआ होगा, ठीक कहा नहीं जा सकता। इससे मिलती-जुलती प्रथा ऐसी थी कि जब ऐसी कोई सभा-गोष्ठी होती, अतिथियों के स्वागत में मंच के सामने पहले से ही एक दीया जलाकर रख दिया जाता था।

कितने पोषण की जरूरत - बताएगा यह नया ऐप
Posted on 02 Jul, 2018 06:07 PM
नई दिल्ली। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ नामक एक नया ऐप लॉन्च किया है, जो पोषण सम्बन्धी जरूरतों के बारे में लोगों को जागरूक करने में मददगार हो सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने शुक्रवार को यह ऐप नई दिल्ली में लॉन्च किया है।

सम्पन्नता की बूँदों का हो चतुर इस्तेमाल
Posted on 02 Jul, 2018 03:00 PMबारिश की सबसे अच्छी बात यह है कि यह सभी की जिन्दगी में सम्पन्नता लेकर आती है, लेकिन प्रबन्धन की कमी के चलते इसका प्रभाव अधिक समय तक नहीं टिकता। अध्ययन बताते हैं कि मानसूनी बारिश के दिन भले ही 100 हों, लेकिन 400-600 मिमी होने वाली बारिश का अधिकांश हिस्सा सिर्फ 100 घण्टे से कम में ही बरसता है। लिहाजा हर किसान, ग्राम पंचायत, शहर और कस्बे के वासियों और शहरी सोसायटियों के लोगों को सक्रियता और विव

शहरीकरण की कीमत
Posted on 01 Jul, 2018 12:54 PMदिल्ली के हाईकोर्ट ने राजधानी में अगली सुनवाई तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। एक आवासीय परिसर के लिये हजारों पेड़ों को काटने की जरूरत शहरीकरण की अन्धाधुन्ध दौड़ का नतीजा है, जिसकी कीमत चुकाने के लिये हमें तैयार रहना चाहिए।

पर्यावरण के लिये हजार किलोमीटर की पदयात्रा
Posted on 30 Jun, 2018 12:48 PMकई बार मुझे तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। अनेक अवसर आए, जब मोटरसाइकिल सवारों ने मेरा पीछा किय

किसानों की उम्मीदों पर न फिरे बाढ़ का पानी
Posted on 24 Jun, 2018 06:33 PMबेहतर मानसून की भविष्यवाणी से जहाँ कई किसानों के चेहरे खिल जाते हैं वहीं कुछ किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें भी दिखाई देने लगी हैं। जी हाँ जिस साल मानसून बेहतर रहता है उस साल फसल अच्छी होने के बावजूद बाढ़ की विभीषिका किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर देती है। अगर आप किसान हैं और चाहते हैं कि आपकी उम्मीदों पर बाढ़ का पानी न फिरे तो आप प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ अवश्य उठाएँ। फसल बीमा

गंगापुत्र ने प्राण की आहूति का लिया संकल्प
Posted on 24 Jun, 2018 05:41 PM
गंगा के संरक्षण को लेकर केन्द्र सरकार की नीति और प्रधानमंत्री के रवैये से नाराज चल रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का अनशन आज तीसरे दिन भी जारी है। स्वामी जी ने 22 जून को हरिद्वार के मातृसदन में आमरण अनशन की शुरुआत की थी। उन्होंने गंगा के पुनरुद्धार के लिये अपने प्राण की आहूति देने का संकल्प भी लिया है।
अनशन के तीसरे दिन में प्रवेश कर जाने के बाद भी अभी तक स्थानीय प्रशासन या केन्द्र सरकार की तरफ से किसी ने स्वामी जी से सम्पर्क नहीं किया है।

पृथ्वी के पहरेदार
Posted on 23 Jun, 2018 06:20 PMप्लॉगिंग यानी जंगल में ट्रैकिंग के लिये जाना और ढेर सारी यादों के साथ ही वहाँ पसरे कचरे को भी अपने साथ लाना। इसका चलन भारत में बढ़ रहा है और जैकब चेरियन ने इस तरह का कैम्प और फेसबुक पेज बनाकर कई लोगों को राह दिखाई है…

बैरी बरखा आ जा रे
Posted on 23 Jun, 2018 05:27 PMरिमझिम बारिश में भीगा मन बागी हो जाता है। बस में नहीं रहता। कभी बूँदों की लड़ी के सहारे आसमान पर चढ़ जाना चाहता है तो कभी टाइम मशीन में बैठ पीछे छूट चुकी यादों की गलियों में टोह लेने पहुँच जाता है। मानसून की आहट मिलते ही मन एक दफा फिर इस बगावत के लिये मचलने लगा है। रिमझिम बारिश की सीनाजोरी के किस्से सुना रही हैं प्रसिद्ध साहित्यकार ममता कालिया-
