बेहतर मानसून की भविष्यवाणी से जहाँ कई किसानों के चेहरे खिल जाते हैं वहीं कुछ किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें भी दिखाई देने लगी हैं। जी हाँ जिस साल मानसून बेहतर रहता है उस साल फसल अच्छी होने के बावजूद बाढ़ की विभीषिका किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर देती है। अगर आप किसान हैं और चाहते हैं कि आपकी उम्मीदों पर बाढ़ का पानी न फिरे तो आप प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ अवश्य उठाएँ। फसल बीमा योजना आपकी फसल को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान पर कवर प्रदान करती है।
मानसून देश के कई भागों में दस्तक दे चुका है और केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे तटीय राज्यों में रिमझिम फुहारों का दौर शुरू हो चुका है। मौसम विभाग ने इस बार बेहतर मानसून की भविष्यवाणी की है जिससे किसानों के चेहरे खिल गये हैं और उन्होंने बड़े पैमाने पर धान व इस मौसम में बोई जाने वाली अन्य फसलों की बुवाई की तैयारी की है। बेहतर मानसून की भविष्यवाणी से जहाँ एक ओर किसानों के चेहरे खिल जाते हैं वही दूसरी तरफ कुछ किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें दिखाई देने लगती हैं।
चिन्ता की वजह यह है कि जब मानसून बेहतर रहता है तो खूब बारिश होती है और देश की कई नदियों में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ के पानी से किसानों की फसलों को भारी नुकसान होता है। किसानों की इसी समस्या को देखते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। कोई भी किसान इस योजना का लाभ उठाकर बाढ़ रूपी प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई कर सकता है।
क्या है फसल बीमा योजना
प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, अतिवृष्टि, पाला पड़ना या तेज हवाओं से लगने वाली आग से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये सरकार ने फसल बीमा योजना की शुरूआत की थी लेकिन मौजूदा समय में केन्द्र सरकार ने फसल बीमा से जुड़ी पिछली कई योजनाओं को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में समाहित कर लिया है।
कोई भी किसान सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर अपनी फसल को प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा का कवर दे सकता है। वर्ष 2016 में शुरू प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बुवाई से लेकर फसल की कटाई तक फसल को प्राकृतिक आपदा का बीमा कवर प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत रबी, खरीफ, वाणिज्यिक और बागवानी की फसलों को शामिल किया गया है।
कितना होगा प्रीमियम
योजना के तहत किसानों को काफी कम प्रीमियम का भुगतान करना होता है। किसानों को आमतौर पर कुल प्रीमियम का सिर्फ डेढ़ से पाँच फीसद रकम का भुगतान करना होगा शेष प्रीमियम केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन किया जाता है। बागवानी अर्थात फूलों या फलों की पैदावार के लिये प्रीमियम की दर पाँच फीसद रखी गई है। यानी अगर आप एक लाख रुपए का बीमा कराएँगे तो प्रीमियम की रकम 5000 रुपए होगी। खरीफ के लिये यह दर दो फीसद यानी एक लाख रुपए के बीमा कवर पर दो हजार रुपए तथा रबी की फसल पर यह दर डेढ़ फीसद होगी। तिलहन फसलों के लिये भी प्रीमियम की दर डेढ़ फीसद ही रहेगी।
किसानों का बढ़ा रुझान
शुरुआत में फसल बीमा योजना के प्रति किसान जागरूक नहीं थे लेकिन पिछले तीन वर्षों में सरकार द्वारा इस विषय में किसानों को जागरूक करने से फसल बीमा योजना के प्रति उनका रुझान बढ़ा है। वर्ष 2016-17 में देश की कुल कृषि फसलों का करीब 30 फीसद हिस्सा बीमा कवर में शामिल किया गया। फसल बीमा का दायरा बढ़ने से भी किसनों का रुझान इस तरफ काफी बढ़ा है।
अब फसल को बाढ़ के साथ-साथ सूखे, तूफान, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और भूस्खलन से बचाव का भी कवर प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा फसल बीमा दावों के निपटान में लगने वाला समय घटने से भी किसानों का रुझान इस योजना के प्रति बढ़ा है। पूर्व में फसल बीमा के दावों के लिये एक साल तक का समय लग जाता था, लेकिन अब स्मार्टफोन सीसीई एप और फसल बीमा पोर्टल के जरिये सिर्फ 15 दिन से एक महीने के भीतर दावों का भुगतान किया जा रहा है।
आवेदन के लिये कागजात
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा कराने के लिये जिन कागजों की जरूरत होती है उनमें आधार कार्ड, इलेक्शन कमीशन का पहचान पत्र, बोई फसल की माप हेक्टेयर में, बोई फसल की तारीख, बीजारोपण का प्रमाण पत्र, जमीन का खसरा खतौनी, कैंसिल चेक, पासबुक की कॉपी और आवेदक का फोटो शामिल है। अगर कोई किसान खुद या किसी अन्य की मदद से आनलाइन आवेदन करता है तो यह सभी कागज स्कैन कराकर पहले से अपने पास रख ले। स्कैन कराने की सुविधा न हो तो स्मार्टफोन से इन कागजात का फोटो खींचकर भी इसे अपलोड किया जा सकता है। जिनका जरूरत पड़ने पर कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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