दिल्ली

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भूजल प्रबंधन : बूंदों पर टिकी बुनियाद
Posted on 29 Nov, 2013 03:28 PM पानी की बूंदों को सहेजने के ये उदाहरण नए जमाने के लिए भले ही नए हों
Groundwater management
बांध विजय गाथा एक-बदला इतिहास, भाग -1
Posted on 29 Nov, 2013 02:51 PM देश भर के बांध प्रभावित लोग हर कदम पर सामना करने को तैयार हैं। आप अ
अबला नदी
Posted on 29 Nov, 2013 09:27 AM पर्वतों उपत्यकाओं में
पली बढ़ी हूँ मैं
हिमनदों की बहुत
लाडली हूँ मैं
मुझसे ये धरा खिले
जिसे गगन लखे
ज्योतिर्मय नव विहान
की छटा दिखे
स्वयं गरल समेट कर
सुधा प्रवाहती
मैं क्या कहूं
इस मही का प्राण हूँ मैं ही
कलकल ध्वनि लिए
शाश्वत गान गा रही
पग बंधे हैं किंतु इच्छा
मुक्ति दान की
लक्ष्य था अनंत किंतु
महात्मा गांधी नरेगा समीक्षा
Posted on 11 Nov, 2013 12:01 PM महात्मा गांधी नरेगा द्वारा वर्तमान में उपयोग में लाए जा रहे मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम के जरिए 9 करोड़ से अधिक मस्टर रोल और 12 करो
शासन में नैतिक मूल्य और सूचना-अधिकार का उपयोग
Posted on 10 Nov, 2013 01:20 PM “मानव के रूप में हमारी महानता विश्व के पुनर्निर्माण में सक्षम होने में उतनी नहीं...(यह परमाणु की धारणा है) जितनी स्वयं के पुनर्निर्माण में सक्षम होने में है” – महात्मा गांधी
बागवानी : एक फलता-फूलता कॅरिअर
Posted on 10 Nov, 2013 01:13 PM यदि आप किसी व्यावसायिक बागवान के लिए कार्य करते हैं तो खेतों, उद्या
पोषण तथा आहार विज्ञान के क्षेत्र में आकर्षक कॅरिअर
Posted on 10 Nov, 2013 12:01 PM खाद्य एवं पोषण तथा स्वास्थ्य और स्वच्छता क्षेत्रों में कॅरिअर बनाने
मत्स्यपालन-धनार्जन का उत्तम माध्यम
Posted on 10 Nov, 2013 11:28 AM अपने आत्म-विश्वास के बढ़ने और यहां का दौरा करने वाले विशेषज्ञों के
किसानों ने एनटीपीसी के साथ वार्ता से किया इंकार
Posted on 08 Nov, 2013 10:52 AM

प्रस्ताव बनाकर कहा कि जिलाधिकारी के नीचे किसी से नहीं करेंगे बात


पांच साल बाद मेजा ऊर्जा निगम सलैया कला व सलैया खुर्द पर अब काम कराना चाहता है जिसका किसान विरोध कर रहे हैं। इसी तरह मेजा ऊर्जा निगम को दी गई सात गाँवों की 685 हेक्टेयर ज़मीन के मुआवज़े व नौकरी देने के मामले को लेकर प्रभावित सभी किसान मज़दूर बिजली उत्पादन कम्पनी का बहिष्कार कर रहे हैं। किसानों ने कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है इसलिए वह शुरू से ही सरकार, प्रशासन व कम्पनी का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि भूमि अधिग्रहण की कानूनी प्रक्रिया की पारदर्शिता उजागर हो। इलाहाबाद जनपद में मेजा तहसील के कोहड़ार में स्थापित की जाने वाली विद्युत उत्पादन ईकाई मेजा ऊर्जा निगम संयुक्त उपक्रम एनटीपीसी के लिए ली गई ज़मीन के मामले में भूमि अधिग्रहण कानून को ताक पर रखा गया। अधिग्रहण की कानूनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता नहीं बरती गई। किसानों से उनकी ज़मीन जबरन छीनी जा रही है। मुआवजा तय करते समय उनसे राय नहीं ली गई। मुआवजा राशि सर्किल रेट से भी कम दर पर दी गई। नौकरी देने का वायदा तत्कालीन जिलाधिकारी व एनटीपीसी प्रबंधन ने किया था किंतु उसे भी पूरा नहीं किया गया।
छोटे किसान तकनीक से ले सकते हैं भरपूर फसल
Posted on 08 Nov, 2013 10:17 AM

एक गांव ऐसा तत्काल प्लेटफार्म देने वाला नेटवर्क इंटीग्रेटर है जहां सेवा प्रदाता दक्षिण एशिया तथा अफ्रीका के अल्प-सेवित उपभोक्ता सेवा बाजारों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं ‘वनफार्म’ एक ब्रांडेड सेवा पैकेज है जो छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए बड़ा आश्वासन देता है तथा इसके सेवा एवं व्यवसाय मॉडल अन्य चैनल सहभागियों में, मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों में अपनी पहुंच बना कर एवं सहभागी बनकर एक मोबाइल महत्व समर्पित से सेवा के रूप में सेवाओं के विस्तार की धारणीय संभावना बनाते हैं। भारत विश्व में सबसे तेजी से फैलने वाला मोबाइल फोन का बाजार बनने जा रहा है।

सभी परिसम्पत्तियों में से भूमि का किसी भी परिवार से लंबे समय से अंतरंग संबंध रहा है, चाहे वह निवास हो, खाद्य हो या जीविका, भूमि से इनके संबंध मजबूत हुए हैं। भूमि से किसानों का पुराना संबंध है और भारतीय समाज में इसे बहुमूल्य माना गया है। किसान कार्य-बल का सबसे बड़ा वर्ग है। 70% से अधिक किसान बड़े पैमाने पर स्व-रोज़गाररत हैं, जो भारत में 1.2 बिलियन से भी अधिक लोगों को खाद्य-सुरक्षा देते हैं। तथापि, नई सहस्त्राब्दि में, एक वर्धमान सार्वभौमिक बाजार स्थान के साथ ही भूमि भोजन दाता के साथ अंतरंग संबंध आयदाता के रूप में परिवर्तित हो रहे हैं। यह परिवर्तन सार्वभौमिक आर्थिक बलों द्वारा प्रेरित है, जिसका खेतों तथा छोटे किसानों पर व्यवस्थित तथा दूरगामी प्रभाव है।

भारत में 70% से भी अधिक किसान 0.7 एकड़ से भी कम भूमि के स्वामी हैं, इसलिए विश्व की तुलना में भारत में छोटे तथा सीमांत किसानों की संख्या सबसे अधिक है।
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