Posted on 30 Mar, 2018 11:58 AM यह जगजाहिर है कि पिछले दो-तीन दशक से दिल्ली में सरकार की उपेक्षा एवं लापरवाही के कारण प्रदूषण बड़ी समस्या बनी हुई है। दिल्ली का प्रदूषण विश्वव्यापी चिन्ता का विषय बन चला है। कई अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञ यहाँ तक कह चुके हैं कि दिल्ली रहने लायक शहर नहीं रह गया है।
Posted on 29 Mar, 2018 05:58 PM पर्यावरण और उसके घटक तथा विभिन्न पारिस्थितिकी अवधारणाओं के विषय में आपने पिछले पाठों में जानकारी प्राप्त की। साथ ही आपने प्राकृतिक पारितंत्र और मानव-निर्मित पारितंत्र का भी ज्ञान प्राप्त किया। मनुष्यों ने बिना सोच-विचार के अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पारितंत्र में परिवर्तन कर लिये हैं। उनकी आवश्यकताओं ने, जो लालच से जुड़ी हुई हैं, पर्यावरण को बहुत हानि पहुँचाई है, जिसका प्रभाव भावी पीढ़ी पर अवश्
Posted on 29 Mar, 2018 05:30 PM राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 जन वितरण प्रणाली में मोटे अनाजों और बाकी फसलों को शामिल करने का प्रावधान मुहैया कराता है। मीडिया की एक हालिया रिपोर्ट में संकेत दिये गए हैं कि कनार्टक और कुछ अन्य राज्यों में रबी और मोटे अनाज की बुआई के रकबे में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है। इस तरह की फसलों में दिलचस्पी बहाल करने में वाजिब कीमत और बड़े पैमाने पर खरीद अहम हैं। कर्नाटक सरकार ने 1 लाख टन रागी
Posted on 27 Mar, 2018 06:34 PM दस लाख से लेकर बीस लाख वर्ष के बीच जबसे मनुष्य का उद्भव हुआ, मानव पर्यावरण के निकट सम्पर्क में रहने लगे हैं। जैसा कि आपने पाठ-3 में पहले से ही जानते हैं कि प्रारंभ में वे शिकारी तथा संग्राहक (भोजन का संग्रहण करने वाले) थे। धीरे-धीरे समय बदलने के साथ-साथ मानव ने स्थायी तथा सुव्यवस्थित जीवन बिताना शुरू किया। जैसे-जैसे मानव की संख्या में वृद्धि हुई तथा उन्होंने सांस्कृतिक प्रगति की, उन्होंने प्
Posted on 27 Mar, 2018 03:55 PM मनुष्य की लालसा और उसकी जरूरतों ने प्राकृतिक पारितंत्रों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। मनुष्य ने इन्हें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार रूपांतरित करने का प्रयास किया है। प्राकृतिक पारितंत्रों में रूपांतरण के मुख्य कारण इस प्रकार हैं: (1) बढ़ती हुई जनसंख्या (2) बढ़ती हुई मानवीय आवश्यकताएँ तथा (3) जीवन शैली में परिवर्तन। इस पाठ में आप विभिन्न प्रकार के मानव रूपांतरित पारितंत्रों और अपने अधिकतम उपयोगो
Posted on 27 Mar, 2018 02:04 PM आप जानते हैं कि शायद पृथ्वी सौर मण्डल का ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन का अस्तित्व है। पृथ्वी का वह भाग जो जीवन को बनाये रखता है जैव मण्डल कहलाता है। जैव मण्डल अति विशाल है और इसका अध्ययन एकल इकाई के रूप में नहीं किया जा सकता है। इसे अनेक स्पष्ट क्रियात्मक इकाइयों में विभाजित किया गया है जिन्हें पारितंत्र कहते हैं। इस पाठ में आप पारितंत्र की संरचना और कार्यों के बारे में अध्ययन करेंगे।
Posted on 27 Mar, 2018 11:57 AM पिछले मॉड्यूल (मॉडयूल-1) में आपने पर्यावरण की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन किया है। आपने इस बात का भी अध्ययन किया है कि मानव पर्यावरण के साथ किस प्रकार अन्योन्यक्रिया कर रहा है। इस पाठ (यह मॉड्यूल-2 का पहला पाठ है) में आप पारिस्थितिकी, जो विज्ञान की एक प्रतिष्ठित शाखा है, की कुछ मुख्य अवधारणाओं का अध्ययन करेंगे।
Posted on 26 Mar, 2018 05:22 PM आज भारत, मानूसन पूर्वानुमान और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में विश्व के विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा है। लेकिन, आजादी के समय हमारा देश इन दोनों क्षेत्रों में विदेशों पर निर्भर था।