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दिल्ली
लक्ष्य से चूकता देश
Posted on 30 May, 2011 11:23 AMग्यारह साल पहले यानी 2000 में सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य तय किए गए तो पूरी दुनिया ने इसका स्वागत किया। कहा गया कि बुनियादी समस्याओं के समाधान की राह में अहम कदम उठा लिया गया है। तकरीबन डेढ़ सौ देशों की सहभागिता वाले इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दुनिया के स्तर पर काफी पैसे भी जुटाए गए। तय हुआ कि ये आठ लक्ष्य 2015 तक पूरे कर लिए जाएंगे। अब महज चार साल ही बचे हैं। ऐसे में इन लक्ष्यों को पाने को लेकर संदेह गहराता जा रहा है। न लक्ष्यों को पाने की दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं होने के लिए विकासशील देशों के रवैए के साथ-साथ विकसित देशों की वादाखिलाफी को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।
अब 'पानी लाने लगा' है आंदोलन
Posted on 24 Apr, 2011 10:50 AMनई दिल्ली। यमुना बचाओ आंदोलन अब रंग लाने लगा है। आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को यमुना के वजीराबाद और आईटीओ स्थित यमुना में पानी का जायजा लिया। स्थानीय लोगों व गोताखोरों ने आंदोलनकारियों को बताया कि यमुना में पानी की बढ़ोतरी हुई हैं। जलस्तर भी पहले से बढ़ा हुआ पाया गया। इस मसले पर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच औपचारिक बातचीत सोमवार को होगी। सार्वजनिक अवकाश होने की वजह से सरकार की ओर से
सीपीसीबी द्वारा पुस्तक लेखन के लिए पुरस्कार
Posted on 15 Apr, 2011 04:56 PMप्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण योजना एवं प्रबंधन से संबंधित विषयों पर हिन्दी में मौलिक पुस्तक लेखन के लिए पुरस्कार योजना वर्ष-2011
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली ने प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण योजना एवं प्रबंधन से संबंधित विषयों पर हिन्दी में अच्छे स्तर की मौलिक पुस्तकें लिखने के लिए जन-साधारण को पुरस्कार देने की योजनाएं 2011 लागू की है। इस योजना की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैः
1. योजना का नाम
इस योजना का नाम “प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण योजना एवं प्रबंधन से संबंधित विषयों पर हिन्दी में मौलिक पुस्तक लेखन के लिए पुरस्कार” है।
हाहाकार में न बदल जाए पानी का शोर
Posted on 24 Mar, 2011 05:14 PMसन् 2020 तक जिस भारत को हम विकसित राष्ट्र की श्रेणी में देखना चाहते हैं, पानी के हाहाकार के आगे
भविष्य के लिए पानी बचाने का जतन
Posted on 05 Mar, 2011 08:35 AMभूजल संरक्षण के लिए समय रहते चेतना जरूरी है।भूजल का अत्यधिक दोहन रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड संशोधन अधिनियम 2011 को स्वीकृत प्रदान कर दी गई है। अधिनियम को स्वीकृति मिलने के बाद जल बोर्ड की स्वीकृति बिना भूजल नहीं निकाला जा सकेगा। निरंतर पानी की कमी से जूझते अपने देश में जल नियमन का कोई एकीकृत कानून नहीं है। वैसे जल उपयोग से जुड़े अंतर्राज्यीय, अंतर्राष्ट्रीय, संवैधानिक प्रावधान देश में कई बने

अन्तर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956
Posted on 15 Jan, 2011 05:32 PMअंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम 1956 के अंतर्गत जब दो या दो से अधिक राज्य सरकारों के बीच जल विवाद पैदा होता है तो अधिनियम की धारा 3 के तहत कोई भी नदी घाटी राज्य केंद्र सरकार को इस संबंध में अनुरोध भेज सकता है। अधिनियम के अंतर्गत ऐसे अंतर्राज्यीय जल विवादों की स्थिति इस प्रकार है:अन्तर्राज्यीय अन्तर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत जल विवाद
ग्रीनपीस ने की “ग्रीन बजट” की मांग
Posted on 15 Jan, 2011 10:54 AM
पर्यावरण अनुकूल खेती और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने लिए अधिक फंड आवंटन पर दिया जो़र
बजट पूर्व विमर्श के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा बुलाई गयी बैठक में ग्रीनपीस ने आज कहा कि अब वक्त आ गया है कि सरकार मौजूदा केन्द्रीय बजट 2011-12 को पर्यावरण अनुकूल बनाये।
राज्यों की राजनीति में उलझा जल प्रबंधन : बंसल
Posted on 15 Jan, 2011 10:34 AMकई राज्यों को इस वर्ष की असाधारण बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ है। प्रबंधन के अभाव में इस वर्ष भी इस पानी का ज्यादातर हिस्सा किसी के काम नहीं आने वाला। भारी बारिश के चलते बाढ़ व नदी जल के प्रबंधन जैसे मसलों पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल से रूबरू हुए हिन्दुस्तान के राजनीतिक संपादक निर्मल पाठक :
हवा में जहर घोल रही हैं 1000 अवैध फैक्टरियां
Posted on 15 Dec, 2010 08:05 AM
तमाम सख्ती व कोर्ट के आदेश के बावजूद राजधानी में करीब एक हजार फैक्टरियां अवैध रूप से चलाई जा रही हैं। इनमें से हर रोज निकलने वाले खतरनाक रसायन व धुआं हवा में जहर घोल रहे हैं। अवैध फैक्टरियों के कारण कई स्थानों पर भूमिगत जल व यमुना नदी भी प्रदूषित हो रही है। दिल्ली सरकार को भी इन अवैध फैक्टरियों की पूरी जानकारी है।