तमाम सख्ती व कोर्ट के आदेश के बावजूद राजधानी में करीब एक हजार फैक्टरियां अवैध रूप से चलाई जा रही हैं। इनमें से हर रोज निकलने वाले खतरनाक रसायन व धुआं हवा में जहर घोल रहे हैं। अवैध फैक्टरियों के कारण कई स्थानों पर भूमिगत जल व यमुना नदी भी प्रदूषित हो रही है। दिल्ली सरकार को भी इन अवैध फैक्टरियों की पूरी जानकारी है।
उद्योग मंत्री हारून यूसुफ के मुताबिक इन अवैध फैक्टरियों की पहचान करने के बाद अब स्थानीय एसडीएम और नगर निगम को इन्हें सील करने का आदेश दे दिया गया है। हालांकि, फैक्टरियां कब तक सील कर दी जाएंगी, इस बारे में फिलहाल कोई डेडलाइन जारी नहीं की गई है।
दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्रालय ने पुष्टि की है कि उन्हें 998 अवैध फैक्टरियां चलने की शिकायतें मिल चुकी हैं। इनसे करीब दो लाख लोग जुड़े हुए हैं। मंत्रालय के मुताबिक अवैध तरीके से चलाई जा रहीं 317 फैक्टरियों को अभी तक सील किया गया है।
इसके बावजूद अभी भी करीब एक हजार फैक्टरियां चलाई जा रही हैं। हैरानी की बात है कि घनी आबादी वाले उत्तरी व पूर्वी क्षेत्र में दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्र के मुकाबले बेहद कम अवैध फैक्टरियां हैं।
यहां अभी तक 7-7 अवैध फैक्टरियां सील की गई हैं। सरकार का कहना है कि इन इलाकों में लघु उद्योग-धंधे तो खूब हैं, लेकिन अवैध फैक्टरियां बेहद कम हैं। सबसे ज्यादा फैक्टरियां पश्चिम दिल्ली में हैं।
सरकार द्वारा कराए सर्वे में मालूम हुआ है कि पश्चिम क्षेत्र के कई हिस्सों में रिहायशी मकानों में ज्यादा फैक्टरियां चलाई जा रही हैं। यहां अभी तक 199 अवैध फैक्टरियां सील की जा चुकी हैं। इसके बावजूद अकेले पूंठ कला में 185 व किराड़ी सुलेमान में १क्१ फैक्टरियां धड़ल्ले से चलाई जा रही हैं।
इनमें हर दिन सैकड़ों यूनिट बिजली खर्च होती है। इसके अलावा, इन फैक्टरियों में वस्तुओं का उत्पादन करते समय तय मानकों को भी नजरअंदाज किया जाता है, इसलिए यहां तैयार किए गए उत्पाद भी घटिया किस्म के होते हैं। इससे उपभोक्ताओं को काफी नुकसान हो रहा है। दिल्ली के सटे इलाकों में भी 47 अवैध फैक्टरियां हैं।
इनमें तैयार सामान यूपी सीमा के जरिए देश के विभिन्न हिस्सों में बेचा जाता है। सर्वे में बताया गया है कि नई दिल्ली से सटे दक्षिण दिल्ली में डेढ़ सौ से अधिक अवैध फैक्टरियां हैं और अभी तक 21 अवैध फैक्टरियां सील भी की गई हैं, लेकिन नई दिल्ली में ऐसी एक भी यूनिट नहीं है
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