दिल्ली

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‘राजधानी दिल्ली और पानी’ मुद्दे पर एक सप्ताह के कई कार्यक्रमों में आपको आमंत्रण
Posted on 23 Nov, 2011 01:00 PM
क्या आप जानते हैं कि दिल्ली भारत में किसी भी दूसरे शहर की तुलना में प्रति व्यक्ति अधिक पानी की खपत करती है? फिर भी प्यास अभी भी अतृप्त है। ‘राजधानी दिल्ली और पानी’ मुद्दे पर नवंबर 19-26 तक विभिन्न कार्यक्रम होंगे। हौज-खास स्थित जय भारत केन्द्र में हो रहे इन कार्यक्रमों में फोटो प्रदर्शनी, फिल्म स्क्रीनिंग, वार्ता आदि हो रहे हैं।
आरटीआई के बारे में क्या नहीं जानते हम
Posted on 21 Nov, 2011 02:48 PM आप सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल करते हैं? क्या आपको मालूम है कि आप अपने पास के डाक घर से केन्द्रीय सरकार के दफ्तरों में सूचना अधिकारियों को बिना किसी डाक खर्च के अपना आवेदन, प्रथम अपील और दूसरी अपील कर सकते हैं?

मेरा अपना आकलन है कि ये डाक घरों के जरिये मुफ्त में सूचनाएं मांगने का आवेदन पत्र भेज सकते हैं, यह जानकारी देश के 0.5 प्रतिशत लोगों को भी नहीं है. यह संसद जानती है. देश भर के 4707 डाकघर के लोग जानते हैं. लेकिन जिनके लिए सूचना का अधिकार कानून बनाया गया है, वे नहीं जानते.

लोकतंत्र में संचार व्यवस्था का अध्ययन
सूचना का अधिकार
विनाश की ओर बढ़ता विकास
Posted on 21 Nov, 2011 02:17 PM

सबसे बड़ी चिंता ये है कि हमने इतना प्रदूषण पैदा कर दिया है कि हमारी समुद्र की सतह पर जो गर्मी रहा करती थी, वो बढ़ रही है और गर्मी बढ़ने के कारण जो हवाएं ठीक से चलनी चाहिए, उसमें विघ्न पड़ गया है। उस विघ्न का भी नाम उन्होंने अलनीनो इफेक्ट कह रखा है। उसके कारण से जो बिचारे बादल आ रहे थे, वे बीच में रुक गए और बाकी के लौट गए बेचारे। अगर बादलों को हवा नहीं ले के आएगी, तो बादलों के पांव तो कोई होते नहीं हैं। अपने आप तो वो चल कर आ नहीं सकते हैं। उनको हवाएं ही लाएंगी। और वो हवाएं अगर गड़बड़ हो गई हैं, तो क्या होगा?

कल मैं पटना से चला। वो हफ्ते में दो दिन चलने वाली गाड़ी है, इसलिए उसमें ज्यादा भीड़ नहीं थी। मैं जाकर अपनी जगह पर बैठा। सामने एक विदेशी लेटे हुए थे। थोड़ी दूर गाड़ी आगे निकली। उन्होंने देखा कि उस डिब्बे में बैठे हुए लोग आकर मेरे दस्तखत लेने की कोशिश कर रहे हैं, मुझसे बात कर रहे हैं। उनको लगा कि ऐसे लेटे रहना शायद ठीक नहीं है। उन्होंने उठकर किसी से जाकर बात की होगी कि ये कौन हैं। फिर उन्होंने मुझसे माफी मांगी और कहा कि मैं इतनी देर पैर पसारे आपके सामने इस तरह से लेटा हुआ हूं तो ये मैं असभ्यता कर रहा था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं आज आपके साथ यात्रा कर रहा हूं।

वे जर्मनी के पत्रकार थे। एक साल की छुट्टी लेकर दुनिया घूमने के लिए निकले हुए हैं। अभी वो बिलकुल चले आ रहे थे चीन से। वे चीन से नेपाल आए और नेपाल से दार्जिलिंग आए और दार्जिलिंग से बस पकड़कर पटना। पटना स्टेशन के बाहर भोजन वगरैह करके बहुत थके हुए थे, इसलिए लेट गए होंगे। जवान आदमी, ठीक बात कर रहे थे। पूछा कि आप क्यों जा रहे हैं वहां। मैंने बताया कि वहां सर्व सेवा संघ में आधुनिक सभ्यता के संकट पर ‘हिन्द स्वराज’ की चर्चा है। जर्मनी के किसी प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में पढ़े अच्छे पत्रकार थे वे। उन्होंने कहा कि हां संकट तो सही है लेकिन
संदर्भः भूमि अधिग्रहण बिल व प्रादेशिक नीतियां
Posted on 22 Oct, 2011 02:55 PM

मुआवजा बढ़ाने से ज्यादा कृषि व सामुदायिक भूमि बचाने की नीति बनाने की जरूरत

land acquisition
नीति बनाकर ही हो नदियों का संरक्षण
Posted on 18 Oct, 2011 12:03 PM

यदि नदियों को और खुद को बचाना है, तो सामाजिक जवाबदारी व हकदारी दोनों साथ सुनिश्चित करनी ही पड़

Yamuna
मनरेगा के सामाजिक प्रभाव
Posted on 15 Oct, 2011 11:15 AM

जो गाँव आवश्यकता से अधिक होने पर दूध-साग-भाजी आदि को गाँव में बांटकर भी पुण्य कमाने का घमंड नह

NREGA
फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट हेल्थ भी, वेल्थ भी
Posted on 14 Oct, 2011 05:16 PM

आमतौर पर यह समझा जाता है कि मेडिसिन की दुनिया डॉक्टरों, मरीजों के इलाज और दवाएं देने तक ही सीमित है लेकिन नहीं। मेडिसिन यानी फार्मास्युटिकल का क्षेत्र आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती इंडस्ट्री में से एक है। यही कारण है कि आज इसमें दवाओं के वितरण, मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशंस, फार्मा मैनेजमेंट आदि में स्किल्ड लोगों की मांग में काफी तेजी आ गई है। भारत जैसी विशाल आबादी और बेरोजगारी वाले देश में यह क

फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में कैरियर
खूब अवसर हिंदी में
Posted on 14 Oct, 2011 04:35 PM

अब हिंदी केवल राजभाषा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बना रही है। चाहे वह अध्यापन का कार्य हो या कॉल सेंटर्स, टूरिज्म और इंटरप्रेटर का, सभी में अवसर ही अवसर हैं।
 

शूट द एनिमल्स
Posted on 14 Oct, 2011 04:05 PM

फिल्म थ्री इडियट्स के फरहान से सभी परिचित होंगे। पेरेंट्स के दबाव के चलते इंजीनियरिंग पढ़ने आए फरहान को वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बनने का शौक था और इसी शौक के चलते उसने इंजीनियरिंग जैसे स्वर्णिम कैरियर को लात मार दी। हालांकि रील और रीयल लाइफ में काफी अंतर होता है, लेकिन फरहान गलत नहीं था, हमारी प्रकृति है ही इतनी सुंदर कि उसकी हर छटा हर किसी का मन मोह लेती है। आज फरहान जैसे अनेक युवा हैं जो प्रकृत

फोटोग्राफी में कैरियर
भूगर्भ में छुपा कैरियर
Posted on 14 Oct, 2011 09:51 AM

वाकई में धरती अपने अंदर रहस्यों का पुलिंदा छुपाए हुए है। ऐसे तमाम अनगिनत रहस्य हैं, जिन्हें आसानी से नहीं जाना जा सकता है। पृथ्वी के भीतर छुपे कुछ प्रतिशत प्राकृतिक संशाधनों से ही आम लोग परिचित हैं। यदि आप पृथ्वी के छुपे रहस्य एवं उनसे होने वाले फायदों को जानना चाहते हैं, तो जियोलॉजी का गहन अध्ययन करना पड़ेगा।

 

 

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