Posted on 14 May, 2015 11:43 AMजल को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। लैटिन में इसे एक्वा, अंग्रेजी में वाटर, हिन्दी में जल या पानी, संस्कृत में पानीय या सलिल या अम्बु, मराठी व गुजराती में पाणी, बंगाली में जल, कन्नड़ में नीरू, तेलुगू में नीलू तथा फारसी में आब कहते हैं।
Posted on 12 May, 2015 11:54 AMइस बात पर गौर करना हमेशा ही दिलचस्प रहा है कि समय के साथ-साथ हमारी विचार शैली कैसे बदलती रहती है। सौ वर्ष पहले किसी ने शायद कभी सोचा भी न होगा कि एक दिन हमें खरीदकर पानी पीना पड़ेगा, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आजकल हम सब स्वच्छ हवा के बारे में सोचते हैं कि यह तो प्रकृति की देन है, इसे भी क्या खरीद कर सांस लेनी होगी?
Posted on 08 May, 2015 03:23 PMघोर मानव पूंजी का नाश देखना हो तो हिमालय में बसे नेपाल को इन दिनों निहारा जा सकता है। बीते 25 अप्रैल को नेपाल सहित उत्तर भारत की भूमि भूकम्प से थर्रा गई। नेपाल इस एक सप्ताह में आपदा के कई अनचाहे पहलुओं से भी कहीं न कहीं वाकिफ हुआ होगा। पौने तीन करोड़ की जनसंख्या वाला नेपाल इन दिनों जिस वेदना से गुजर रहा है, उसके दर्द को भारत से बेहतर शायद ही किसी और ने समझा हो। नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में हुई तब
Posted on 08 May, 2015 09:39 AMआपदाओं से किसी समाज की कार्यप्रणाली में गम्भीर व्यवधान आता है, जिससे मानव, सामग्री या पर्यावरण को व्यापक क्षति पहुँचती है, जो प्रभावित समाज की स्वयं के संसाधनों से निपटने की क्षमता से अधिक होती है। आपदाएँ आकस्मिक (भूकम्प/सुनामी) अथवा धीरे-धीरे आने वाली (जैसे सूखा) या प्राकृतिक अथवा मानवजन्य हो सकती हैं।