Posted on 14 Apr, 2013 04:36 PMदेश में खेती की ज़मीन पर दोतरफा हमला हो रहा है। कई राज्यों में निरंतर सूखे की वजह से उपजाऊ ज़मीन बंजर हो रही है वहीं दूसरी तरफ सरकारें विकास के नाम पर बलपूर्वक किसानों से ज़मीन छीन रही हैं। कई राज्यों में संघर्ष की स्थिति है, लेकिन नीति निर्माताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। क्या है असली समस्या और क्यों सरकारें अपनी जन कल्याणकारी भूमिका से विमुख होकर कारपोरेट कंपनियों के सहयोगियों-सा बर्ताव
Posted on 12 Apr, 2013 01:18 PM बांध बनाने के लिए किए विस्फोटों से उनके घरों में दरार पड़ गई है। पानी के स्रोत सूख गए, उन्हें मुआवजा तक नहीं मिला। नर्मदा विस्थापितों का पुनर्वास तक नहीं हुआ। आज विश्व बैंक उनकी बात तक नहीं करता। वह केवल नई परियोजनाओं को पैसा आवंटित करने की कोशिश में लगा है ताकि उसे मोटा ब्याज और कंपनियों को मुनाफ़े की परियोजना पर काम का मौका मिल सके। विश्व बैंक की नागरिक समाज के साथ परामर्श बैठक को महज कागजी खानापूरी करार देते हुए देश के तमाम नागरिक समाज, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने विरोध करने का फैसला किया है। गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में हिमांशू ठक्कर, विमल भाई, राजेंद्र रवि व अन्य समाज सेवकों ने कहा कि हाल में बुलाई गई यह बैठक शर्मनाक घटना है क्योंकि जनहित के नाम पर इसमें विश्व बैंक व निजी कंपनियों के हितपूर्ति की कोशिश ही छुपी हुई है। इनके लिए बाजार की संभावना तलाशने का यह अभियान भर है। इसलिए विरोध प्रदर्शन करके हमने इन्हें दो बैठकें रद्द करने को विवश कर दिया।
Posted on 12 Apr, 2013 11:57 AMयमुना में गिरने वाले तीन प्रमुख नालों-शाहदरा, नजफगढ़ व सप्लीमेंट्री नाले के गंदे पानी को साफ करने के लिए बनाए जा रहे विशालकाय इंटरसेप्टर का काम अगले साल जून तक पूरा हो जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि उसके बाद यमुना में प्रदूषण कुछ हद तक कम होगा क्योंकि यमुना में दिल्ली से सबसे ज्यादा गंदगी इन नालों से ही गिराई जाती है। इंटरसेप्टर लगने के बाद इनसे यमुना में शोधित पानी गिरेगा। बजट की जानकारी देते हुए