आशुतोष उपाध्याय

आशुतोष उपाध्याय
परम्परागत जल प्रबंध की बेहतरीन मिसाल हैं ‘नौले’
Posted on 03 Apr, 2013 10:00 AM
नौले के जलस्रोत अत्यंत संवेदनशील होते हैं। इनके ढांचों में छेड़-छाड़ का परिणामस्रोत के सूखने में होता
प्राणियों में दिखाई देने लगा है ग्लोबल वार्मिंग का असर
Posted on 03 Apr, 2013 09:32 AM
ग्रीन हाउस प्रभाव के कारणों व परिणाम पर विवाद के बावजूद वैज्ञानिक
हिमालय में एक और भगीरथ प्रयास
Posted on 01 Apr, 2013 12:27 PM
उफरैंखाल प्रयोग उत्तरांचल में जलप्रबंध व ग्रामीण विकास के टिकाऊ विकल्प का जीता-जागता उदाहरण है और विश्वबैंक के कर्ज से अरबों रुपयों की असफल योजनाएं ढो रही सरकारों के मुंह पर करारा तमाचा यह बता रहा है कि आर्थिक तंगी से गुज़र रहे इस नवगठित राज्य में यदि प्रत्येक ग्राम पंचायत ईमानदारी से उफरैंखाल प्रयोग को अपने यहां दोहरा ले तो बिना किसी भारी खर्चे और सरकारी अमले के मौजूदा जल संकट से निजात पाई जा सकती है। लेकिन पानी के दाम लगाने की चिंता में दुबली होती जा रही राष्ट्रीय जल नीति के चश्मे से क्या उफरैंखाल के भगीरथ प्रयास के मर्म को समझा जा सकता है? आज दुनिया में पानी के संभावित भारी कारोबार पर कब्ज़ा करने के लिए मोर्चे सज रहे हैं। जल-प्रबंध धीरे-धीरे निजी कारपोरेट कंपनियों और बैंकों के दायरे में सिमट रहा है। सरकारें नदियों तक को बेच देने पर आमादा हैं और यह तय है कि जल संकट नई सदी में सबसे बड़े सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों का कारण बनेगा। अपने देश की लगभग 80 प्रतिशत आबादी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है और यह स्थिति साल-दर-साल बिगड़ती जा रही है। ऐसे निराशा भरे दौर में हिमालय की वादियों में ग्रामीणों की संगठित शक्ति से एक ऐसा भगीरथ प्रयास चल रहा है जिसने सूखी पहाड़ियों के बीच एक गंगा उतार दी है। उत्तरांचल में चमोली, पौड़ी और अल्मोड़ा जिले में फैले दूधातोली क्षेत्र में काम कर रहे दूधातोली लोक विकास संस्थान, उफरैंखाल ने बिना किसी सरकारी इमदाद और ताम-झाम के पिछले दो दशकों में एक सूखी धारा में प्राण लौटा कर यह साबित कर दिया है कि यदि ग्रामीणों पर भरोसा किया जाय और उन्हें उनकी परंपरागत क्षमताओं का अहसास कराया जाय तो भगीरथ का गंगा अवतरण भी दोहराया जा सकता है।

हरियाली का अग्रदूत
Posted on 01 Apr, 2013 11:46 AM
दामोदर राठौर के काम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उन्होंने अपने अभिया
पानी के लिए नौलों को सुरक्षित रहना ही होगा
Posted on 01 Apr, 2013 10:01 AM
पिथौरागढ़ नगर के निकट जाखपुरान और थरकोट क्षेत्र में ऐतिहासिक नौलों
शहर में कैद एक बीमार झील
Posted on 30 Mar, 2013 01:50 PM
शहर में अवशिष्ट निस्तारण के लिए बने पुराने कायदों पर चलने की यहां के लोगों को फिर से आदत डालनी होगी। इ
बड़ी संभावनाएं हैं हिमालय की परंपरा में
Posted on 30 Mar, 2013 12:35 PM
औपनिवेशिक काल में अंग्रेजी प्रशासकों ने तराई-भाबर क्षेत्र में सि
अब स्वजल में डूबेंगे गांव
Posted on 30 Mar, 2013 03:23 PM

जो सरकार विश्व बैंक से कर्ज लेकर गांव को स्वावलंबी बनाना चाहती हैं उसमें इतना साहस भी नहीं कि अपने दस्तावेज़ों म

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